गूगल डॉक्‍टर ना बनें, इलाज के लिए सही सलाह लें

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डॉ नवमीत


आजकल सभी लोगों को कोविड के इलाज में प्रयुक्त होने वाली दवाओं के नाम पता हैं। लोग फेसबुक पर भी जासूस/वैज्ञानिक का रोल प्ले करते हुए सवाल करते हैं कि इतनी महंगी 5000 रुपये की रेमडेसीवीर क्यों दी जा रही है और स्टेरॉयड जो कि 5 रुपये की सस्ती दवा है क्यों नहीं दी? क्या यह साजिश है? क्या इस साजिश की पटकथा सिकन्दर महान व चंगेज खान के समय से लिखी गई थी? आदि इत्यादि।

तो ये दवाएं आखिर कब और क्यों देते हैं? क्यों किसी मरीज को एक दवा दी जाती है तो दूसरे मरीज को दूसरी?
असल में कोविड 19 के इलाज के तीन मुख्य पहलू हैं। शुरुआती स्टेज मतलब पहले 10 दिन में वायरल लोड कम करना। इसके लिए एंटीवायरल दवाएं जैसे रेमडेसीवीर या फेवीपीरावीर दी जाती हैं। 10 दिन के बाद वाली कंप्लीकेशन्स को जैसे हाइपर एक्टिव इम्युनिटी को दबाने के लिए स्टेरॉइड्स जैसे हाइड्रोकॉर्टीसोन, डेक्सामेथासोन, मिथाइलप्रेडनीसोलोन या/और मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज जैसे टोसिलीज़ुमैब का प्रयोग करना और ब्लड क्लोटिंग को रोकने के लिए एन्टी कोएगुलेन्ट्स जैसे एस्पिरिन और हेपरिन।
यही कोविड के इलाज का मेन स्टे है। एक्टिव इन्फेक्शन के दौरान स्टेरॉयड नुकसान करता है और एक्टिव इन्फेक्शन खत्म होने के बाद एंटीवायरल ड्रग्स का कोई फायदा नहीं।
बाकी कौन सी दवा कब देनी है या देनी है या नहीं, इसका फैसला डॉक्टर अपने अनुभव व विवेक से करता है। दवाओं को देने के साथ साथ इनके प्रभावों व दुष्प्रभावों को देखने के लिए नियमित रूप से मॉनिटरिंग व खून की और अन्य जांचों को करवाने की जरूरत पड़ती है। दुष्प्रभाव होने की स्थिति में अन्य दवाएं दी जाती हैं। इसलिए ये दवाएं स्पेशलिस्ट डॉक्टर की देख रेख में ही लें और सेल्फ मेडिकेशन से बचें।

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