Posts

Showing posts from May, 2020

कविता - रोटियों की ख़ातिर / आनन्‍द सिंह

Image
कविता - रोटियों की ख़ातिर / आनन्‍द सिंह   इन रोटियों की ही तलाश में ही वे आये थे गाँव से उजड़कर शहर में रोटियों की ही ख़ातिर उन्होंने फ़ैक्टरी में लोहा गलाया और गलाया अपना हाड़मांस अचानक रोटी की तलाश में वे फिर से गाँव की ओर रुखसत हुए लेकिन इससे पहले कि वे रोटी खा पाते उनके गलाये गए लोहे की पटरियों और पहियों के बीच कुचल दिया गया उनका हाड़मांस संदर्भ -  आज यानी 8 मई को महाराष्ट्र के औरंगाबाद में रेलवे ट्रैक पर सो रहे 16 मजदूर ट्रेन की चपेट में आकर मारे गए। फोटो में दिख रही रोटियां उन्हीं में से किसी मजदूर की है। यूं तो यह मौतें एक दुर्घटना के तौर पर दर्ज होंगी पर यह संस्थागत हत्याएं हैं। पूरे देश में मजदूरों मेहनतकशों के आज हाल बेहाल हैं। सरकार ने लॉक डाउन तो कर दिया पर मजदूरों के लिए कहीं पर कोई सुविधा नहीं है। ज्यादातर जगहों पर स्वयंसेवी संगठन या कुछ उदार हृदय लोग मजदूरों के लिए खाने की व्यवस्था कर रहे हैं पर जाहिर है कि वह पूरे देश के मजदूरों के लिए कभी भी पर्याप्त नहीं हो सकता। फासीवादी सरकार और अमानवीय प्रशासनिक अमले के लिए अभी भी मजदूर सिर्फ एक संख्या ही

चटगाँव विद्रोह की शहीद क्रान्तिकारी प्रीतिलता वाडेदार के जन्मदिवस (5 मई 1911) पर

Image
चटगाँव विद्रोह की शहीद क्रान्तिकारी प्रीतिलता वाडेदार के जन्मदिवस ( 5 मई  1911) पर आज हम एक ऐसी क्रान्ति‍कारी साथी का जीवन परि‍चय दे रहे हैं जि‍न्होंने जनता के लिए चल रहे संघर्ष में बेहद कम उम्र में बेमि‍साल कुर्बानी दी। प्रीति‍लता वाडेदार का जन्म 5 मई , 1911 को चटगाँव में हुआ था। उनके पि‍ता जगतबन्धु जि‍ला मजिस्ट्रेट कार्यालय में बड़े बाबू थे और माँ प्रति‍भामयी ‘महि‍ला जागरण’ के काम में लगी थीं। प्रीति‍लता वाडेदार बहुत ही प्रति‍भाशाली युवती थीं। 1930 में उन्होंने ढाका कॉलेज से 12 वीं पास की और पूरे कालेज में प्रथम आयीं। स्कूली जीवन में ही वे बालचर-संस्था की सदस्य हो गयी थीं। वहाँ उन्होंने सेवाभाव और अनुशासन का पाठ पढ़ा। बालचर संस्था में सदस्यों को ब्रिटिश सम्राट के प्रति एकनिष्ठ रहने की शपथ लेनी होती थी। संस्था का यह नियम प्रीतिलता को खटकता था। उनके मन में बग़ावत का बीज यहीं से पनपा था। देश में कि‍सानों-मज़दूरों की दुर्दशा और उन पर अँग्रेजों द्वारा बर्बर शोषण , उत्पीड़न देखकर प्रीति‍लता के मन में तूफान उठा और उन्होंने अपनी प्रति‍भा और योग्यता का उपयोग अपना कैरि‍यर बनाने पर न