अनिल सदा |
अमिताभ बच्चन |
चार
कविताएं |
नाजिम हिकमत |
कौन तोड़ेगा तेरी बेड़ियां |
बेर्टोल्ट ब्रेष्ट |
पंछी |
आदित्य कमल |
अगर
तुम युवा हो श्रृंखला की छह कविताएं |
शशिप्रकाश |
बर्तोल्त ब्रेख्त की अट्ठाइस
कविताएं |
बेर्टोल्ट ब्रेष्ट |
राजधानी
के शापित जन |
कविता कृष्णपल्लवी |
हमारे समय के दो पहलू |
सत्यव्रत |
बोल मजूरे हल्ला बोल |
कान्ति मोहन |
छात्रों
के प्रति |
बेर्टोल्ट ब्रेष्ट |
त्रिलोचन की कविताएँ |
त्रिलोचन |
दुनियाभर
में डर |
एदुआर्दो गालेआनो |
फिलिस्तीनी
जनता की बहादुरी बयां करती कुछ कविताएं |
. |
ऑटो मज़दूर का गीत |
राल्फ़ मार्लेट |
एस
ए सैनिक का गीत / तुम्हें चुनना होगा |
बेर्टोल्ट ब्रेष्ट व गौहर रजा |
सात
कविताएं |
अवतार सिंह पाश |
प्रसिद्ध
अश्वेत अमेरिकी कवि लैंग्सटन ह्यूज की छह कविताएं |
लैंग्सटन ह्यूज |
बीज तुम बोते हो, काटते हैं
दूसरे ही… |
पर्सी बिषी शेली |
देश दुनिया
के प्रसिद्ध 18 कवियों की 18 कविताएं |
. |
सर्वेश्वरदयाल
सक्सेना की चार कविताएं |
सर्वेश्वरदयाल सक्सेना |
शुरूआत,
मुक्ति, सपनों के बारे में कुछ कवितांश |
. |
तीन
कवि तीन कविताएं और हमारे आज के राजा |
बोधि सत्व, अदम गोंडवी, राजेश जोशी |
भिखमंगे |
मनबहकी लाल |
जीवित
कविता की शर्तें |
कात्यायनी |
मानवीय
जीवन की सार्थकता के बाबत कुछ उद्धरण व कविताएं |
. |
तूफानी पितरेल पक्षी का गीत |
मक्सिम गोर्की |
हत्यारों की शिनाख़्त |
लेस्ली पिंकने हिल (अफ्रीकी-अमेरिकी कवि) |
मैं – एक औरत |
मर्ज़िएह ऑस्कोई |
मैं
एक सपना देखता हूँ इस धरती का |
लैंग्सटन ह्यूज |
दुनिया
के महान कवियों में से एक नाज़िम हिक़मत की पंद्रह कविताएं |
नाजिम हिकमत |
चार
कौए |
भवानीप्रसाद मिश्र |
निवाला |
अली सरदार जाफ़री |
पन्द्रह
कविताएं |
गोरख पाण्डेय |
दो
कविताएं |
निदा नवाज |
फासीवाद
विरोधी तीन कविताएं - हमला हो चुका है!, मसखरा, नगर में बर्बर |
कविता कृष्णपल्लवी |
देश
की आज़ादी के बारे में कविताएं व उद्धरण |
शलभ श्रीराम सिंह, रघुवीर सहाय, खलीलुर्रहमान आज़मी, अली सरदार
जाफ़री व अन्य |
एक
देश और तीन फासिस्ट |
कविता कृष्णपल्लवी |
बीस
कविताएं |
कात्यायनी |
शासन
करने की कठिनाई |
बेर्टोल्ट ब्रेष्ट |
बीस
कविताएं |
अवतार सिंह पाश |
एक
देश में कविता की चमत्कारी लोकप्रियता |
कविता कृष्णपल्लवी |
चुनिन्दा
कविताएं |
रवि कुमार |
हम हैं खान के मजदूर |
मुसाब इकबाल |
हंजूरी
व तीन अन्य कविताएं व कहानी सफेद गुड़ |
सर्वेश्वर दयाल सक्सेना |
स्पेंग्लर
का रोना और कुकनूस का गाना |
शशिप्रकाश |
जेल
नोटबुक से चन्द कविताएं |
भगतसिंह संकलन |
फासीवाद/दमन
विरोधी पांच कविताएं |
बेर्टोल्ट ब्रेष्ट |
हमें
यों जीना चाहिये जैसे हम कभी मरेंगे ही नहीं |
नाजिम हिकमत |
दो
कविताएं |
आदित्य कमल |
बेकार
लड़का कविता श्रृ़खला |
हरिओम राजोरिया |
हम |
स्टीफेन स्पेण्डर |
वर्तमान
घपलों घोटालों पर चार कविताएं |
राजीव ध्यानी, राहुल कोटियाल आदि |
चौदह
कविताएं |
ईरानी मजदूर सबीर हका |
बेर्टोल्ट ब्रेष्ट की तीन
कविताएँ - कसीदा श्रंखला |
बेर्टोल्ट ब्रेष्ट |
मसखरा |
कविता कृष्णपल्लवी |
क्या मैं अब भी कसूरवार नहीं
हूँ? |
बेर्निस जॉनसन रीगन |
मज़दूरों
की आँखों ने |
सनी सिंह |
मनुष्य |
एदुअर्द्स मीज़ेलाइतिस |
कौन आज़ाद हुआ ? |
अली सरदार जाफ़री |
दीवाली
के अवसर पर कविताएं |
कुमार रवीन्द्र, कात्यायनी, द्विजेन्द्र 'द्विज' |
7 नवम्बर : जीतों के दिन की
शान में गीत |
पाब्लो नेरुदा |
अराजनीतिक
बुद्धिजीवी |
ओतो रेने कास्तिय्यो |
एक दिवालिये की रिपोर्ट |
समी अल कासिम |
तो
आप लेखक बनना चाहते हैं |
चार्ल्स बुकोवस्की (अनुवाद - वरुण ग्रोवर) |
डॉक्टर के नाम एक मज़दूर का ख़त |
बेर्टोल्ट ब्रेष्ट |
नौजवानी
के बारे में कुछ कविताएं व उद्धरण |
. |
एक पढ़ सकने वाले कामगार के
सवाल |
बेर्टोल्ट ब्रेष्ट |
हंजूरी |
सर्वेश्वर दयाल सक्सेना |
तोड़ती पत्थर |
सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ |
व्यंग्य
कविता : रामलला हम आएँगे, मन्दिर वहीं बनाएँगे |
जगदीश सौरभ |
आठ हजार गरीब लोगों का नगर के
बाहर इकट्ठा होना |
बेर्टोल्ट ब्रेष्ट |
वह धरती से आतंकित हो गया |
वरवर राव |
गोयबल्स |
कात्यायनी |
जीवन-लक्ष्य |
कार्ल मार्क्स |
औरत की नियति |
क्यू |
यही मौका है |
नवारुण भट्टाचार्य (अनुवाद – लाल्टू) |
26 जनवरी, 15 अगस्त |
नागार्जुन |
लेनिन की मृत्यु पर कैंटाटा |
बेर्टोल्ट ब्रेष्ट |
लहर |
मर्ज़िएह ऑस्कोई |
अधिनायक |
रघुवीर सहाय |
हमारा समाज |
वीरेन डंगवाल |
देश काग़ज़ पर बना नक्शा नहीं
होता |
सर्वेश्वरदयाल सक्सेना |
सावित्रीबाई फुले की कुछ
कविताएँ |
सावित्रीबाई फुले |
जो पैदा होंगी हमारे बाद |
अज्ञात |
हिन्दू या मुसलमान के अहसासात
को मत छेड़िये |
अदम गोंडवी |
पाकिस्तानी शायर अफ़जाल अहमद की
कविताएँ |
अफ़जाल अहमद |
साम्प्रदायिकता विरोधी दोहे |
अब्दुल बिस्मिल्लाह |
‘पाश’ की दो कविताएँ - अपनी असुरक्षा से,
कातिल |
अवतार सिंह पाश |
सबसे ख़तरनाक
होता है हमारे सपनों का मर जाना |
अवतार सिंह पाश |
मजदूर की कलम से कविता :
मैंने देखा है… |
आनन्द, हरियाणा |
मेरे क्रोध की लपटें |
एक फ़िलिस्तीनी स्त्री |
सेलफोन |
एर्नेस्तो कार्देनाल |
ओतो रेने कास्तिय्यो की चुनिन्दा
कविताएं |
ओतो रेने कास्तिय्यो |
अखबार |
कविता कृष्णपल्लवी |
कविता कृष्णापल्लवी की पाँच कविताएँ |
कविता कृष्णपल्लवी |
6 दिसम्बर 1992 की स्मृति में |
कविता कृष्णपल्लवी |
गुजरात-2002 |
कात्यायनी |
भगतसिंह के लिए एक गद्यात्मक
सम्बोध-गीति |
कात्यायनी |
यह आर्तनाद नहीं, एक धधकती हुई पुकार
है! |
कात्यायनी |
गुजरात – 2002 |
कात्यायनी |
…वे अपना मृत्युलेख लिखते हैं |
कात्यायनी |
कात्यायनी की चार कविताएँ |
कात्यायनी |
दो कविताएँ - अपराजिता, वह रचती है जीवन और… |
कात्यायनी |
मज़दूर एकता |
कान्ति मोहन |
केदारनाथ अग्रवाल की चार कविताएँ |
केदारनाथ अग्रवाल |
कविता – कुर्सीनामा |
गोरख पाण्डेय |
समझदारों का गीत |
गोरख पाण्डेय |
कविता - दंगा |
गोरख पाण्डेय |
कानून |
गोरख पाण्डेय |
अन्धी वतन परस्ती हमको किस रस्ते ले
जायेगी |
गौहर रज़ा |
फ़ॉक्सकॅान के मज़दूर की
कविताएँ |
जू़ लिझी (Xu lizhi) |
धीरे-धीरे आगे बढ़ती है |
जेम्स कोनाली |
धूल की जगह राख होना चाहूँगा मैं! |
जैक लण्डन |
मजदूर की कलम से कविता : सरकारी अस्पताल |
टी. एम. आंसारी |
चार्टिस्टों का गीत |
टॉमस कूपर |
राजा ने आदेश दिया |
देवी प्रसाद मिश्र |
लोकतन्त्र के बारे में नेता
से मज़दूर की बातचीत |
नकछेदी लाल |
साम्प्रदायिक फसाद |
नरेन्द्र जैन |
हिटलर के तम्बू में, गुजरात-2002 |
नागार्जुन, कात्यायनी |
उन्नीस सौ सत्रह, सात नवम्बर |
नाजिम हिकमत |
कचोटती
स्वतन्त्रता |
नाजिम हिकमत |
असंख्य |
नाजिम हिकमत |
कवि का दायित्व |
पाब्लो नेरुदा |
मैं सज़ा की माँग करता हूँ |
पाब्लो नेरुदा |
सोवियत संघ और स्तालिन के
बारे में |
पाब्लो नेरुदा |
अंधेरे के सभी लोगों के लिए
सूर्य के फ़ल हों! |
पाब्लो नेरुदा |
विजयी लोग |
पाब्लो नेरुदा |
हमारा सच और उनका
सच |
प्रेम प्रकाश |
हम लोहार |
फ़िलिप श्क्युलोव |
इन्तिसाब |
फैज़ अहमद फैज़ |
तराना |
फैज़ अहमद फैज़ |
जनता की रोटी |
बेर्टोल्ट ब्रेष्ट |
जब फ़ासिस्ट मज़बूत हो रहे थे |
बेर्टोल्ट ब्रेष्ट |
लेनिन ज़िन्दाबाद |
बेर्टोल्ट ब्रेष्ट |
व्यंग्य कविता - सरकार और कला |
बेर्टोल्ट ब्रेष्ट |
सीखो दोस्तो सीखो! |
बेर्टोल्ट ब्रेष्ट |
गुजरात के मृतक का बयान |
मंगलेश डबराल |
कविता – हम राज करें, तुम राम
भजो! |
मनबहकी लाल |
शोकगीत |
महमूद दरवेश |
माओ त्से-तुङ की दो कविताएँ |
माओ त्से-तुङ |
धीमी मौत |
मार्था मेदेइरोस |
मैं कभी पीछे नहीं लौटूँगी |
मीना किश्वर कमाल |
भूल-ग़लती |
मुक्तिबोध |
दो कवितांश |
मुक्तिबोध |
पूँजीवादी समाज के प्रति |
मुक्तिबोध |
हक़ीकत |
रॉक डाल्टन |
एक जलते हुए शहर की यात्रा |
विमल कुमार |
एक होज़री मज़दूर की कलम से |
विशाल, लुधियाना |
वीरेन डंगवाल की छह कविताएँ |
वीरेन डंगवाल |
शुरुआत की सुबह |
शंकर गुहा नियोगी |
भगतसिंह, इस बार न लेना काया
भारतवासी की |
शंकर शैलेन्द्र |
य’ शाम है |
शमशेर बहादुर सिंह |
भूलना नहीं
है |
शशिप्रकाश |
जो दिन अभी आये नहीं |
शशिप्रकाश |
अन्धकार है घना, मगर संघर्ष ठना है! |
शशिप्रकाश |
समर तो शेष है |
शशिप्रकाश |
तस्वीर बदल दो दुनिया की |
शशिप्रकाश |
ज़िन्दगी ने एक दिन कहा कि
तुम लड़ो |
शशिप्रकाश |
फिर लोहे के गीत हमें गाने
होंगे |
शशिप्रकाश |
शिवराम की कुछ कविताएँ |
शिवराम |
रफ़ा के बच्चे, संयुक्त राष्ट्र के
सभी संभ्रान्त लोगों से |
समी अल कासिम |
जश्न बपा है कुटियाओं में,
ऊंचे ऐवां कांप रहे हैं |
साहिर लुधियानवी |
जल्द-जल्द पैर बढ़ाओ, आओ, आओ! |
सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ |
राजे ने अपनी रखवाली की |
सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ |
उसकी पीठ और कमर झुक गई थी |
स्तालिन |
सिलेसियाई बुनकरों
का गीत |
हाइनरिख़ हाइने |
होसे मारिया सिसों की पाँच कविताएँ |
होसे मारिया सिसों |
अन्तरराष्ट्रीय
स्त्री दिवस पर कविता |
नये
साल पर मज़दूर साथियों के नाम ‘मज़दूर बिगुल’ का सन्देश |
माओ त्से-तुङ की बारह कविताएं |
माओ त्से-तुङ |
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