कविता : मैं एक सपना देखता हूँ इस धरती का / लैंग्‍सटन ह्यूज Poem : I dream a world / Langston Hughes


मैं एक सपना देखता हूँ इस धरती का

प्रसिद्ध अश्‍वेत अमेरिकी कवि लैंग्‍सटन ह्यूज




मैं एक ऐसी धरती का सपना देखता हूँ
जहाँ आदमी आदमी से घृणा नहीं करे
जहाँ धरती प्रेम के आशीर्वाद से पगी हो
और रास्ते शान्ति की अल्पना से सुसज्जित

मैं एक ऐसी धरती का सपना देखता हूँ
जहाँ सभी को आज़ादी की मिठास मिले
जहाँ अन्तरात्मा को लालच मार नहीं सके
जहाँ धन का लोभ हमारे दिनों को नष्ट नहीं कर सके

मैं एक ऐसी धरती का सपना देखता हूँ
जहाँ काले या गोरे चाहे जिस भी नस्ल के तुम रहो
धरती की सम्पदा का तुम्हारा हिस्सा तुम्हें मिले

जहाँ हर आदमी आज़ाद हो
जहाँ सिर झुकाये खड़ी हो दुरावस्था
जहाँ मोतियों-सा अच्छल हो आनन्द
और सबकी ज़रूरतें पूरी हों
ऐसा ही सपना देखता हूँ मैं इस धरती का

I dream a world


Langston Hughes

I dream a world where man
No other man will scorn,
Where love will bless the earth
And peace its paths adorn
I dream a world where all
Will know sweet freedom's way,
Where greed no longer saps the soul
Nor avarice blights our day.
A world I dream where black or white,
Whatever race you be,
Will share the bounties of the earth
And every man is free,
Where wretchedness will hang its head
And joy, like a pearl,
Attends the needs of all mankind-
Of such I dream, my world! 







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