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Showing posts from July, 2020

महान जर्मन कवि और चिन्‍तक जोहान वोल्‍फगांग गोएठे की कुछ सूक्तियाँ

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महान जर्मन कवि और चिन् ‍ तक जोहान वोल् ‍ फगांग गोएठे की कुछ सूक्तियाँ   यह जानने के लिए कि आसमान हर जगह नीला है , सारी दुनिया का सफर करना ज़रूरी नहीं है। साहित् ‍ य का उसी हद तक पतन होता है , जिस हद तक इन् ‍ सान पतित होते हैं। गलत की सुविधा यह है कि उसपर हमेशा लम् ‍ बी बात की जा सकती है , सही को काम में लाना पड़ता है , नहीं तो वह खत् ‍ म हो जाता है। उनसे अधिक बदतर ग़ुलाम और कोई नहीं होता , जिन् ‍ हें यह झूठा विश् ‍ वास होता है कि वे आज़ाद हैं। छोटे सपने मत देखो क् ‍ योंकि उनमें लोगों के दिलों को झकझोरने की ताक़त नहीं होती। अगर दो लोग एक दूसरे से संतुष् ‍ ट हैं , तो लगभग निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि उन् ‍ हें भ्रम है। जानना काफ़ी नहीं , अमल में लाना होगा। इच् ‍ छा करना काफी नहीं , कर्म करना होगा। सारे कानून बूढ़ों के बनाये होते हैं। युवा और महिलाएँ अपवाद चाहते हैं , वयोवृद्ध लोग नियम। हर रोज़ हमें कम से कम एक छोटा गीत सुनना चाहिए , एक अच् ‍ छी कविता पढ़नी चाहिए , एक उत् ‍ कृष् ‍ ट चित्र देखना चाहिए , और यदि मुमकिन हो तो , थोड़े से समझदारी भरे शब् ‍ द बोलने चाहिए। स

स्वयं प्रकाश की कहानी - अकाल मृत्यु

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कहानी - अकाल मृत्यु स्वयं प्रकाश बात तब की है जब मैं नवीं कक्षा में पढ़ता था। हमारी कक्षा में अमृतलाल नाम का एक लड़का था। प्यार से सब उसे ' इम्मी ' कहते थे। इम्मी फुटबॉल का बहुत अच्छा खिलाड़ी था। वह न सिर्फ स्कूल की फुटबॉल टीम में था बल्कि संभाग की टीम में भी खेल चुका था। उसकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। कई बार वह समय पर फीस जमा नहीं करवा पाता था और उसे अक्सर अपनी फीस माफ करवाने के लिए इस-उस के पीछे घूमते देखा जा सकता था। उससे कहा गया था कि जिस दिन उसका चयन राज्यस्तरीय टीम में हो जाएगा , उसकी फीस माफ कर दी जाएगी। नतीजा यह कि स्कूल के बाद अँधेरा होने तक वह स्कूल के मैदान पर फुटबॉल खेलता रहता - चाहे अकेला ही , या दौड़ते हुए मैदान के चक्कर लगाता रहता। एक दिन सुबह-सुबह पता चला कि इम्मी के पिताजी की मृत्यु हो गई है। हमें बड़ा दुख हुआ। पूरी कक्षा पर जैसे पाला पड़ गया। आधी छुट्टी में जब बाहर निकले तो सड़क से इम्मी के पिताजी की शवयात्रा निकल रही थी। सबसे आगे एक आदमी इम्मी की बाँह थामे चल रहा था। इम्मी के हाथ में एक छींका था जिसमें एक धुआँती मटकी रखी थी। पीछे-पीछे उ

विश्‍व प्रसिद्ध कहानीकार अंतोन चेखव की कहानी - क्लर्क की मौत Anton Chekhov's Story - The Death of a Government Clerk

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विश्‍व प्रसिद्ध कहानीकार अंतोन चेखव की कहानी - क्लर्क की मौत  For English version please scroll down  एक सुन्दर रात को क्लर्क , इवान द्मीत्रिच चेरव्यकोव अव्वल दर्जे की दूसरी पंक्ति में बैठकर दूरबीन की मदद से , ‘ लक्लोचेस दे कर्नविल ’ का आनन्द ले रहा था। वह खेल देख रहा था और अपने को सबसे सुखी मनुष्य समझ रहा था , जब यकायक... कहानियों में ‘ यकायक ’ एक घिसा-पिटा शब्द हो गया है , किन्तु लेखक सही ही हैं: ज़िन्दगी अचम्भों से भरी है! तो , यकायक उसका चेहरा सिकुड़ गया , उसकी आँखें आसमान की ओर चढ़ गयीं , उसकी साँस रुक गयी...वह आँखों से दूरबीन हटाकर अपने स्थान पर दोहरा हो गया और...आक छीं!!! कहने का मतलब यह कि उसे छींक आ गयी। यूँ तो हर किसी को जहाँ चाहे छींकने का हक़ है। किसान , थाने के दारोगा , यहाँ तक कि प्रिवी कौंसिल के मेम्बर तक छींकते हैं - हर कोई छींकता है , हर कोई। चेरव्यकोव को इससे कोई झेंप नहीं लगी , रूमाल से उसने अपनी नाक पोंछी और एक शिष्ट व्यक्ति होते हुए अपने चारों तरफ़ देखा कि कहीं उसकी छींक से किसी को असुविधा तो नहीं हुई ? और तभी वह सचमुच झेंप गया क्योंकि उसने एक वृद्ध व्यक्ति