Posts

Showing posts from June, 2020

कहानी - टिटवाल का कुत्ता / सआदत हसन मंटो

Image
टिटवाल का कुत्ता सआदत हसन मंटो कई दिनों से दोनों तरफ से सिपाही अपने-अपने मोर्चे पर जमे हुए थे। दिन में इधर और उधर से दस-बारह गोलियाँ चल जातीं , जिनकी आवाज़ के साथ कोई इनसानी चीख बुलन्द नहीं होती थी। मौसम बहुत खुशनुमा था। हवा जंगली फूलों की महक में बसी हुई थी। पहाडिय़ों की ऊँचाइयों और ढलानों पर लड़ाई से बेखबर कुदरत , अपने रोज के काम-काज में व्यस्त थी। चिडिय़ाँ उसी तरह चहचहाती थीं। फूल उसी तरह खिल रहे थे और धीमी गति से उडऩे वाली मधुमक्खियाँ , उसी पुराने ढंग से उन पर ऊँघ-ऊँघ कर रस चूसती थीं। जब गोलियाँ चलने पर पहाडिय़ों में आवाज़ गूँजती और चहचहाती हुई चिडिय़ाँ चौंककर उडऩे लगतीं , मानो किसी का हाथ साज के गलत तार से जा टकराया हो और उनके कानों को ठेस पहुँची हो। सितम्बर का अन्त अक्तूबर की शुरूआत से बड़े गुलाबी ढंग से गले मिल रहा था। ऐसा लगता था कि जाड़े और गर्मी में सुलह-सफाई हो रही है। नीले-नीले आसमान पर धुनी हुई रुई जैसे , पतले-पतले और हल्के-हल्के बादल यों तैरते थे , जैसे अपने सफेद बजरों में नदी की सैर कर रहे हैं। पहाड़ी मोर्चों पर दोनों ओर से सिपाही कई दिनों से बड़ी ऊब महस

कहानी - लकड़ियाँ / असगर वज़ाहत

Image
कहानी - लकड़ियाँ असगर वज़ाहत (1) श्यामा की जली हुई लाश जब उसके पिता के घर पहुंची तो बड़ी भीड़ लग गयी। इतनी भीड़ तो उसकी शादी में विदाई के समय भी नहीं लगी थी। श्याम की बहनों की हालत अजीब थी क्योंकि वे कुंवारी थीं। श्यामा की मां लगातार रोई जा रही थी। रिश्तेदार उसे दिलासा भी क्यों देते। श्यामा के पिता जली हुई श्यामा को देख रहे थे। उनकी आंखों से आंसू बहे चले जा रहे थे। श्यामा का पति और देवर पास खड़े थे। श्यामा के पति ने श्यामा के पिताजी से कहा 'पापा आप रोते क्यों हैं. . .श्यामा को बिदा करते समय आपने ही तो कहा था कि बेटी तुम्हारी डोली इस घर जा रही है अब तुम ससुराल से तुम्हारी अर्थी ही निकले।' देवर बोला 'चाचा जी श्यामा ने आपकी इच्छा जल्दी ही पूरी कर दी।' श्यामा के ससुर जी बोले 'बेकार समय न बर्बाद करो। अब यहां तमाशा न लगाओ। चलो जल्दी क्रिया-करम कर दिया जाये।' (2) श्यामा की जली हुई लाश थाने पहुंची तो वहां पहले से ही दो नवविवाहिता लड़कियों की जली हुई लाशें रखी थीं। थाने में शांति थी। पीपल के पत्ते हवा में खड़खड़ा रहे थे और जीप का इंजन लंबी-लंबी सांसें ले रहा था