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Showing posts from April, 2021

आक्सीज़न की कमी से तड़प कर लोग मरते रहे, नेताजी और महान होते रहे

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आक्सीज़न की कमी से तड़प कर लोग मरते रहे, नेताजी और महान होते रहे रवीश कुमार यह सब आप याद रख कर करेंगे भी क्या। कितना याद रखेंगे और किस-किस का। चारों तरफ से ख़बरें आने लगी कि आक्सीज़न सिलेंडर नहीं मिल रहे हैं। न घर में इलाज के लिए मरीज़ों को और न अस्पताल वालों को। उसके बाद ख़बरें आने लगीं कि अस्पतालों में आक्सीज़न वाले बेड नहीं मिल रहे हैं। अस्पतालों के बाहर लोग तड़प कर मर जा रहे हैं। फिर ख़बरें आने लगी कि फलां अस्पताल के पास एक घंटे का आक्सीज़न बचा है। मरीज़ों की जान ख़तरे में हैं। फिर ख़बर आई कि आक्सीज़न की कमी से दिल्ली में बीस लोग मर गए। 23 अप्रैल को सबसे पहले ख़बर तो गंगाराम अस्पताल से आई कि 24 घंटे के भीतर 25 लोगों की मौत हो गई है। इस सूचना के साथ अस्पताल ने यह भी जानकारी दी थी कि दो घंटे के लिए आक्सीज़न बचा है। इतने बड़े अस्पताल में दो घंटे के लिए आक्सीज़न बचा हो इसे सुन कर किसी के भी होश उड़ जाएं। लेकिन ख़बरों की दुनिया तेज़ी से घूमती है और ख़बर बदल जाती है। अस्पताल कहता है कि 25 लोग आक्सीज़न की कमी से नहीं मरे। वेटिंलेटर सही से काम नहीं कर रहे थे। मैनुअल वेंटिलेटर पर मरीज़ों को

गूगल डॉक्‍टर ना बनें, इलाज के लिए सही सलाह लें

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गूगल डॉक्‍टर ना बनें, इलाज के लिए सही सलाह लें डॉ नवमीत आजकल सभी लोगों को कोविड के इलाज में प्रयुक्त होने वाली दवाओं के नाम पता हैं। लोग फेसबुक पर भी जासूस/वैज्ञानिक का रोल प्ले करते हुए सवाल करते हैं कि इतनी महंगी 5000 रुपये की रेमडेसीवीर क्यों दी जा रही है और स्टेरॉयड जो कि 5 रुपये की सस्ती दवा है क्यों नहीं दी? क्या यह साजिश है? क्या इस साजिश की पटकथा सिकन्दर महान व चंगेज खान के समय से लिखी गई थी? आदि इत्यादि। तो ये दवाएं आखिर कब और क्यों देते हैं? क्यों किसी मरीज को एक दवा दी जाती है तो दूसरे मरीज को दूसरी? असल में कोविड 19 के इलाज के तीन मुख्य पहलू हैं। शुरुआती स्टेज मतलब पहले 10 दिन में वायरल लोड कम करना। इसके लिए एंटीवायरल दवाएं जैसे रेमडेसीवीर या फेवीपीरावीर दी जाती हैं। 10 दिन के बाद वाली कंप्लीकेशन्स को जैसे हाइपर एक्टिव इम्युनिटी को दबाने के लिए स्टेरॉइड्स जैसे हाइड्रोकॉर्टीसोन, डेक्सामेथासोन, मिथाइलप्रेडनीसोलोन या/और मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज जैसे टोसिलीज़ुमैब का प्रयोग करना और ब्लड क्लोटिंग को रोकने के लिए एन्टी कोएगुलेन्ट्स जैसे एस्पिरिन और हेपरिन। यही कोविड के इलाज का मेन स्टे

कहानी - चारा काटने की मशीन / उपेन्द्रनाथ अश्क

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चारा काटने की मशीन उपेन्द्रनाथ अश्क रेल की लाइनों के पार, इस्लामाबाद की नयी आबादी के मुसलमान जब सामान का मोह छोड ,जान का मोह लेकर भागने लगे तो हमारे पड़ोसी लहनासिंह की पत्नी चेती। ''तुम हाथ पर हाथ धरे नामर्दों की भाँति बैठे रहोगे,'' सरदारनी ने कहा, ''और लोग एक से एक बढ़िया घर पर कब्जा कर लेंगे।'' सरदार लहनासिंह और चाहे जो सुन लें, परन्तु औरत जात के मुँह से 'नामर्द' सुनना उन्हें कभी गवारा न था। इसलिए उन्होंने अपनी ढीली पगड़ी को उतारकर फिर से जूड़े पर लपेटा; धरती पर लटकती हुई तहमद का किनारा कमर में खोंसा; कृपाण को म्यान से निकालकर उसकी धार का निरीक्षण करके उसे फिर म्यान में रखा और फिर इस्लामाबाद के किसी बढ़िया 'नये' मकान पर अधिकार जमाने के विचार से चल पड़े। वे अहाते ही में थे कि सरदारनी ने दौड़कर एक बड़ा-सा ताला उनके हाथ में दे दिया। ''मकान मिल गया तो उस पर अपना कब्जा कैसे जमाओगे?'' सरदार लहनासिंह ने एक हाथ में ताला लिया, दूसरा कृपाण पर रखा और लाइनें पार कर इस्लामाबाद की ओर बढ़े। खालसा कालेज रोड, अमृतसर पर, पुतली घर के समीप ही हमारी

कहानी - बहादुर / अमरकांत

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बहादुर अमरकांत सहसा मैं काफी गंभीर था , जैसा कि उस व्यक्ति को हो जाना चाहिए , जिस पर एक भारी दायित्व आ गया हो। वह सामने खड़ा था और आँखों को बुरी तरह मटका रहा था। बारह-तेरह वर्ष की उम्र। ठिगना शरीर , गोरा रंग और चपटा मुँह। वह सफेद नेकर , आधी बाँह की ही सफेद कमीज और भूरे रंग का पुराना जूता पहने था। उसके गले में स्काउटों की तरह एक रूमाल बँधा था। उसको घेरकर परिवार के अन्य लोग खड़े थे। निर्मला चमकती दृष्टि से कभी लड़के को देखती और कभी मुझको और अपने भाई को। निश्चय ही वह पंच बराबर हो गई थी। उसको लेकर मेरे साले साहब आए थे। नौकर रखना कई कारणों से बहुत जरूरी हो गया था। मेरे सभी भाई और रिश्तेदार अच्छे ओहदों पर थे और उन सभी के यहाँ नौकर थे। मैं जब बहन की शादी में घर गया तो वहाँ नौकरों का सुख देखा। मेरी दोनों भाभियाँ रानी की तरह बैठकर चारपाइयाँ तोड़ती थीं , जबकि निर्मला को सबेरे से लेकर रात तक खटना पड़ता था। मैं ईर्ष्या से जल गया। इसके बाद नौकरी पर वापस आया तो निर्मला दोनों जून ' नौकर-चाकर ' की माला जपने लगी। उसकी तरह अभागिन और दुखिया स्त्री और भी कोई इस दुनिया में होगी ? वे लोग दूसरे ह