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Showing posts from December, 2019

CAA और NRC देश के हर धर्म के गरीबों के विरुद्ध है, दमन से जनता चुप नहीं बैठेगी

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CAA और NRC देश के हर धर्म के गरीबों के विरुद्ध है, दमन से जनता चुप नहीं बैठेगी  कविता कृष्‍णपल्‍लवी CAA और NRC  के ख़िलाफ़ जनांदोलन समाज में अब और गहराई तक पैठ गया है I उत्तर प्रदेश के छोटे-छोटे शहरों-कस्बों से भारी विरोध-प्रदर्शन की खबरें आयी हैं। दिल्ली तो दिन भर उबलता ही रहा , देश के अन्य हिस्सों से भी ऐसी ही खबरें आती रही हैं। बदहवास फासिस्ट सत्ताधारी एक और तो टीवी चैनलों पर आकर तरह-तरह की सफाइयाँ दे रहे हैं , पर साथ ही धमका भी रहे हैं। दमन-चक्र एकदम से तेज़ हो गया है। इसमें कनफटा जोगी और येदियुरप्पा की सरकारें सबसे आगे हैं। कर्नाटक के कई शहरों में कर्फ्यू लगा दिया गया है I उ.प्र. में हज़ारों लोग गिरफ्तार किये गए हैं और 6 लोगों के मरने की खबरें आ रही हैं। घायलों की संख्या सैकड़ों में हो सकती है। बदला लेने की अपनी धमकी पर अमल करते हुए जोगी ने प्रसिद्ध मानवाधिकार-कर्मी दारापुरी और अधिवक्ता मो.शोएब को उनके घरों से अपनी पुलिस द्वारा उठवा लिया है। अबतक 3000 लोगों को नोटिसें भेजी जा चुकी हैं , जिनमें से ज्यादातर नागरिक अधिकार कर्मी हैं। अब फर्जी मुक़दमों और गिरफ्तारियों का सिलसि

अदम गोंडवी के स्मृति दिवस के अवसर पर उनकी कुछ रचनाएं

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अदम गोंडवी (22 अक्‍टूबर 1947-18 दिसम्‍बर 2011) के स्मृति दिवस 18 दिसंबर के अवसर पर उनकी कुछ रचनाएं (1) जो डलहौज़ी न कर पाया वो ये हुक़्क़ाम कर देंगे जो डलहौज़ी न कर पाया वो ये हुक़्क़ाम कर देंगे कमीशन दो तो हिंदोस्तान को नीलाम कर देंगे ये वंदे-मातरम् का गीत गाते हैं सुबह उठ कर मगर बाज़ार में चीज़ों का दुगुना दाम कर देंगे सदन में घूस दे कर बच गई कुर्सी तो देखोगे वो अगली योजना में घूसखोरी आम कर देंगे (2) हिन्‍दू या मुस्लिम के अहसासात को मत छेड़िए हिंदू या मुस्लिम के अहसासात को मत छेड़िए अपनी कुरसी के लिए जज्‍बात को मत छेड़िए हममें कोई हूण, कोई शक, कोई मंगोल है दफ़्न है जो बात, अब उस बात को मत छेड़िए ग़लतियाँ बाबर की थी; जुम्‍मन का घर फिर क्‍यों जले ऐसे नाज़ुक वक़्त में हालात को मत छेड़िए हैं कहाँ हिटलर, हलाकू, जार या चंगेज़ ख़ाँ मिट गए सब, क़ौम की औक़ात को मत छेड़िए छेड़िए इक जंग, मिल-जुल कर गरीबी के खिलाफ़ दोस्त मेरे मजहबी नग़मात को मत छेड़िए (3) घर में ठंडे चूल्हे पर अगर खाली पतीली है घर में ठंडे चूल्हे पर अगर खाली पतीली है

विश्‍व प्रसिद्ध कहानीकार अंतोन चेखव की कहानी - दुख Anton Chekhov's Story - Misery

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विश्‍व प्रसिद्ध कहानीकार अंतोन चेखव की कहानी - दुख  For English version please scroll down  हिन्‍दी अनुवाद - सुशांत सुप्रिय शाम के धुँधलके का समय है। सड़क के खंभों की रोशनी के चारों ओर बर्फ की एक गीली और मोटी परत धीरे-धीरे फैलती जा रही है। बर्फबारी के कारण कोचवान योना पोतापोव किसी सफेद प्रेत-सा दिखने लगा है। आदमी की देह जितनी भी मुड़ कर एक हो सकती है, उतनी उसने कर रखी है। वह अपनी घोड़ागाड़ी पर चुपचाप बिना हिले-डुले बैठा हुआ है। बर्फ से ढका हुआ उसका छोटा-सा घोड़ा भी अब पूरी तरह सफेद दिख रहा है। वह भी बिना हिले-डुले खड़ा है। उसकी स्थिरता, दुबली-पतली काया और लकड़ी की तरह तनी सीधी टाँगें ऐसा आभास दिला रही हैं जैसे वह कोई सस्ता-सा मरियल घोड़ा हो। योना और उसका छोटा-सा घोड़ा, दोनों ही बहुत देर से अपनी जगह से नहीं हिले हैं। वे खाने के समय से पहले ही अपने बाड़े से निकल आए थे, पर अभी तक उन्हें कोई सवारी नहीं मिली है। 'ओ गाड़ी वाले, विबोर्ग चलोगे क्या?' योना अचानक सुनता है, 'विबोर्ग!' हड़बड़ाहट में वह अपनी जगह से उछल जाता है। अपनी आँखों पर जमा हो रही बर्फ