कहानी - लकड़ियाँ / असगर वज़ाहत

कहानी - लकड़ियाँ
असगर वज़ाहत
(1) श्यामा की जली हुई लाश जब उसके पिता के घर पहुंची तो बड़ी भीड़ लग गयी। इतनी भीड़ तो उसकी शादी में विदाई के समय भी नहीं लगी थी। श्याम की बहनों की हालत अजीब थी क्योंकि वे कुंवारी थीं। श्यामा की मां लगातार रोई जा रही थी। रिश्तेदार उसे दिलासा भी क्यों देते। श्यामा के पिता जली हुई श्यामा को देख रहे थे। उनकी आंखों से आंसू बहे चले जा रहे थे। श्यामा का पति और देवर पास खड़े थे। श्यामा के पति ने श्यामा के पिताजी से कहा 'पापा आप रोते क्यों हैं. . .श्यामा को बिदा करते समय आपने ही तो कहा था कि बेटी तुम्हारी डोली इस घर जा रही है अब तुम ससुराल से तुम्हारी अर्थी ही निकले।' देवर बोला 'चाचा जी श्यामा ने आपकी इच्छा जल्दी ही पूरी कर दी।' श्यामा के ससुर जी बोले 'बेकार समय न बर्बाद करो। अब यहां तमाशा न लगाओ। चलो जल्दी क्रिया-करम कर दिया जाये।'
(2) श्यामा की जली हुई लाश थाने पहुंची तो वहां पहले से ही दो नवविवाहिता लड़कियों की जली हुई लाशें रखी थीं। थाने में शांति थी। पीपल के पत्ते हवा में खड़खड़ा रहे थे और जीप का इंजन लंबी-लंबी सांसें ले रहा था। दरोगा जी को खबर की गयी तो वे पूजा इत्यादि करके बाहर निकले और श्यामा की जली लाश को देखकर बोले, 'यार ये लोग एक दिन मं एक ही लड़की को जलाकर मारा करें। एक दिन में तीन-तीन लड़कियों की जली लाशें आती हैं। कानूनी कार्यवाही भी ठीक से नहीं हो पाती।' सिपाही बोला, 'सरकार इससे तो अच्छा लोग हमारे गांव में करते हैं। लड़कियों को पैदा होते ही पानी में डुबोकर मार डालते हैं।' दरोगा बोले, 'ईश्वर सभी को सद्बुद्धि दे।'

(3) श्यामा की लाश अदालत पहुंची। जब सबके बयान हो गये तो श्यामा की जली लाश उठकर खड़ी हो गयी और बोली, 'जज साहब मेरा भी बयान दर्ज किया जाये।' श्यामा के पति का वकील बोला, 'मीलार्ड ये हो ही नहीं सकता, जली हुई लड़की बयान कैसे दे सकती है।' पेशकार बोला, 'सरकार यह तो गैरकानूनी होगा।' क्लर्क बोला, 'हजूर ऐसा होने लगा तो कानून व्यवस्था का क्या होगा।' श्यामा ने कहा, 'मेरा बयान दर्ज किया जाये।' अदालत ने कहा, 'अदालत तुम्हारा दर्ज नहीं कर सकती क्योंकि तुम जलकर मर चुकी हो।' श्यामा ने कहा, 'दूसरी लड़कियां तो ज़िंदा हैं।' अदालत ने कहा, 'ये तुम लड़कियों की बात कहां से निकल बैठी।'

(4) श्यामा की जली लाश जब अखबार के दफ़्तर पहुंची तो नाइट शिफ़्ट का एक सब-एडीटर मेज़ पर सिर रखे सो रहा था। श्यामा ने उसका कंधा पकड़कर जगाया तो वह आंखें मलता हुआ उठकर बैठ गया। उसने श्यामा की तरफ देखा और उसे 'आपका अपना शहर` पन्ने के कोने में डाल दिया। श्यामा ने कहा, 'अभी तीन साल पहले ही मेरी शादी हुई थी मेरे पिता ने पूरा दहेज दिया था लेकिन लालची ससुराल वालों ने मुझे दहेज के लालच में अपने लड़के की दूसरी शादी की लालच में मुझे जलाकर मार डाला।' सब-एडीटर बोला, 'जानता हूं, जानता हूं. . .वही लिखा है. . .हम अखबार वाले सब जानते हैं।' 'तो तुम पहले पन्ने पर क्यों नही डालते,' श्यामा ने कहा। सब-एडीटर बोला, 'मैं तो बहुत चाहता हूं। तुम ही देख लो पहले पन्ने पर जगह कहां है। लीड न्यूज लगी है। देश ने सौ अरब रुपये के हथियार खरीदे हैं। सेकेण्ड लीड है मंत्रिमण्डल ने चांद पर राकेट भेजने का निर्णय लिया है। आठ आतंकवादी मार गिराये गये हैं और सुपर डुपर हुपर स्टार को हॉलीवुड की फिल्म में काम मिल गया है। बाकी पेज पर 'फिटमफिट अण्डर वियर` है।' 'कहीं कोने में मुझे भी लगा दो', श्यामा बोली। 'लगा देता. . .पर नौकरी चली जायेगी।'
(5) श्यामा की जली हुई लाश जब प्रधनमंत्री सचिवालय पहुंची तो हड़कंप मच गया। सचिव-वचिव उठ-उठकर भागने लगे। संतरी पहरेदार डर गये। उन्हें श्यामा की शकल अपनी लड़कियों से मिलती जुलती लगी। इतने में विशेष सुरक्षा दस्ते वाले, छापामार युद्ध में दक्ष कमाण्डो आ गये और श्यामा की तरफ बंदूकें, संगीनें तानकर खड़े हो गये। पुलिस अधिकारी ने कहा, 'एक कदम भी आगे बढ़ाया तो गोलियों से छलनी कर दी जाओगी।' 'मैं प्रधनमंत्री से मिलना चाहती हूं।' 'प्रधनमंत्री क्या करेंगे. . .यह पुलिस केस है।' 'पुलिस क्या करेगी?' 'अदालत में मामला ले जायेगी।' 'अदालत क्या करेगी. . . वही जो मुझसे पहले जलाई गयी लड़कियों के हत्यारों के साथ किया है। मैं तो प्रधानमंत्री से मिलकर रहूंगी,' श्यामा की जली लाश आगे बढ़ी। और अधकि हड़कम्प मच गया। उच्च स्तरीय सचिवों की बैठक बुला ली गयी और तय पाया कि श्यामा को प्रधनमंत्री के सामने पेश करने से पहले गृहमंत्री, विदेश मंत्री, वित्त मंत्री, समाज कल्याण मंत्री आदि का बुला लिया जाये। नहीं तो न जाने श्यामा प्रधनमंत्री से क्या पूछ ले कि जिसका उत्तर उनके पास न हो।
(6) श्यामा की जली लाश जब बाज़ार से गुज़र रही थी तो लोग अफसोस कर रहे थे। 'यार बेचारी को जलाकर मार डाला।' 'क्या करें यार. . .ये तो रोज़ का खेल हो गया।' 'पर यार इस तरह. . .नब्बे परसेंट जली है।' 'अरे यार इसके पापा को चाहिए था कि मारुति दे ही देता।' 'कहां से लाता, उसके पास तो स्कूटर भी नहीं है।' 'तो फिर लड़की पैदा ही क्यों की?' 'इससे अच्छा था, एक मारुति पैदा कर देता।'
(7) श्यामा की जली लाश जब अपने स्कूल पहुंची तो लड़कियों ने उसे घेर लिया। न श्यामा कुछ बोली, न लड़कियां कुछ बोली, न श्यामा कुछ बोली, न लड़कियां कुछ बोली, न श्यामा कुछ बोली, न लड़कियां कुछ बोली, खामोशी बोलती रही। कुछ देर के बाद एक टीचर ने कहा, 'आठवीं में कितने अच्छे नंबर आये थे इसके।' दूसरी टीचर ने कहा, 'दसवीं में इसके नंबर अच्छे थे।' तीसरी ने कहा 'आगे पढ़ती तो अच्छा कैरियर बनता।' श्यामा की लाश होठों पर उंगलियां रखकर बोलीं, 'शी{शी{शी. . .आदमी भी सुन रहे हैं।'
(8) श्यामा की जली हुई लाश उन पंडितजी के घर पहुंची जिन्होंने उसके फेरे लगवाये थे। पंडित जी श्यामा को पहचान गये। श्यामा ने कहा, 'पंडित जी मुझे फिर से फेरे लगवा दो।' पंडित जी बोले, 'बेटी, अब तुम जल चुकी हो, तुमसे अब कौन शादी करेगा।' श्यामा बोली, 'पंडित जी शादी वाले नहीं, उल्टे फेरे लगवा दो।' पंडित जी बोले, 'बेटी तुम चाहती क्या हो?' श्यामा बोली, 'तलाक' पंडित जी ने कहा, 'अरे तुम जल चुकी हो, तुम्हें क्या फर्क पड़ेगा तलाक से।' श्यामा बोली, 'हां आप ठीक कहते हैं, उल्टे फेरों से न मुझ पर अंतर पड़ेगा. . .न आप पर अंतर पड़ेगा. . .न मेरे पति पर फर्क पड़ेगा. . .पर जिनके सीधे फेरे लगने वाले हैं उन तो अंतर पड़ेगा।'
(9) श्यामा की जली लाश भगवान के घर पहुंची तो भगवान सृष्टि को चलाने का कठिन काम बड़ी सरलता से कर रहे थे। श्यामा ने भगवान से पूछा, 'सृष्टि के निर्माता आप ही हैं?' भगवान छाती ठोंककर बोले, 'हां मैं ही हूं।' 'संसार के सारे काम आपकी इच्छा से होते हैं।' 'हां, मेरी इच्छा से होते हैं।' 'मुझे आपकी इच्छा से ही जलाकर मार डाला गया था।' 'हां, तुम्हें मेरी ही इच्छा से जलाकर मार डाला गया था।' 'मेरे पति के लिए आपने ऐसी इच्छा क्यों नहीं की थी?' 'पति परमेश्वर होते हैं। वे जलते नहीं, केवल जलाते हैं।'
(10) श्यामा की जली लाश मानव अधिकार समिति वाले के पास पहुंची तो वे सब उठकर खड़े हो गये। उन्होंने कहा, 'यह जघन्य अपराध है। हमने इस तरह के बीस हज़ार मामलों का पता लगा कर मुक़दमे दायर कराये हैं लेकिन आमतौर पर अपराधी बच निकलते हैं। लोगों में लोभ और लालच बहुत बढ़ गया है, धन के लिए वे कुछ भी कर सकते हैं। ये सब जानते हैं।' श्यामा बोली, 'इसीलिए मैं खामोश हूं।' सदस्यों ने कहा, 'बोलो श्यामा बोलो. . .बोलो. . .जब तक तुम नहीं बोलोगी हमारी आवाज़ कोई नहीं सुनेगा।'

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