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'कॉमरेड चे! तुम्‍हें तुम्‍हारे उत्‍तराधिकारियों का संग्रामी लाल सलाम!'

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'कॉमरेड चे! तुम्‍हें तुम्‍हारे उत्‍तराधिकारियों का संग्रामी लाल सलाम!' जन्‍मतिथि (14जून) के अवसर पर   कविता कृष्‍णपल्‍लवी     तुमने कहा था सूरज उगेगा चलो चलें अचिन्हि्त राहों पर...   अपने संघर्ष के कठिनतम दिनों में चे गुएवारा ने अपनी डायरी के पन्‍नों पर अपने अनन्‍य मित्र और सहयोद्धा फिदेल कास्‍त्रो के लिए एक कविता लिखी थी, जिसमें ये पंक्तियाँ थीं।चे गुएवारा ने डाक्‍टरी की शिक्षा ली थी और एक समय आया जब उसके एक ओर दवाइयों का बक्‍सा था और दूसरी ओर बंदूक। युवा चे ने दासता और उत्‍पीड़न की बीमारी से लातिन अमेरिका को छुटकारा दिलाने के लिए डाक्‍टरी की जगह क्रान्ति का पेशा चुना और दवाइयों  के बक्‍से की जगह बंदूक उठाकर जनमुक्ति समर में कूद पड़ा। फिदेल और अन्‍य मुक्तियोद्धाओं के साथ चे क्‍यूबा में अमेरिकी साम्राज्‍यवाद के टट्टू, भ्रष्‍ट और जालिम तानाशाह बतिस्‍ता की सत्‍ता के विरुद्ध सशस्‍त्र संघर्ष की शुरुआत की। सदियों पुरानी गुलामी के अँधेरे की छाती पर क्रांति का सूरज क्‍यूबा में उग चुका था। पर चे की विकल आत्‍मा पूरे लातिन अमेरिका महादेश में जनमुक्ति समर की लहर दावानल की आग के समान फैला