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Showing posts from May, 2019

प्रेमचंद्र की कहानी - नशा

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प्रेमचंद्र की कहानी   - नशा ईश्वरी एक बड़े जमींदार का लड़का था और मैं एक गरीब क्लर्क का , जिसके पास मेहनत-मजूरी के सिवा और कोई जायदाद न थी। हम दोनों में परस्पर बहसें होती रहती थीं। मैं जमींदारी की बुराई करता , उन्हें हिंसक पशु और खून चूसने वाली जोंक और वृक्षों की चोटी पर फूलने वाला बंझा कहता। वह जमींदारों का पक्ष लेता , पर स्वभावत: उसका पहलू कुछ कमजोर होता था , क्योंकि उसके पास जमींदारों के अनुकूल कोई दलील न थी। वह कहता कि सभी मनुष्य बराबर नहीं होते , छोटे-बड़े हमेशा होते रहते हैं और होते रहेंगे , लचर दलील थी। किसी मानुषीय या नैतिक नियम से इस व्यवस्था का औचित्य सिद्ध करना कठिन था। मैं इस वाद-विवाद की गर्मी-गर्मी में अक्सर   तेज हो जाता और लगने वाली बात कह जाता , लेकिन ईश्वरी हारकर भी मुस्कराता रहता था। मैंने उसे कभी गर्म होते नहीं देखा। शायद इसका कारण यह था कि वह अपने पक्ष की कमजोरी समझता था। नौकरों से वह सीधे मुँह बात नहीं करता था। अमीरों में जो एक बेदर्दी और उद्दण्डता होती है , इसमें उसे भी प्रचुर भाग मिला था। नौकर ने बिस्तर लगाने में जरा भी देर की , दूध जरूरत से ज्यादा गर्म य

प्रेमचंद की कहानी - आहुति

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 प्रेमचंद की कहानी - आहुति  आनन्द ने गद्देदार कुर्सी पर बैठकर सिगार जलाते हुए कहा-आज विशम्भर ने कैसी हिमाकत की! इम्तहान करीब है और आप आज वालण्टियर बन बैठे। कहीं पकड़ गये, तो इम्तहान से हाथ धोएँगे। मेरा तो खयाल है कि वजीफ़ा भी बन्द हो जाएगा। सामने दूसरे बेंच पर रूपमणि बैठी एक अखबार पढ़ रही थी। उसकी आँखें अखबार की तरफ थीं; पर कान आनन्द की तरफ लगे हुए थे। बोली-यह तो बुरा हुआ। तुमने समझाया नहीं? आनन्द ने मुँह बनाकर कहा-जब कोई अपने को दूसरा गाँधी समझने लगे, तो उसे समझाना मुश्किल हो जाता है। वह उलटे मुझे समझाने लगता है। रूपमणि ने अखबार को समेटकर बालों को सँभालते हुए कहा-तुमने मुझे भी नहीं बताया, शायद मैं उसे रोक सकती। आनन्द ने कुछ चिढक़र कहा-तो अभी क्या हुआ, अभी तो शायद काँग्रेस आफिस ही में हो। जाकर रोक लो। आनन्द और विशम्भर दोनों ही यूनिवर्सिटी के विद्यार्थी थे। आनन्द के हिस्से में लक्ष्मी भी पड़ी थी, सरस्वती भी; विशम्भर फूटी तकदीर लेकर आया था। प्रोफेसरों ने दया करके एक छोटा-सा वजीफा दे दिया था। बस, यही उसकी जीविका थी। रूपमणि भी साल भर पहले उन्हीं के समकक्ष थी; पर इ

लिओनार्दो दा विंसी के उद्धरण Quotes of Leonardo da Vinci

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लिओनार्दो दा विंसी के उद्धरण Quotes of Leonardo da Vinci अच्छी तरह से बिताया गया दिन सुखद नींद लाता है और अच्छी तरह से बिताई गयी ज़िन्दगी सुखद मौत।  As a well-spent day brings happy sleep, so a life well spent brings happy death. लोगों को तीन वर्गों में बाँटा जा सकता है I वे जो देखते हैं, वे जो तब देखते हैं जब उन्हें दिखाया जाता है, और वे जो नहीं देखते हैं। There are three classes of people: those who see, those who see when they are shown, those who do not see. वह, जो सिद्धांत के बिना व्यवहार को पसंद करता है, उस नाविक के समान होता है जो बिना पतवार और कुतुबनुमा के जहाज़ पर सवार हो जाता है और यह जानता ही नहीं कि वह कहाँ जा पहुँचेगा। He who loves practice without theory is like the sailor who boards ship without a rudder and compass and never knows where he may cast. एक बार उड़ने का स्वाद चख लेने के बाद जब तुम ज़मीन पर चलोगे तो तुम्हारी आँखें आसमान की ओर देखती रहेंगी, क्योंकि वहाँ तुम कभी थे और वापस फिर से वहाँ होने के लिए तुम ललकते रहोगे। For once you have tasted