कहानी - सफ़ेद बर्फ़ पर लाल खून की धार / गाब्रिएल गार्सिया मार्केज़
कहानी - सफ़ेद बर्फ़ पर लाल खून की धार
गाब्रिएल गार्सिया मार्केज़
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जब रात घिरने पर वे सीमा पर पहुँचे
नेना डकॉन्ट को तब पता चला कि उसकी शादी की अँगूठी वाली अँगुली से अभी भी खून रिस
रहा था। अपने पैरों को कठिनाई से पिरेनीज (यूरोप के दक्षिणी पहाड़) की प्रचंड हवा
के झोंकों में टिकाए, खुरदुरे ऊन के कम्बल में लिपटे,
पेटेंट-चमड़े के तोकोने हैट से ढ़ँके सिविल गार्ड
ने कारबाइड की लालटेन की रोशनी में उनके पासपोर्ट की जाँच की। हालाँकि दोनों
डिप्लोमेटिक पासपोर्ट पूरी तरह चाक-चौबंद थे फ़िर भी गार्ड ने लालटेन उठा कर
पासपोर्ट के फ़ोटोग्राफ़ से चेहरों का मिलान कर पक्का किया। नेना डकॉन्ट करीब-करीब
बच्ची थी, एक चहकती हुई चिड़िया की आँखों वाली,
कैरीबियन सूर्य वाली शीरे जैसी उसकी त्वचा जनवरी
की उदास धुंध में भी चमक रही थी। वह ठुड्डी तक मिंक कोट में लिपटी थी, कोट जो समस्त सीमा रक्षकों के साल भार के वेतन से
भी नहीं खरीदा जा सकता था। कार चला रहा उसका पति बिली सेंचेज डे अविला उससे एक
वर्ष छोटा और उतना ही खूबसूरत था। उसने मजबूत ऊनी कपड़े का जैकेट और बेसबॉल हैट
पहना हुआ था। अपनी पत्नी के विपरीत वह लंबा तथा कसरती डीलडौल वाला था और एक संकोची
डाकू जैसे उसके जबड़े थे। परंतु उनके रुतबे को चीज सबसे अधिक प्रदर्शित कर रही थी
वह थी उनकी सिल्वर ऑटोमोबील, जिसका
भीतरी भाग जिंदा जानवर की भाँति उसांस भार रहा था। इस दरिद्र सीमा-चौकी पर ऐसी
कीमती कार पहले कभी नहीं देखी गई थी। कार की पिछली सीट बिल्कुल नए सूटकेसों से
अँटी पड़ी थी और उपहार के बहुतेरे पैकेट अभी खुले नहीं थे। उनके बीच एक टेनर
सेक्सोफ़ोन भी था, जो अपने समुद्र तटीय कोमल लफ़ंगे
प्रेमी का शिकार बन कर बेचैन होने के पहले तक उसे जान से भी अधिक प्यारा था।
जब गार्ड ने मुहर लगा कार पासपोर्ट
लौटा दिया तो बिली सेंचेज ने पूछा कि उन्हें दवा की दुकान कहाँ मिलेगी, जहाँ वह अपनी पत्नी की अँगुली का इलाज करवा सके।
गार्ड ने हवा में चिल्ला कर कहा कि उन्हें सीमा के उस पार फ़्रांस की ओर हेंडेय में
पता करना चाहिए। परंतु हेंडेय के गार्ड एक गर्म तथा रौशन केबिन में बैठे मस्ती में
ताश खेलते हुए गिलासों की शराब में डुबो कर ब्रैड खा रहे थे। उन्होंएने कार का
आकार और बनावट देख कर हाथ हिला कर उसे फ़्रांस में जाने की इजाजत दे दी। बिली
सेंचेज ने कई बार हॉर्न दबाया पारंतु गार्ड समझे नहीं कि वह उन्हें बुला रहा है।
उनमें से एक ने खिड़की खोल कर अंधड़ से भी तीखी आवाज में चिल्ला कर कहा:
“प्लीज! चले जाओ।”
तब नेना डेकॉन्ट अपने कोट को कान तक
चढ़ा कर कार से बाहर निकली। उसने गार्ड से विशुद्ध फ़्रेंच में पूछा, क्या यहाँ कहीं दवाखाना है। आदतन गार्ड ने ब्रैड
भरे मुँह से जवाब दिया कि यह उसकी बला नहीं है, खासकर ऐसे तूफ़ान में तो बिल्कुल भी नहीं और उसने खिड़की बंद कर ली।
परंतु फ़िर उसने असली मिंक की चमक में लिपटी और अपनी चोटीली अँगुली चूसती हुई लड़की
को ध्यान से देखा। उसने शायद उसे उस भयंकर रात का जादूई दृश्य समझा क्योंकि तत्काल
उसका मूड बदल गया। उसने बताया कि सबसे नजदीकी शहर बियारिज है लेकिन इस ठंड में जब
हवा भेड़ियों की तरह गुर्रा रही है उन्हें थोड़ा और आगे बेओन से पहले शायद ही कोई
दवाखाना मिले।
“क्या यह सीरियस है?” उसने पूछा।
“कुछ खास नहीं,” नेना ड्कॉन्ट ने मुस्कुराते हुए अपनी हीरे की
अँगूठी वाली अँगुली दिखाई जिसकी पोर पर जरा-सी गुलाबी खरोंच थी। “बस जरा-सा काँटा
था।”
उनके बेओन पहुँचने से पहले ही फ़िर से
हिमपात होने लगा। सात से ज्यादा नहीं बजा था पारंतु सड़कें वीरान मिली और तूफ़ान की
भयंकरता के कारण घर बंद थे। काफ़ी ढ़ूँढ़ने-पूछने और कई जगहों की खाक छानने के बाद के
बाद भी दवाखाना न मिलने पर उन्होंने चलते चले जाने का निर्णय लिया। इस निर्णय ने बिली
सेंचेज को प्रसन्न कर दिया। उत्कृष्ट गाड़ियों के लिए उसके भीतर अदम्य उमंग थी।
उसके पिता एक ऐसे पिता थे जिनके भीतर अपराधबोध था और जिअन्के पास उसकी वाहियात
माँगों को पूरा करने के अनंत स्रोत थे। परंतु शादी के उपलक्ष्य में मिली
कन्वर्टिबल बेंटली ऐसी कार थी जैसी उसने पहले कभी नहीं चलाई थी।
स्टेयरिंग व्हील पर उसकी प्रसन्नता
का उन्माद इतना सघन था कि जितना ही वह कार चला रहा था, उतनी ही कम थकावट उसे लग रही थी। वह उसी रात बोरडों पहुँच जाना चाहता
था। उन्होंने होटल स्लेंडिड का ब्राइडल सुइट आरक्षित करवाया था और सारी विपरीत हवा
और आकाश की सारी बर्फ़ भी उसे रोक नहीं सकती थी। दूसरी ओर नेना ड्कॉन्ट बुरी तरह थक
चुकी थी। खासकर मैड्रिड हाइवे के आखिरी हिस्से की यात्रा, जिसकी ऊँचाई का कगार पहाड़ी बकरियों के लिए उपयुक्त था और जहाँ ओलों की
मार पड़ रही थी। अत: बेओन के बाद उसने अपनी अँगुली से बहते खून को रोकने के लिए खूब
कस कर रूमाल की पट्टी बाँध ली और गहरी नींद में सो गई। बिली सेंचेज ने करीब आधी
रात गुजरने तक इस पर ध्यान नहीं दिया कि बर्फ़ का गिरना थम गया है और देवदारों के
बीच हवा रुक गई थी तथा चारागाह के ऊपर आकाश हिमानी सितारों से जगमगा उठा था। वह उनींदी रोशनी वाले बोरडो को
पार करगया था। केवल हाइवे के एक स्टेशन पर टैंक भरवाने रुका था, अभी भी उसके पास पेरिस तक बिना रुके ड्राइव करने
की ऊर्जा थी; वह अपने २५,००० पाउंड के बड़े खिलौने को ले कर इतना मगन था कि उसे इस बात का ध्यान ही नहीं आया कि उसकी बगल में जो
उद्दीप्त सुंदरी अनामिका पर रक्तरंजित पट्टी बाँध कर सोई हुई है, जिसके किशोर स्वप्न में पहली बार अनिश्चितता
बिजली की तरह कौंध अर्ही है, वह भी
उसी की तरह अनुभव कर रही है अथवा नहीं।
दस हजार किलोमीटर दूर कार्टाजिना डि
इंडियाज में उसके अभिभावकों के मोहभंग और लड़के के माता-पिता के आश्चर्य तथा
आर्कबिशप के निजी आशीर्वाद से तीन दिन पहले उनकी शादी हुई थी। उन दोनों के अलावा
इस अप्रत्याशित प्रेम के वास्तविक आधार की समझ या उसके उत्स की जानकारी किसी को न
थी। एक रविवार को शादी के तीन महीने पहले यह प्रारंभ हुआ था। समुद्र तट पर। जब
बिली सेंचेज के गिरोह ने मारबेला समुद्र तट पर बने लेडीज ड्रेसिंगरूम पर धावा बोल
दिया था। हाल ही में नेना डकॉन्ट अट्ठारह साल की हुई थी। धड़ल्ले के साथ
शुद्ध-शुद्ध चार भाषाएँ बोलने वाली और सेक्सोफ़ोन बजाने की निपुणता के साथ वह स्विटजरलैंड
में सेंट-ब्लेयस के सेटलीन स्कूल से पढ़ कर घर वापस लौटी थी। वापिस आने के बाद
समुद्र तट पर यह उसका पहला रविवार था। वह कपड़े उतार कर पूरी तरह नंगी हुई थी और
तैराकी की पोशाक पहनने ही जा रही थी जब दहशत भरी भगदड़ और समुद्री डाकुओं की
चिल्लाहट पास के स्नानागार से सुनाई दी। उसे तब तक कुछ पता नहीं चला जब तक कि उसके
दरवाजे की सिटकनी उखड़ नहीं गई और उसने अपने सामने कल्पनातीत खूबसूरत डाकू को खड़े
पाया। वह चीते की नकली खाल की केवल एक चड्डी पहने हुए था और समुद्रतटीय निवासियों
जैसा उसका लचीला, सुगठित शरीर शांत तथा सुनहरे अरंग का
था। उसकी दाहिनी कलाई पर रोमन पेशेवर मल्ल द्वारा पहने जाने वाला धातु का कड़ा था
और मुट्ठी में लोहे की चेन लिपटी हुई थी जिसे वह मारक हथियार के रूप में प्रयोग
करता था। उसके गले में बिना किसी संत के चित्र का लॉकेट लटक रहा था जो निस्तब्धता
में उसके हृदय की धौंकनी के साथ उठ-गिर रहा था। दोनों ने एक ही प्राइमरी स्कूल में
पढ़ाई की थी, जन्मदिन की पार्टियों में एक साथ
छींके तोड़े थे। क्योंकि दोनों प्रोवेंशियल खानदानों से थे, जिन खानदानों ने औपनिवेशिक दिनों में शहर के भाग्य पर राज किया था।
लेकिन दोनों ने एक-दूसरे कई वर्षों से देखा नहीं था अत: पहले उन्होंने एक-दूसरे को
पहचाना नहीं। अपनी सघन नग्नता को छिपाने के लिए कुछ न करते हुए नेना डकॉन्ट अडिग
खड़ी रही। तब बिली सेंचेज ने अपना मूर्खतापूर्ण अनुष्ठान प्रारंभ किया। उसने तेंदुए
की खाल वाली अपनी चड्डी नीचे सरका दी और अपना गर्वीला उत्तेजित अंग उसे दिखाया।
नेना डकॉन्ट ने बिना किसी आश्चर्य के उसे देखा।
“मैंने इन्हें और बड़ा और कठोर देखा
है।” अपने भय को नियंत्रित करती हुई वह बोली। “इसीलिए सोच लो तुम जो करने जा रहे
हो, क्योंकि तुम्हें मेरे साथ हब्शी से
भी बेहतर काम कर दिखाना होगा।”
वास्तव में नेना डकॉन्ट न केवल
क्वाँरी थी बल्कि इसके पहले उसने किसी पुरुष को नंगा नहीं देखा था, फ़िर भी उसकी चुनौती असरदार रही। बिली सेंचेज बस
इतना ही कर पाया कि उसने चेन में लिपटी अपनी मुट्ठी दीवार पर दे मारी और अपना हाथ
तोड़ बैठा। वह उसे अपनी कार में अस्पताल ले गई और चंगा होने तक दर्द झेलने में उसकी
मदद करती रही। इसी बीच उन्होंने मैथुन का सही तरीका सीख लिया। उन्होंने जून की
कठिन दुपरियाँ घर की परछत्ती पर गुजारीं। घर जिसमें नेना डकॉर्ट के लब्धप्रतिष्ठित
पूर्वज गुजरे थे। वह सेक्सोफ़ोन पर प्रचलित धुनें बजाती और वह प्लास्टर वाले अपने
हाथ के साथ हैम्मक में बेकार पड़ा उसे निरंतर अपलक निहारता रहता। घर में खाड़ी के
जमे हुए दुर्गंधयुक्त पानी की ओर खुलने वाली फ़र्श से छत तक के आकार की अनगिनत
खिड़कियाँ थीं। यह घर ला मान्गा जिले का सबसे पुराना और सबसे बड़ा घर था तथा बिला शक
सबसे कुरूप भी। परंतु जहाँ नेना डकॉन्ट सेक्सोफ़ोन बजाती चौकोर टाइल्स वाले छत का
वह हिस्सा चार बजे की उमस में एक मरुउद्यान होता। यह हिस्सा सहन में खुलता था जहाँ
भरपूर छाया थी आम और केले के बेशुमार पेड़ थे। जिसके नीचे घर और परिवार की
स्मृतियों से भी पुरानी एक कब्र और एक बेनाम कब्र-पत्थर था। जो सम्गीत के जानकार न
थे वे भी सोचते कि सेक्सोफ़ोन ऐसे अभिजात्य के साथ मेल नहीं खाता है। जब
नेनाडेकॉन्ट की दादी ने उसे यह पहली बार बजाते सुना तो कहा, “ये एक्ज जहाज की आवाज की तरह लगता है।” नेना
डकॉन्ट की माँ ने बेकार समझाने की कोशिश की कि वह किसी दूसरी मुद्रा में बैठ कर
बजाए। जाँघों के ऊपर तक स्कर्ट चढ़ा कर और घुटने फ़ैला कर बजाने में आसानी होती है
यह बात उसे संगीत के लिए आवश्यक नहीं दीखती थी। वह कहती, “मुझे परवाह नहीं कि तुम कौन-सा बाजा बजाती हो पर तुम पैर सटा कर बजाओ।
परंतु उन्हीं नाविकों के विदाई गीत
और प्रेमोत्सवों ने नेना डकॉन्ट को बिली सेंचेज के चारों ओर लिपटे कटु आवरण को
भेदने में सहायता दी। बिली सेंचेज ने एक अनाड़ी क्रूर होने की ख्याति प्राप्त कर
रखी थी, जिसे संभाल कर रखने में उसे पूर्ण
सफ़लता प्राप्त हुई थी क्योंकि उसके साथ दो सुप्रसिद्ध परिवारों का नाम जुड़ा हुआ
था। लेकिन इस ख्याति के पीछे छिपे डरे हुए एक कोमल अनाथ को नेना डकॉन्ट ने खोज
निकाला था। जब उसके हाथ की हड्डी जुड़ रही थी दोनों ने एक-दूसरे को इतनी अच्छी तरह
जान लिया था कि बरसात की एक दोपहर जब घर में वे दोनों अकेले थे और नेना डकॉन्ट उसे
अपने क्वाँरे बिस्तर पर ले गई तो दोनों के बीच जिस तरलता से प्यार हुआ उससे बिली
सेंचेज को आश्चर्य हुआ। करीब दो सप्ताह तक वे प्रतिदिन उसी नियत समय पर नग्न गहन
आलिंगनबद्ध रहते और दीवार पार टँगी तस्वीरों से सिविल योद्धा तथा अतृप्त दादियाँ जिन्होंने
उसी ऐतिहासिक बिस्तर पर इनसे पहले स्वर्गिक अनुभव किया था आश्चर्यजनक नजरों से
इन्हें देखते रहते। काम-क्रीड़ा के अंतरालों में भी वे नंगे रहते और खिड़कियाँ खुली
रखते। समुद्र से जहाज के मलबे से आती तीखी बदबूदार हवा में सांस लेते, सहन की नीरवता में सेक्सोफ़ोन की एक तान, बेनाम कब्र पर गिरती पानी की बूँद की आवाज सुनते
– जीवन की स्वाभाविक हलचल जिसे जानने का अवसर इससे पहले उन्हें कभी नहीं मिला था।
जब नेना डकॉन्ट के माता-पिता घर वापस
लौटे तब तक ये दोनों प्यार में इतना आगे बढ़ चुके थे कि उसके सामने दुनिया की किसी
और चीज के लिए कोई स्थान नहीं बचा था। वे सारे समय, सारे स्थानों पर रतिक्रिया में डूबे रहते, हर बार उसे नए सिरे से अन्वेषित करते हुए। बिली सेंचेज के पापा ने
अपराधबोध की भावना से छुटकारा पाने के लिए जो स्पोर्ट कार उसे दी थी पहले वे उसी
में गुत्थमगुत्था हुए। जब कार में उन्हें आसानी होने लगी तो रात को मारबेला की
वीरान छोलदारियों में जाने लगे जहाँ भाग्य ने उन्हें पहली बार मिलाया था। नवंबर के
कार्नीवाल में वे जेस्टमानी के पुराने गुलाम इलाकों में स्वाँग भर कर कमरा किराए
पर ले कर रहने गए। उसी मैट्रन की देखरेख में जो कुछ महीनों पूर्व बिली सेंचेज और
उसके चेनधारी गैंग को झेलने को विवश हुई थी। नेना डकॉन्ट ने इस लुका-छिपी के प्रेम
में स्वायं को वैसे ही पागलपन से झोंक दिया जैसे कभी सेक्सोफ़ोन के लिए झोंका था।
उसका पालतू डाकू अंत में समझ गया – उसे हब्शी की तरह काम करना होगा – का मतलब क्या
था।बिली संचेज सदैव उसके प्यार का उत्तर दक्षता और बराबरी के उत्साह से देता। जब
उनकी शादी हो गई तो उन्होंने एटलांटिक के ऊपर कामक्रीड़ा का एक-दूसरे को दिया वचन
निभाया। जब परिचारिकाएँ सो रही थीं वे हवाईजहाज के टॉयलेट में ठुँसे हुए थे,
सुख से ज्यादा हँसी से बेहाल। शादी के चौबीस
घंटों के बाद केवल उन्हें पता था कि नेना डकॉन्ट दो महीने के गर्भ से है।
अत: जब वे मैड्रिड पहुँचे तब भी वे
अतृप्त प्रेमी थे लेकिन उन्हें नवविवाहितों की तरह व्यवहार करने की समझ थी। उनके
अभिभावकों ने सारी तैयारियाँ कर रखी थीं। विमान से उनके उतरने के पहले शिष्टाचार
विभाग के एक ऑफ़ीसर ने आ कर प्रथम श्रेणी के केबिन में नेना डकॉन्ट को काली किनारी
से चमकता एक मिंक कोट दिया जो उसके माता-पिता की ओर से उसके लिए उपहार था। उसने
बिली सेंचेज को मेमने के ऊन की जैकेट दी जो उस सीजन का फ़ैशन थी और जिसके पीछे लोग
पागल थे, साथ ही एयरपोर्ट के बाहार उनका
इंतजार कर रही एक सरप्राइज कार की चाबियों का गुच्छा थमाया।
उनके देश के डिप्लोमेटिक मिशन ने
ऑफ़ीशियल रिसेप्शनरूम में उनका स्वागत किया। राजदूत एवं उसकी पत्नी न केवल दोनों
परिवारों के मित्र थे वरन राजदूत एक डॉक्टर था जिसके हाथों नेना डकॉन्ट का जन्म
हुआ था। वह ऐसे सुर्ख और ताजे गुलाबों का गुलदस्ता ले कर उनका इंतजार कर रहा था
जिसकी ताजगी के सामने ओस भी नकली लगे। अपनी नववधु की स्थिति की सकुचाहट के साथ
उसने दोनों का दिखावटी चुम्बनों से अभिवादन किया और गुलदस्ता लिया। जब वह गुलाब ले
अर्ही थी एक काँटा उसकी अँगुली में खुब गया। लेकिन उसने अपनी मोहक चालाकी से इस
गड़बड़ी को संभाल लिया, “मैंने यह जानबूझ कर किया ताकि आप
मेरी अँगूठी देखें।” उसने कहा।
समस्त डिप्लोमेटिक मिशन अँगूठी की
चमक से चकाचौंध हो गया, जो अवश्य ही हीरे की गुणवत्ता के
कारण नहीं बल्कि संभाल कर रखे जाने की ऐतिहासिकता के कारण बेशकीमती थी। परंतु किसी
ने ध्यान नहीं दिया कि उसकी अँगुली रिसने लगी थी। उसने अपना ध्यान नई कार की ओर
मोड़ दिया। यह राजदूत का कौतुकपूर्ण विचार था कि कार सेलोफ़ेन में लपेट कर एक लंबे
सुनहरे रिबन से बाँध कर एयरपोर्ट लाई जाए। बिली सेंचेज ने उसकी अनोखी सृजनात्मकता
पर कोई ध्यान नहीं दिया। वह कार देखने को इतना उतावला था कि उसने एक बारगी ही सारी
रैपिंग नोंच डाली और अवाक खड़ा रह गया। वह उस वर्ष की बेंटली कन्वर्टिबल थी। जिसकी
अपहोलस्ट्री असली चमड़े की थी। आकाश धूसर चादर से ढँका हुआ था, ग्वाडरामा से हाड़ भेदने वाली ठंडी हवा बह रही थी।
यह बाहर रहने के लिए अच्छा समय नहीं था, परंतु
बिली सेंचेज को ठंड का कोई एहसास नहीं था। उसने डिप्लोमेटिक मिशन को खुले पार्किंग
एरिया में तब तक खड़ा रखा जब तक कि उसने कार का बारीकी से निरिक्षण समाप्त नहीं कर
लिया। वह इस बात से अनभिज्ञ था कि वे शालीनतावश सर्दी में जमे खड़े थे। उसे ऑफ़ीसियल
आवास का रास्ता बताने के लिए राजदूत उसकी बगल में बैठा जहाँ भोजन की व्यवस्था थी।
रास्ते में उसने सौजन्यतापूर्वक शहर के दर्शनीय स्थलों की ओर इशारा किया मगर बिली
सेंचेज का पूरा ध्यान केवल कार के जादू पर था। यह पहली बार था जब वह अपने देश के
बाहर की यात्रा कर रहा था। पाठ्यक्रमों को बार-बार दोहराते हुए वह सारे प्राइवेट
और पब्लिक स्कूलों से गुजर चुका था। तब वह बेसहारा भटकता हुआ उपेक्षा के नरक में
भटकने को छोड़ दिया गया। अपने शहर से हट कर दूसरे शहर को उसने पहली बार देखा – बीच
दोपहरिया में नंगे पेड़, राख के रंग के घरों की कतार जिनमें
दिन में भी बत्ती जल रही थी। सुदूर इन सारी चीजों ने उसकी उदासी की अनुभूति को –
जिसे वह अपने हृदय के कोने में छिपाए रखने का यत्न कर रहा था – को बढ़ा दिया। परंतु
शीघ्र ही वह अनजानी विस्मृति के प्रथम जाल में पड़ गया। अकस्मात मौसम से पहले का
नीरव तूफ़ान उनके सामने था और जब वे लंच के बाद राजदूत के आवास से फ़्रांस के लिए
अपनी यात्रा प्रारंभ कर रहे थे उन्होंने देखा शहर चमकीली बर्फ़ से ढ़ँका था। तब बिली
सेंचेज कार भूल गया और स्बके देखते-देखते आह्लाद से जोरों से चिल्लाया। मुट्ठी
भर-भार कर बर्फ़ के लोंदे उसने अपने सर पर डाले और अपना नया कोट पहने हुए सड़क के
बीचोंबीच जमीन पर लोटने लगा।
उनके मैड्रिड छोड़ने तक तूफ़ान के बाद
दोपहर में सब कुछ पारदर्शी हो गया था। तब नेना डकॉन्ट को ज्ञात हुआ कि उसकी अँगुली
रिस रही है। राजदूत की पत्नी जिसे भोजन के बाद तान छेड़ने का शौक था, उसे आश्चर्य हुआ क्योंकि उसके साथ जब वह
सेक्सोफ़ोन पर संगत कर रही थी तब उसे तनिक भी तकलीफ़ नहीं हुई थी। बाद में जब वह
अपने पति को सीमा का शॉर्टकट बता रही थी, हर बार
जब भी खून झलकता वह अपनी अँगुली चूस रही थी। जब वे पिरेनीज पहुँचे तभी उसे दवाखाना
खोजने की सुध आई। लेकिन फ़िर वह पिछले कई दिनों के स्वप्नों के वशीभूत हो गई और जब
वह इससे जागी तो उसे दु:स्वप्न की अनुभूति हुई। कार पानी से हो कर जा रही थी। इसके
भी काफ़ी बाद उसे अँगुली पर लपेटे रूमाल की याद आई। उसने कार के डैशबोर्ड
की घड़ी पर नजर डाली। तीन बज चुके थे। उसने
मन-ही-मन हिसाब लगाया और तब उसे मालूम पड़ा कि वो बोरडों पीछे छोड़ आए हैं। साथ ही
एन्गूलीन तथा पोपढीयर्स भी और अब वे ल‘ओपर की बाद वाली डाइक के किनारे चल रहे थे।
कोहरे से छन कर चाँदनी आ रही थी। पाइन के बीच से छाया-चित्र परियों की कहानियों से
निकल कर आते लग रहे थे। नेना डकॉन्ट इस इलाके के चप्पे-चप्पे से परिचित
थी। उसने हिसाब लगाया, वे पेरिस से केवल तीन घंटे की दूरी पर थे और बिली सेंचेज अभी भी
सोत्साह स्टेयरिंग पर था।
“तुम गजब हो,” उसने कहा, ग्यारह
घंटों से ज्यादा से ड्राइव कर रहे हो और तुमने कुछ खाया भी नहीं है।” वह नई कार के
नशे में चल रहा था। विमान पर भी नहीं सोया था फ़िर भी पूरी तरह जगा हुआ था और उसमें
इतनी ऊर्जा थी कि सुबह तक पेरिस पहुँच जाए।
“मेरा पेट अभी भी एम्बेसी के खाने से
भरा है,” उसने कहा और आगे बिना किसी तर्क के
जोड़ा, “आखीरकार टारटाजिना में लोग अभी
सिनेमा देख कर निकले होंगे, केवल
दस बजे होंगे।” फ़िर भी नेना डकॉन्ट डर रही थी कहीं वह व्हील पर ही न सो जाए। उसने
मिले हुए बहुत सारे उपहारों में से एक खोला और नारंगी की मिठाई का एक टुकड़ा उसके
मुँह में डालना चाहा लेकिन बिली सेंचेज ने मुँह घुमा लिया।
“मर्द मिठाई नहीं खाते।” वह बोला।
ओशलियंस से थोड़ा पहले कुहासा छंट गया
और एक बहुत बड़े चाँद ने ढ़ेर सारी चाँदनी से बर्फ़ ढ़ँके मैदान को चमका दिया। लेकिन
ट्रैफ़िक सघन हो चला था क्योंकि सामानों से लदे ढ़ेरों ट्रक तथा वाइन टेकर्स हाइवे
पर पेरिस की राह पर जुड़ते जा रहे थे। नेना डकॉन्ट ड्राइविंग के द्वारा अपने पति की
मदद करती परंतु उसने ऐसी सलाह देने की भूल नहीं की क्योंकि जब वे पहली बार बाहार
गए थे तभी उसने बता दिया था कि पत्नी चलाए और पति बैठे इससे बढ़ कर एक मर्द के लिए
शर्मनाक कुछ और नहीं हो सकता है। पाँच घंटों की निर्विघ्न नींद के बाद उसका
मन-मस्तिष्क तरोताजा अनुभव कर रहा था। वह खुश थी कि वे फ़्रांस के उप इलाकों के
किसी होटल में नहीं ठहरे जिन्हें वह बचपन से जानती थी। उसने अपने माता-पिता के संग
वहाँ की अनगिनत यात्राएँ की थीं। “दुनिया में इससे ज्यादा खूबसूरत इलाके नहीं
हैं।” वह बोली, “परंतु तुम प्यास से मर जाओ तो भी
तुम्हें कोई एक गिलास पानी मुफ़्त में नहीं देगा।” इस बात की वह इतनी कायल थी कि
चलते समय उसने अपने रात्रि बैग में साबुन की बट्टी और एक रोल टॉयलेट पेपर रख लिया
था। क्योंकि फ़्रांस के होटलों में साबुन कभी नहीं होता और टॉयलेट पेपर के नाम पर
पिछले हफ़्ते के अखबार के चौकोर टुकड़े कील से लटके होते थे। इस क्षण उसे एक ही बात
का अफ़सोस था कि बिना रति के एक पूरी रात गुजर गई। उसके पति ने तत्काल उत्तर दिया।
“मैं अभी-अभी सोच रहा था, बर्फ़ में रतिक्रीड़ा कितनी नजेदार होगी।” उसने कहा,
“यहीं, अभी,
अगर तुम चाहो तो।”
नेना डकॉर्ट ने गंभीरता से सोचा।
चाँदनी में हाइवे के किनारे की बर्फ़ नरम-गरम लग रही थी लेकिन जब वे पेरिस की सीमा
पर पहुँचे ट्रैफ़िक बढ़ चुका था, फ़ैक्टरियों
की कतारें थीं, रोशनी थी तथा ढ़ेरों कामगर अपनी
बाइसिकिल पर थे। अगर सर्दी नहीं होती तो अब तक दिन निकल चुका होता।
“अच्छा हो हम पेरिस तक रुकें,”
नेना डकॉन्ट ने कहा, “गरम साफ़-सुथरे बिस्तर पर, शादीशुदा
लोगों की तरह।”
“यह पहली बार है जब तुमने मुझे इंकार
किया है,” वह बोला।
“ऑफ़कोर्स,” उसने उत्तर दिया। “पहली बार हमारी शादी हुई है।” भोर से थोड़ा पहले
उन्होंने मुँह धोया, सड़क किनारे बने रेस्तराँ में फ़ारिग
हुए और गर्मागरम मिठाई के साथ कॉफ़ी पी, जहाँ
ट्रक ड्राइवर लाल वाइन के साथ अपना नाश्ता कर रहे थे। बाथरूम में नेना डकॉन्ट ने
देखा कि उसके ब्लाउज तथा स्कर्ट पर रक्त के धब्बे थे पर उसने उन्हें साफ़ नहीं
किया। उसने खून से लथपथ रूमाल को कचदए के डिब्बे में डाल दिया और अपनी शादी की
अँगूठी बाँए हाथ में पहन ली और घाव को साबुन-पानी से धो कर साफ़ कर लिया। खरोंच
करीब न के बराबर थी। फ़िर भी जैसे ही वे कार में लौटे पुन: रक्तस्राव होने लगा नेना
डकॉन्ट ने अपना हाथ खिड़की के बाहर लटका दिया, इस विश्वास के साथ कि मैदानी बर्फ़ानी हवा में घाव भरने का गुण होता
है। यह तरकीब भी नाकामयाब रही। परंतु वह अभी भी निश्चिंत थी। “यदि कोई हमें खोजना
चाहे तो बड़ा आसान होगा,” उसने
अपने नैसर्गिक लुभावनेपन से कहा। “उन्हें केवल बर्फ़ पर मेरे खून की लकीर का पीछा
करना होगा।” फ़िर उसने बहुत सोचा कि उसने क्या कहा है और भोर की पहली किरण से उसका
चेहरा दमक उठा।
“जरा सोचो, खून की एक धार बर्फ़ में मैड्रिड से ले कर पेरिस तक, क्या यह एक अच्छे गीत की कड़ी नहीं बन जाएगी?”
उसे फ़िर सोचने का समय नहीं मिला।
पेरिस के उपनगरीय इलाकों में उसकी अँगुली से बेतहाशा, अनियंत्रित बाढ़ की तरह खून बहने लगा, मानो खरोंच से हो कर उसकी आत्मा निकली जा रही हो। अपने बैग में रखे
टॉयलेट पेपर से उसने खून रोकने की चेष्टा की पर अँगुली लपेटने में जितना समय लगता
उसकी अपेक्षा कम समय उसे खून से भींगी पट्टी खिड़की से बाहर फ़ेंकने में लगता। उसके
कपड़े, उसका कोट, कार की सीट सब भींग गई। एक अनवरत धीमी, लाइलाज प्रक्रिया से बिली सेंचेज सच में डर गया और दवाखाना खोजने के
लिए जोर डालने लगा लेकिन तब तक वह जान गई थी कि यह दवाखाने के बस की बात नहीं है।
:हमलोग तकरीबन पोर्ट डोरिलिंग पहुँच
गए हैं,” वह बोली। “दोनों तरफ़ खूब पेड़ों वाली
कतार वाली बड़ी सड़क से जनरक लेक्लर्क ऐवेन्यू से नाक की सीध में चले चलो, फ़िर बताऊँगी कि क्या करन है” यह यात्रा का
सर्वाधिक कठिन हिस्सा था। जनरल लेक्लर्क ऐवेन्यू दोनों दिशाओं में ठुँसी पड़ी छोटी
कारों, मोटरसाइकिलों का एक भयंकर रेला तथा
भीमकाय ट्रक मुख्य बाजार पहुँचने की होड़ में थे। बेकार की होर्न की चिल्लपों से
बिली सेंचेज चिढ़ गया। अपनी सड़क छाप गुंडागर्दी की भाषा में उसने कई ड्राइवरों को
चिल्ला कर गालियाँ दीं, यहाँ तक कि कार से उतर कर एकाध को
मारने पर भी उतारू हो गया। लेकिन नेना डकॉन्ट उसे यह समझाने में सफ़ल हो गई कि
फ़्रांसीसी भले ही दुनिया का सबसे बड़ा बद्तमीज आदमी है लेकिन वह कभी मुक्केबाजी पर
नहीं उतरता है। यह उसके विवेक का एक अच्छा उदाहरण था क्योंकि इस समय तक वह बेहोश न
होने की भरपूर कोशिश कर रही थी।
उन्हें लिओन डबेल्फ़ोर्ट का ट्रैफ़िक
सर्किल पार करने में करीब एक घंटे से ज्यादा समय लग गया। आधी रात के समान कैफ़े और
स्टोर्स की बत्तियाँ जल रही थीं। कीचड़ भरे पेरिस का यह जनवरी का एक टिपीकल मंगलवार
था जब आकाश बादल और कोहरे से ढ़ँका रहता है, जब फ़ाहे-सी बर्फ़ की लगातार बारिश गिरती रहती है जो कभी ठोस का रूप
नहीं लेती है। लेकिन ऐवेन्यू डन्फ़र्ट में यातायात कम था और नेना डकॉन्ट ने कुछ
ब्लॉक्स के बाद अपने पति को दाहिनी ओर मुड़ने के लिए कहा और उसने एक विशालकाय उदास
अस्पताल के एमरजेंसी द्वार के सामने कार रोकी।
उसे कार से बाहर लाने के लिए सहारा
देना पड़ा यद्यपि उसने अपनी चेतना नहीं खोई थी। ड्यूटी डॉक्टर के आने के इंतजार में
स्ट्रेचर पर लेटे हुए उसने नर्स के औपचारिक प्रश्नोम के उत्तर दिए, अपना परिचय दिया और मेडिकल हिस्ट्री के बारे में
बताया। बिली सेंचेज ने एक हाथ से उसका पर्स पकड़ा हुआ था और दूसरे हाथ से उसका
बाँया हाथ थाम रखा था जहाँ वह अपनी शादी की अँगूठी पहने हुए थी। हाथ ठंडा और बेजान
लग रहा था। उसके होंठों की रंगत बदल चुकी थी। जब तक डॉक्टर ने आ कर उसके घाव का
सरसरी तौर पर निरीक्षण नहीं किया वह उसका हाथ पकड़े खड़ा रहा। डॉक्टर घुटे सिर वाला
बहुत कम उम्र का था जिसकी त्वचा ताँबे के रंग की थी। नेना डकॉन्ट ने उसकी ओर कोई
ध्यान नहीं दिया बल्कि पति की ओर राख जैसी मुस्कान डाली।
“डरो मत,” उसने अपने अजेय हँसोड़ स्वभाव के साथ कहा, “हद-से-हद यह आदमखोर मेरा हाथ काट कर खा जाएगा।”
डॉक्टर ने अपना मुआयना पूरा किया और
फ़िर उन्हें चकित करते हुए एक हल्के एशियन लहजे के साथ विशुद्ध स्पैनिश में बोला,
“नहीं बच्चों! यह आदमखोर भूखा भले रह जाए पर इतना
सुंदर हाथ नहीं काटेगा।”
वे शर्म से पानी-पानी हो गए पर
डॉक्टर ने उन्हें अपनी भली मुद्रा से आश्वस्त कर दिया। फ़िर उसने स्ट्रेचर को ले
जाने का आदेश दिया। बिली सेंचेज अपनी पत्नी का हाथ पकड़े संग-संग चलने लगा। ड‘ओक्टर
ने उसकी बाँह पकड़ कर उसे रोक दिया।
“नहीं, तुम नहीं,” उसने कहा, “वह इंटेन्सिव केयर में जा रही है।” नेना डकॉन्ट पुन: अपने पति को देख
कर मुस्कुराई और गलियारे में ओझल होने तक हाथ हिला कर विदा लेती रही। नर्स ने जो
सूचना क्लिपबोर्ड पार लिखी थी उसे पढ़ते हुए डॉक्टर पीछे रह गया। बिली सेंचेज ने
उसे आवाज दी।
“डॉक्टर,” वह बोला। “वह गर्भवती है।”
“कितने दिन?”
“दो महीने।”
बिली सेंचेज को जितनी आशा थी डॉक्टर
ने इस बात को उतना महत्व नहीं दिया। “अच्छा है तुमने मुझे बता दिया।” कह कर डॉक्टर
स्ट्रेचर के पीछे-पीछे चल दिया। बिली सेंचेज दु:खी और बीमारों के पसीने की गंध
वाले उस कमरे में पीछे छूट गया। उसे मालूम नहीं था क्या करे। जहाँ से नेना डकॉन्ट
को ले गए थे वह उस खाली गलियारे में घूमता रहा फ़िर जहाँ और लोग भी इंतजार कर रहे
थे वहीं लकड़ी की बैंच पर बैठ गया। उसे पता नहीं चला वह कब तक बैठा रहा। जब उसने
अस्पताल छोड़ना तय किया तब फ़िर से रात हो चुकी थी और बारिश अभी भी हो रही थी।
दुनिया भर की चिंता से दबे हुए उसे अभी भी मालूम नहीं था क्या करे।
जैसा कि मुझे बरसों बाद अस्पताल के
रिकॉर्ड से ज्ञात हुआ नेना डकॉन्ट सात जनवरी मंगलवार को साढ़े नौ बजे अस्पताल में
भर्ती हुई थी। पहली रात बिली सेंचेज एमरजेंसी द्वार के बाहर पार्क की हुई कार में
सोया। दूसरे दिन तड़के सामने उसे जो पहला कैफ़ेटेरिया दिखाई दिया वहाँ उसने छ: उबले
अंडे खाए और दो कप कॉफ़ी पी। मैड्रिड के बाद उसने भरपेट खाना नहीं खाया था। फ़िर वह
एमरजेंसी रूम में नेना डकॉन्ट को देखने गया लेकिन वे उसे इतना ही समझा सके कि उसे
सदर फ़ाटक से आना होगा। अंत में वहाँ प्रवेश द्वार पार खड़े एक ऑस्ट्रियन कर्मचारी
ने रिशेप्निस्ट से बातचीत करने में मदद की। उसने पक्का बताया कि नेना डकॉन्ट को
अस्पताल में भर्ती कर लिया गया है, लेकिन
मिलने का समय केवल मंगलवार को नौ से चार तक का है। इसका मतलब अगले छ: दिनों तक
नहीं। उसने उस डॉक्टर से मिलना चाहा जो स्पैनिश बोलता है, जिसे उसने काला, घुटे
हुए सिर वाला बताया, मगत इस सामान्य विवरण के आधार पर उसे
कोई कुछ न बता सका।
नेना डकॉन्ट का नाम रजिस्टर में है
इस बात से आश्वस्त हो वह कार के पास लौटा। एक ट्रैफ़िक अधिकारी ने उसे दो ब्लॉक बाद
एक संकरी गली में सम नंबर वाले घरों के सामने कार खड़ी करने के लिए कहा। गली की
दाँई ओर एक जीर्णोद्धार इमारत के ऊपर एक साइनबोर्ड था, ‘होटल निकोल’। यह एक सितारा होटल था। रिसेप्शन का स्थान बहुत छोटा था,
केवल एक सोफ़ा और एक पुराने पियानो के अँटने लायक।
लेकिन ऊँची सुरीली आवाज वाला मालिक ग्राहकों को किसी भी भाषा में समझ सकता था
बशर्ते उनके पास पैसा हो। उबली गोभी की गंध से भरी एक चक्करदार सीढ़ी से नौवीं
मंजिल पर बने एकमात्र खाली तिकोने परछत्तीनुमा कमरे में बिली सेंचेज हाँफ़ता हुआ
अपने ग्यारह सूटकेसों और नौ उपहार बक्सों के साथ किसी तरह पहुँचा। दीवार पुराने
बेरंग कागज से ढ़ँकी थी। जहाँ आँगन से अंदर आती रोशनी का एकमात्र रास्ता एक इकलौती
खिड़की थी। कमरे में किसी और चीज की गुंजाइश न थी। वहाँ एक डबलबेड, एक बड़ी दराज, एक सीधे पुट्ठे वाली कुर्सी, एक
उठाऊ कमोड और धोने के लिए एक घड़ा और तामचीन का तसला था। अत: कमरे में रहने का एक
ही उपाय था बिस्तर पार लेटे रहो। सब चीजें बहुत पुरानी और उससे भी ज्यादा उपेक्षित
थीं, लेकिन साफ़-सुथरी तथा थोदई देर पहले
डाली गई दवा की गंध से भरपूर।
यह कैसी दुनिया है जो कंजूसी के
बुद्धिमानी पर आधारित है, अगर
बिली सेंचेज अपनी सारी जिंदगी इसमें लगा देता तो भी वह इस रहस्य की गुत्थी को नहीं
सुलझा सकता था। जब तक वह नौवीं मंजिल पर पहुँचा इसके पहले ही सीढ़ी की बत्ती गुल हो
चुकी थी और वह कभी न जान पाया कि इसे पुन: कैसे जलाए। आधी सुबह यही सोचने में गुजर
गई कि हरेक मंजिल पर एक छोट अकमरा टॉयलेट का है जिसमें चेन खींचने पर फ़्लश होता है
और उसने उसे अंधेरे में ही प्रयोग करने का निश्चय किया। तब अचानक उसे पता चला कि
दरवाजे की सिटकिनी लगाओ तो बत्ती जल जाती है, यह इसलिए कि कोई बत्ती जलती न छोड़ दे। हॉल के अंत में शॉवर था जैसा
वाह अपने देश में करता था उसने उसे दो बार प्रयोग करने की ठानी। हर बार उसे इसके
लिए अलग से पैसे देने पड़ते थे वह भी नगद और गरम पानी का नियंत्रण ऑफ़िस से था जो हर
तीन मिनट में चुक जाता था। फ़िर भी बिली सेंचेज सोच रहा था कि भले ही यह इंतजाम
उसकी आदतों से अलग है लेकिन हर हाल में बाहर खुले में रहने से बेहतर है। वह इतना
परेशान और अकेला अनुभव कर रहा था, उसे
समझ में नहीं आ रहा था कि वह नेना डकॉन्ट की मदद और सुरक्षा के बिना कभी कैसी जीता
रहा था।
जब बुद्धवार की सुबह वह ऊपर कमरे में
गया तो कोट पहने हुए ही दो ब्लॉक दूर जिसका खूब अभी भी बह रहा था उस अद्भुत जीव के
बारे में सोचते हुए पेट के बल औंधा बिस्तर पर ढ़ह गया। शीघ्र ही वह स्वाभाविक नींद
में डूब गया। जब वह जगा उसकी घड़ी पाँच बजा रही थी लेकिन उसे पता नहीं था कि यह
सुबह के पाँच हैं या शाम के। यह सुबह, शाम,
सप्ताह का कौन-सा दिन या कौन-सा शहर था जिसकी
खिड़कियों पर हवा के थपेड़े पड़ रहे थे। जगा हुआ वह बिस्तर पर पड़ा रहा नेना डकॉन्ट के
विषय में सोचते हुए, जब तक उसे दिन निकलने का बोध नहीं हो
गया। वह पिछले दिन वाले कैफ़ेटेरिया में नाश्ता करने गया तब उसे पता चला कि यह
गुरुवार था। अस्पताल की बत्तियाँ जल रही थीं वर्षा थम गई थी अत: वह मुख्य द्वार के
बाहर चेस्टनट पेड़ के सहारे खड़ा हो गया। सफ़ेद कोट पहने नर्स व डॉक्टर आ-जा रहे थे।
वह इस इंतजार में खड़ा रहा कि जिस एशियन डॉक्टर ने नेना डकॉन्ट को भर्ती किया था
दीखेगा। उसे वह नहीं दीखा तब भी नहीं जब दोपहर में लंच के बाद सर्दी से अकड़ने के
कारण उसे वह मुस्तैदी छोड़नी पड़ी। सात बजे उसने पुन: कॉफ़ी पी और दो हार्ड ब्यॉल
अंडे खाए, जिसे उसने दो दिन से एक ही जगह पर एक
ही चीज खाने के बाद डिस्प्ले काउंटर से स्वायं चुना था। जब सोने के लिए वह वापस
होटल की ओर चला तो उसने देखा कि उसकी कार विंडशील्ड में पार्किंग टिकट के साथ सड़क
पर अकेली खड़ी है जबकि बाकी की सारी कारें सड़क के दूसरी ओर खड़ी थीं। होटल निकोल के
पोर्टर को यह समझाने में बड़ी कठिनाई हुई कि विषम नंबर वाले दिनों में कार सड़क के
विषम नंबर वाले घरों और सम नंबर वाले दिनों सम नंबर वाले घरों के सामने पार्क की
जाती है। ऐसी तार्किक नीति विशुद्ध नस्ल बिली सेंचेज ड अविला की समझ के बाहर थी
जिसने दो वर्ष पूर्व मेयर की ऑफ़ीशियल कार पड़ोस के मूवी थियेटर में घुसा कर ऊधम
मचाया था और पुलिस मूक दर्शक बनी खड़ी रही थी। उसके पल्ले यह बात भी नहीं पड़ी जब पोर्टर
ने उसे कार वहाँ से नहीं हटा कर जुर्माना देने की सलाह दी। क्योंकि उसे आधी रात को
पुन: कार वहाँ से हटा कार विपरीत दिखा में खड़ी करनी होगी। वह रात भर बिस्तर पर
करवट बदलता रहा। उसे नींद न आई। पहली बार न केवल उसने नेना डकॉन्ट के बारे में
सोचा वरन उन संतप्त रातों के बारे में भी सोचा जो उसने कैरेबियन के कार्टेजेना के
मुख्य बाजार में शराबघरों में लौंडों के साथ गुजारी थीं। उसे डॉक से लगे होटल में
तली मछली, नारियल भात के स्वाद की भी याद आई।
वहाँअरुबा से आई मछली मरने वाली नौकाएँ बँधी रहती थीं। उसने अपने घर के बारे में
सोचा जहाँ दीवारें पेंसी के फ़ूलों से ढ़ँकी रहती और जहाँ अभी पिछली शाम के सात बजे
हैं, उसने सिल्क पाजामे में अपने पिता को
छत की ठंडक में अखबार पढ़ते देखा। उसे अपनी माँ की याद आई जिसके बारे में कोई कभी
नहीं कह सकता थ कि वह इस समय कहाँ होगी। उसकी खूबसूरत बातूनी माँ रविवार को सदैव
खूबसूरत ड्रेस पहनती और रात होने पर अपने कान के पीछे गुलाब खोंसती तथा वस्त्रों
के कारण गर्मी से छटपटाती रहती। जब वह सात बरस का था एक दोपहर बिना दरवाजा खटखटाए
हुए उसके कमरे में चला गया था और उसने देखा कि वह अपने अनेक प्रेमियों में से एक
के साथ बिस्तर पर नंगी थी। इस दुर्घटना की उन दोनों के बीच कभी चर्चा नहीं हुई
लेकिन इसने उन दोनों के बेच एक आपराधिक सह-संबंध कायम कर दिया जो प्यार से भी अधिक
उपयोगी साबित हुआ। लेकिन वह इन सब यादों के बारे में सचेत नहीं था या फ़िर उन बहुत-
सी भयंकर बातों के बारे में जो उसके एकमात्र बच्चे होने के अकेलेपन में हुई। जब तक
कि इस रात में उसने स्वायं को एक उदास पेरीसियन परछत्ती के बिस्तर पर करवट बदलते
नहीं पाया। कोई नहीं था जिससे वह अपना दु:ख कहता और अपने आप पर उसे इतना भयंकर
गुस्सा था कि वह रोने की इच्छा सहन नहीं कर पा रहा था।
यह अनिद्रा वरदान थी। बुरी तरह बिताई
रात से आहत अपनी जिंदगी को सार्थकता देने के संकल्प के साथ शुक्रवार सुबह वह
बिस्तर से उठा। अंत में उसने सूटकेस का ताला तोड़ने और कपड़े बदलने का निश्चय किया।
सारी चाभियाँ नेना डकॉन्ट के बैग में थीं, उसी
में पैसे और ज्यादातर पतों वाली डायरी भी थी। शायद उसे कोई ऐसा नंबार मिलता जिसे
पेरिस में वे जानते थे। अपने परिचित कैफ़े में जा कर उसने जाना कि उसे फ़्रेंच में
हेलो कहना आ गया है तथा हैम सैंडविच और कॉफ़ी माँगना भी। उसे यह भी पता चल गया कि
उसके लिए मक्खन और किसी भी प्रकार के अंडे का ऑर्डर देना संभव नहीं होगा क्योंकि
वह इन शब्दों का उच्चारण कभी नहीं सीख पाएगा। लेकिन ब्रेड के साथ मक्खन सदैव दिया
जाता था तथा हार्ड ब्यॉल अंडे सदा काउंटर पर सजे रहते थे जिन्हें वह बिना माँगे ले
सकता था। तीसरे दिन आते-आते वेटर उसे पहचानने लगा और जब वह अपनी बात समझाने की
कोशिश करता तो वे उसकी सहायता करते। अत: शुक्रवार को जब वह खुद को व्यवस्थित करने
की कोशिश कर रहा था उसने तले आलू भरे बछड़े के माँस और एक बोतल वाइन का ऑर्डर दिया।
यह उसे इतना अच्छा लगा कि उसने एक और बोतल मँगवाई जिसे वह करीब-करीब आधा पी गया।
आज उसे अस्पताल में घुसना ही है के निश्चय के साथ उसने सड़क पार की। उसे नहीं मालूम
था कि नेना डकॉन्ट को कहाँ ढ़ूँढ़े पर भाग्य से मिले एशियन डॉक्टर की छवि मन में
जमाए उसे पक्का विश्वास था कि वह उसे खोज निकालेगा। मुख्य द्वार के स्थान पर उसने
एमार्जेंसी द्वार का प्रयोग किया जहाँ उसे कम पहरेदारी नजर आई। पर वह उस कॉरीडोर
को पार न कर सका जहाँ नेना डकॉन्ट ने उससे विदा ली थी। बगल से गुजरते हुए लबादों
पर खून के छींटों वाले एक गार्ड ने उससे कुछ पूछा। बिली सेंचेज ने उस पर कोई ध्यान
नहीं दिया। वह आदमी बार-बार फ़्रेंच में वही प्रश्न पूछते हुए उसका पीछा करने लगा।
अंत में उसने बिली सेंचेज की बाँह इतनी जोर से पकड़ ली कि उसे रुक जान पड़ा। बिली
सेंचेज ने उसे अपनी गुंडागिरी की चाल से झटकना चाहा। गार्ड ने उसे माँ की गाली दी
और उसका कंधा पकड़ कर उसकी बाँह हैमरलॉक में मरोड़ दी, साथ उसकी माँ को हजार बार गाली देना नहीं भूला। करीब-करीब उठा कर
घसीटते हुए फ़ाटक तक ले आया और दर्द से बिलबिलाते हुए उसे सड़क के बीच आलू के बोरे
की तरह पटक दिया।
सजा के रूप में दोपहर को उसे जो दर्द
मिला था उससे बिली सेंचेज का पौरुष जागने लगा। जैसा कि नेना डकॉन्ट करती उसने
राजदूत के पास जाने का निश्चय किया। होटल का पोर्टर असामाजिक दीखने के बावजूद बहुत
सहायक था। धैर्य के साथ उसने टेलीफ़ोन बुक से दूतावास का पता और फ़ोन नम्बर खोज दिया
और उन्हें कार्ड पर लिख दिया। एक बहुत प्यारी-सी औरत ने फ़ोन पर मैत्री भाव से
उत्तर दिया। उसकी धीमी गति और एंडेस के सपाट लहजे से बिली सेंचेज को पहचानने में
जरा भी समय नहीं लगा। यह सोच कर कि दोनों परिवारों से वह स्त्री प्रभावित होगी
उसने अपनी पहचान अपना पूरा नाम ले कर बताई। परंतु टेलीफ़ोन पर स्वर में कोई
परिवर्तन नहीं आया उसने उसकी कंठस्थ रटी-रटाई ध्वनि सुनी: इस समय हिज एक्सलेंसी
एम्बेसडर ऑफ़िस में नहीं हैं और अगले दिन तक उनके आने की कोई उम्मीद नहीं है। लेकिन
किसी भी सूरत में वह उनसे अपॉन्टमेंट के बाद ही मिल सकता है, वह भी तब जब कोई असाधारण परिस्थिति हो। बिली
सेंचेज को पता चला कि इस राह से वह नेना डकॉन्ट को कभी नहीं पा सकता है। जितने
प्यारे तरीके से वह बोल रही थी उतने ही प्यारे ढंग से उसने स्त्री को इस सूचना के
लिए धन्यवाद दिया। तब वह टैक्सी ले कर एम्बेसी गया।
२२ रुई डेस शैम्पस-एलिसीस पेरिस का
एक सबसे शांत इलाका था लेकिन जिस चीज ने उसे प्रभावित किया और जैसा वर्षों बाद
कार्टेजेनाअ डि इंडियास में उसने स्वयं मुझे बताया वह था उसके पेरिस आने के बाद
पहली बार कैरेबियान जैसी धूप और चमकते आकाश में पूरे शहर पर छाया हुआ इफ़िल टावर।
राजदूत के नाम पर जिस अधिकारी ने उसे रिसीव किया उसे देख कर ऐसा लग रहा था मानो वाह
किसी जानलेवा बीमारी से उठा हो। उसके काले सूट, कठोर कॉलर तथा शोकग्रस्त टाई के कारण नहीं बल्कि उसकी सधी हुई मुद्रा
और फ़ुसफ़ुसाते स्वर के कारण भी। वह बिली सेंचेज की चिंता समझ गया लेकिन बिना
औपचारिकता खोए हुए उसने उसे याद दिलाया कि वे लोग एक ऐसे देश में हैं जहाँ के कठोर
नियम-कायदे प्राचीन एवं सम्मानित मानकों के आधार पार तैयार किए गए हैं, जंगली अमेरिका के बिल्कुल विपरीत जहाँ अस्पताल
में घुसने के लिए दरबान को घूस देना काफ़ी है। “नहीं भई,” उसने कहा। एक ही उपाय है नियमों का पालन करें और मंगलवार तक इंतजार
करें।
“आखीरकार चार दिन ही तो बचे हैं,”
उसने बात समाप्त की।” इस बीच लोव्र (फ़्रांस का
राष्ट्रीय संग्रहालय) चले जाओ। देखने लायक है,” उसने आगे जोड़ा।
जब वह बाहर आया उसे नहीं मालूम था
क्या करे, वह किंकर्तव्यविमूढ़ था। वह प्लेस
डिला कोन्कोर्ड पर था। उसने छत के ऊपर इफ़िल टॉवर देखा, वह इतना नजदीक लग रहा था कि वह घाट के किनारे-किनारे पैदल ही चल पड़ा।
जल्दी ही उसे ज्ञात हुआ कि जितना नजदीक लग रहा है उससे काफ़ी दूर है। जैसे-जैसे वह
उसे देखता स्थिति बदलती जाती। वह सेन नदी के किनारे एक बैंच पर बैठ कर नेना डकॉन्ट
के बारे में सोचने लगा। लाल छत और खिड़की पर अर्खे गमले तथा डेक पर कपदए सुखाने की
रस्सी के साथ उसे वे नौकाएँ नहीं यायावर घर लग रही थीं। काफ़ी देर तक वह एक स्थिर
मछुआरे को देखता रहा, एक अविरल वंशी और लहर में एक गतिहीन
सुतली अंधेरा होने तक वह किसी चीज के गतिमान होने के इंतजार में थका बैठा
रहा और तब उसने टैक्सी ले कार वापस होटल लौटने का
निश्चय किया। तब उसे ज्ञात हुआ कि उसे होटल का नाम-पता ज्ञात नहीं है और उसे कोई
अनुमान नहीं था कि पेरिस में वह अस्पताल कहाँ है।
दहशत से वह जड़ हो गया। सामने पड़े
पहले कैफ़े में जा कर उसने कॉन्याक माँगी और अपने विचारों को तरतीब देने लगा। सोचने
की प्रक्रिया के दौरान उसने दीवार पर लगे अनगिनत आइनों में स्वयं को विभिन्न कोणों
से निहारा, उसने देखा कि वह भयभीत और एकाकी है।
जन्म के बाद पहली बार उसे मृत्यु की यथार्थता का बोध हुआ। कॉन्याक के दूसरे गिलास
के साथ उसे थोड़ा बेहतर अनुभव हुआ। उसे भाग्यवश दूतावास लौटने का ख्याल आया। उसने
पता लिखे कार्ड के लिए अपनी जेब टटोली और पाया कि होटल का नाम और पता-सड़क नंबर
कार्ड के दूसरी ओर छपे हुए थे। इस घटना ने उसे इतना हिला दिया कि वह शनिवार-इतवार
मात्र खाने और कार को सड़क के इस पार से उस पार खड़ा करने के अलावा अपने कमरे से
नहीं निकला। जब वे पेरिस आए थे तो गंदी बारिश हो रही थी। वह तीन दिन तक होती रही।
बिली सेंचेज जिसने जिंदगी में एक भी किताब पूरी नहीं पढ़ी थी। उसका मन करने लगा काश
उसके पास इस ऊब को दूर करने के लिए, बिस्तर
पर पड़े-पड़े पढ़ने के लिए कोई किताब होती। पत्नी के सूटकेस में जितनी किताबें थीं वे
स्पेनिश के अलावा दूसरी भाषाओं की थीं। अत: वह वॉलपेपर पर बनी मोरों की कतार पर
ध्यान केंद्रित किए हुए नेना डकॉन्ट के बारे में सोचता हुआ मंगलवार के इंतजार में
पड़ा रहा। कमरे की हालत ऐसी देखेगी तो नेना डकॉन्ट क्या सोचेगी, यह विचार कर उसने कमरा व्यवस्थित किया। उसे खून
से रंगा मिंक कोट मिला। पत्नी के ओवरनाइट बैग से निकले खुशबूदार साबुन से रगड़-रगड़
कर उसने पूरी दोपहरी उसे धोया जब तक कि वह उसे इतना साफ़ करने में कामयाब न हो गया
जैसा मैड्रिड के हवाई अड्ड़े पर लाया गया था।
मंगलवार की सुबह बारिश नहीं थी लेकिन
बदली घिरी हुई थी। बिली सेंचेज छ: बजे सुबह ही उठ गया। मरीजों के लिए फ़ूल और उपहार
लिए रिश्तेदारों के झुंड में वह अस्पताल के फ़ाटक पर इंतजार करने लगा। बाँह पर मिंक
कोट डाले वह भीड़ के साथ अंदर गया, बिना
किसी से कुछ पूछे, बिना इस विचार के नेना डकॉन्ट कहाँ
होगी लेकिन इस विश्वास के साथ कि वह उस एशियन डॉक्टर से अवश्य मिलेगा। अंदर वह एक
लंबे सहन से गुजरा जहाँ फ़ूल और जंगली पक्षी थे। दोनों ओर मरीजों के वॉर्ड थे,
दाहिनी ओर महिलाओं के और बाँई ओर पुरुषों के
वॉर्ड। दूसरे मरीजों के पीछे-पीछे वह महिला वॉर्ड में घुसा। उसने अस्पताल के गाउन
पहने खिड़की के प्रकाश में चमकती आमने-सामने बिस्तार पर बैठी महिला मरीजों की कतार
को देखा॥ उसने यह भी सोचा कि बाहर से जितनी कल्पना की जा सकती है अंदर उससे ज्यादा
खुशहाली है। वह गलियारे के अंत तक पहुँच गया फ़िर वापिस लौटा, जब तक पक्का नहीं हो गया कि इनमें से कोई मरीज
नेना डकॉन्ट नहीं थी। तब वह पुरुष वॉर्ड को खिड़की से झाँकते हुए गलियारे से पुन:
गुजरा। उसे लगा कि जिस डॉक्टर को वह खोज रहा था उसको उसने पहचान लिया है।
वास्तव में ऐसा ही था। दूसरे
डॉक्टरों-नर्सों के साथ वह एक मरीज का मुआयना कर रहा था। बिली सेंचेज वॉर्ड के
भीतर गया, झुँड में से उसने नर्सों को हटाया और
एशियन डॉक्टर के ठीक सामने जा कर खड़ा हो गया। डॉक्टर ने अपनी शोकपूर्ण दृष्टि उठाई,
एक क्षण सोचा और तब उसने उसे पहचान लिया।
“पर थे तुम अब तक कहाँ?” उसने पूछा।
बिली सेंचेज चकरा गया।
“होटल में,” उसने कहा, “ठीक यहीं, कोने पर।”
तब उसे पता चला। नौ जनवरी को गुरुवार
की शाम सात बज कर दस मिनट पर फ़्रांस के बेहतरीन डॉक्टरों-विशेषज्ञों के साठ घंटे
के अथक असफ़ल प्रयास के बाद नेना डकॉन्ट रक्तस्राव से गुजर गई। अंत तक वह सचेत और
शांत थी। अपने पति को प्लाज़ा एथेनी में जहाँ उसका और बिली सेंचेज का रिजर्वेशन था
– में खोजने का निर्देश देती रही। अपने माता-पिता तक पहुँचने के लिए आवश्यक
जानकारी देती रही। शुक्रवार को विदेश कार्यालय ने एक अर्जेंट तार के द्वारा दूसावास को खबर कर दी गई। नेना के
माता-पिता पेरिस के लिए उड़ान भार चुके थे। राजदूत ने स्वयं शव के रख-रखाव और अंतिम
संस्कार का जिम्मा लिया और पुलिस प्रशासन के उस महकमे के संपर्क में लगातार रहा जो
बिली सेंचेज की खोज में लगा था। उसके विवरण के साथ शुक्रवार रात से रविवार दोपहर
तक एक एमरजेंसीब लेटिन रेडियो और टेलीविजन पर लगातार प्रसारित किया गया और उन चालीस
घंटों में वाह फ़्रांस का सर्वाधिक वांटेड आदमी था। नेना डकॉन्ट के हैंडबैग से मिले
उसके फ़ोटोग्राफ़ को सब जगह प्रदर्शित किया गया। उसी के मॉडल की तीन बेंटली
कनवर्टिबल खोज निकाली गई लेकिन उनमें से कोई उसकी कार न थी।
शनिवार की दोपहर नेना डकॉन्ट के
माता-पिता पहुँचे और शव के साथ अस्पताल के चैपल में अंतिम क्षणों तक इस आशा के साथ
बैठे रहे कि बिली सेंचेज का पता चल जाएगा। उसके माता-पिता को भी खबर भेज दी गई। वे
पेरिस के लिए उड़ान भरने ही वाले थे लेकिन टेलीग्राम की कुछ भ्रांति के कारण
उन्होंने उड़ान रद्द कर दी। सड़े से होटल में जहाँ बिली सेंचेज नेना डकॉन्ट के प्यार
में अकेलेपन से तड़फ़ रहा था – से मात्र दो सौ मीटर की दूरी पर रविवार की दोपहार दो
बजे नेना डकॉन्ट का अंतिम संस्कार हुआ। कई वर्षों बाद एम्बेसी के उसी अधिकारी ने
मुझे स्वयं बताया कि फ़ॉरेन ऑफ़िस से आया टेलीग्राम उसी ने रिसीव किया था। वह उसे
बिली सेंचेज के जाने के एक घंटे बाद मिला था। वह उसे खोजने के लिए रुई डु
फ़ाउबोर्ग-सेंट-ऑनर के सारे वीरान बार में गया। उसने स्वीकारा कि जब उसने बिली
सेंचेज को देखा था तब उसने ज्यादा ध्यान नहीं दिया था, क्योंकि उसने कभी कल्पना नहीं की थी कि समुद्र तटीय इलाके का वह लड़का
पेरिस की नवीनता से चकाचौंध और मेमने के ऊन का ऐसा कोट जो उसके शरीर पार बेढ़ंगा लग
रहा था – इतने ऊँचे खानदान से ताल्लुक रखता है।
उसी रात जब वह क्रोध से अपने रोने की
इच्छा को दबा रहा था नेना डकॉन्ट के माता-पिता ने उसकी खोज रोक दी और धातु के
ताबूत में रख कर उसका लेप लगा शरीर ले गए। जिन लोगों ने भी उसे देखा बरसोम तक
बार-बार कहा कि उन्होंने उतनी खूबसूरत जिंदा या मुर्दा स्त्री फ़िर कभी नहीं देखी।
इसीलिए जब मंगलवार को अंतिम बार बिली सेंचेज ने अस्पताल में प्रवेश किया तो ला
मांगा के उस घर में जहाँ उन्होंने अपनी खुशियों की कुंजी पाई थी – से कुछ मीटर की
दूरी पर उदास कब्रिस्तान में वह दफ़नाई जा चुकी थी। जिस एशियन डॉक्टर ने उसे इस
त्रासदी के बारे में बताया वह अस्पताल के वेटिंग रूम में बिली सेंचेज को शामक
दवाएँ देना चाहता था लेकिन उसने मना कर दिया। बिली सेंचेज बिना विदा लिए, बिना किसी को धन्यवाद दिए चला आया। केवल एक बात
सोचते हुए कि कैसे अपने दुर्भाग्य के लिए किसी को धर पकड़े और उसकी खोपड़ी अपनी चेन
से चकनाचूर कर दे। जब वह अस्पताल से बाहर निकला उसे पता नहीं चला पर आकाश से बर्फ़
गिर रही थी। बिना खून की धार के, मुलायम,
चमकती, नुकीली
कतरें जो कबूतर के सीने के मुलायम पंखों जैसी उजली दीख रही थी। उसे इसका भी पता
नहीं चला कि पेरिस की सड़कों पर उत्सव जैसा माहौल था क्योंकि पेरिस में दस वर्षों
के बाद यह पहली बड़ी भारी बर्फ़ गिर रही थी।
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