'कॉमरेड चे! तुम्हें तुम्हारे उत्तराधिकारियों का संग्रामी लाल सलाम!'
कविता कृष्णपल्लवी
तुमने कहा था
सूरज उगेगा
चलो चलें
अचिन्हि्त राहों पर...
अपने संघर्ष के कठिनतम दिनों में चे गुएवारा ने अपनी डायरी के पन्नों पर अपने अनन्य मित्र और सहयोद्धा फिदेल कास्त्रो के लिए एक कविता लिखी थी, जिसमें ये पंक्तियाँ थीं।चे गुएवारा ने डाक्टरी की शिक्षा ली थी और एक समय आया जब उसके एक ओर दवाइयों का बक्सा था और दूसरी ओर बंदूक। युवा चे ने दासता और उत्पीड़न की बीमारी से लातिन अमेरिका को छुटकारा दिलाने के लिए डाक्टरी की जगह क्रान्ति का पेशा चुना और दवाइयों के बक्से की जगह बंदूक उठाकर जनमुक्ति समर में कूद पड़ा। फिदेल और अन्य मुक्तियोद्धाओं के साथ चे क्यूबा में अमेरिकी साम्राज्यवाद के टट्टू, भ्रष्ट और जालिम तानाशाह बतिस्ता की सत्ता के विरुद्ध सशस्त्र संघर्ष की शुरुआत की। सदियों पुरानी गुलामी के अँधेरे की छाती पर क्रांति का सूरज क्यूबा में उग चुका था। पर चे की विकल आत्मा पूरे लातिन अमेरिका महादेश में जनमुक्ति समर की लहर दावानल की आग के समान फैला देने को व्यग्र थी। क्यूबा की क्रांतिकारी सत्ता में कृषि मंत्रालय का कार्यभार छोड़कर जल्दी ही वह निकल पड़ा अपनी नयी मुहिम पर, और बोलीविया के जंगलों में सी.आइ.ए. समर्थित भाड़े के सैनिकों ने गिरफ्तारी के बाद बेरहमी के साथ उसकी हत्या कर दी। लेकिन शहीद चे साम्राज्यवादियों और पूँजीपतियों के लिए लगातार ज़िन्दा चे की ही तरह आतंक बना रहा। दुनिया भर के मुक्तिकामी युवाओं के लिए चे क्रांतिकारी स्पिरिट का प्रतीक बन गया।
चे गुएवारा साम्राज्यवाद के विरुद्ध लड़ते हुए एक मध्यवर्गीय युवा क्रांतिकारी से कम्युनिस्ट बना था। एक छापामार का कठिन जीवन बिताते हुए भी कम्युनिज्म के सिद्धान्तों और समाजवादी प्रयोंगों का उसका अध्ययन लगातार जारी था। अपने क्रांतिकारी जीवन के उत्तरवर्ती चरण में वह चीन के समाजवादी प्रयोंगों का गहन दिलचस्पी के साथ अध्ययन कर रहा था। चे की शहादत ने उसकी विचारयात्रा को बीच में ही रोक दिया।
आज हम एक ऐसे समय में जी रहे हैं, जब बीसवीं शताब्दी में सृजित सर्वहारा क्रांतियों के पहले संस्करण नष्ट हो चुके हैं। श्रम और पूँजी के बीच जारी विश्व ऐतिहासिक महासमर के पहले चरण का समापन पूँजी के शिविर की जीत के रूप में हुआ है। लेकिन यह इतिहास का अंत नहीं है। पूँजी की जीत एक फिलहाली सच्चाई है। नवउदारवाद की भूमण्डलीय लहर ने चतुर्दिक जिस संकट को जन्म दिया है, वह आने वाले दिनों ने नये क्रांतिकारी तूफानों के उठ खड़े होने के पूर्वसंकेत अभी से देने लगा है। क्रांति की लहर पर प्रतिक्रांति की लहर अभी भी हावी है, पर यह स्थिति बहुत दिनों तक नहीं बनी रहेगी। वह समय दूर नहीं जब श्रम और पूँजी के बीच विश्व ऐतिहासिक महासमर का दूसरा चक्र झंझावाती वेग से गतिमान हो जायेगा, जो इस सदी में नयी सर्वहारा क्रांतियों को जन्म देगा।
लातिन अमेरिका भावी क्रांतिकारी तूफानों का एक केन्द्र बनता हुआ अभी से दीख रहा है। चे गुएवारा मुक्ति स्वप्नों का प्रतीक है। और मुक्ति स्वप्नों की कभी मृत्यु नहीं होती। चे गुएवारा ने अपनी शहादत से कुछ ही दिनों पहले लिखा था:
''साम्राज्यवाद के खिलाफ हमारा हर कदम संघर्ष के लिए जुझारू पुकार और मानव जाति के भयानकतम शत्रु -- संयुक्त राज्य अमेरिका -- के विरुद्ध लोकप्रिय एकता के सम्मान में युद्धगीत है। यदि मृत्यु हमें घेर लेती है तो हम इस आशा के साथ उसका स्वागत करेंगे कि लोग हमारी जुझारू पुकार को सुनेंगे, दूसरे हाथ हमारे हथियारों को उठा लेंगे और लोग अपने गीतों की लय को तोपों की आवाज़ से मिलाकर युद्ध करते रहेंगे तथा विजय प्राप्त करते रहेंगे।''
यदि हम इक्कीसवीं शताब्दी में विश्व पूँजीवाद के विरुद्ध उस निर्णायक युद्ध को छेड़ने के लिए तैयार हैं, जिसकी भविष्ववाणी चे गुएवारा और भगतसिंह ने की थी, तो हमारा हक़ बनता है कि हम तनी हुए मुट्ठियाँ हवा में लहराते हुए, भरे दिल और खुले गले से कहें: 'कॉमरेड चे! अपने उत्तराधिकारियों का स्वीकारो लाल सलाम!!
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