कुछ बेतरतीब उद्धरण

बलवान समाज वही होता है, जिसकी तरुणाई सबल होती है, जिसमें मृत्यु को वरण करने की क्षमता होती है, जिसमें भविष्य के सपने होते हैं और कुछ कर गुजरने का जज्बा होता है, वही तरुणाई है।
महादेवी वर्मा
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उन चीज़ों के लिए जान देना सार्थक है जिन चीज़ों के बिना जीना सार्थक नहीं होता।
एदुआर्दो गालियानो
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मैं असम्पृक्त व्यक्ति से घृणा करता हूँ। मेरा विश्वास है कि ज़िन्दा होने का मतलब होता है पक्ष चुनना। जो वास्तव में ज़िन्दा हैं वे एक नागरिक और एक पक्षधर व्यक्ति होने से बच नहीं सकते। असम्पृक्तता और उदासीनता जीवन नहीं है, बल्कि परजीविता और मनोविकृति है।
अन्तोनियो ग्राम्शी
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सूअर से कभी भी कुश्ती मत लड़ो। तुम गंदे हो जाओगे, और इसके अलावा, सूअर यह पसंद करता है।
जॉर्ज बर्नार्ड शॉ
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तुम प्रेरणा का इंतज़ार नहीं कर सकते। तुम्हें लट्ठ लेकर इसके पीछे भागना होगा।
जैक लंडन
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"बात यह है कि जो कुछ भी नया है,
हमें उनका पालन-पोषण करना होगा।
उनमें से जो कुछ भी सर्वोत्कृष्ट होगा,
उपयोगी और सुन्दर होगा,
जीवन उन्हें चुन लेगा।"
व्ला.इ. लेनिन ( 'एक महान शुरुआत' )
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ज़िन्दगी का मामला सिर्फ यह नहीं होता कि आपके पास अच्छे पत्ते हों, कभी-कभी आपको खराब पत्तों से भी अच्छा खेलना होता है।
जैक लंडन
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केवल अपने क्षणिक गौरव के लिए नहीं, वरन् अपने देश के अनन्त गौरव तथा समस्त मानवता के कल्याण के लिए कार्यरत रहना-इससे अधिक श्रेष्ठ और महान कार्य और क्या हो सकता है?
चेर्नीशेव्स्की (1828-1889)
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अब से बीस साल बाद तुम उन चीज़ों को लेकर अधिक मायूस होगे जो तुमने नहीं किये बनिस्पत उन चीज़ों के, जो तुमने किये। इसलिए, जहाज़ की रस्सियाँ खोल दो। पाल चढ़ाकर सुरक्षित बंदरगाह से दूर निकल जाओ। तिजारती हवाओं को अपने बादबानों में गिरफ़्तार कर लो। खोजी यात्राएँ करो। सपने देखो। अन्वेषण करो।
मार्क ट्वेन
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यदि हर चीज़ पारदर्शी होती तो विचारधाराएँ होती ही नहीं !
फ्रेडरिक जेम्सन
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संघर्ष जितना कठिन होता है, जीत उतनी ही शानदार होती है।
टॉम पेन
(अमेरिकी और फ्रांसीसी क्रांति के दार्शनिक और नेता )
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तब रोने का क्या मतलब जब ऐसी ज़बरदस्त हवा चल रही है कि कुछ भी सुन पाना मुमकिन नहीं |
बेर्टोल्ट ब्रेष्ट
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अपने को शिक्षित करो क्योंकि हमें तुम्हारी सारी बुद्धिमत्ता की ज़रूरत होगी। स्वयं को उद्वेलित करो क्योंकि हमें तुम्हारे समस्त उत्साह की ज़रूरत होगी। स्वयं को संगठित करो क्योंकि हमें तुम्हारी सारी शक्ति चाहिए होगी।
अन्तोनियो ग्राम्शी
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जब नायक मंच से चले जाते हैं, तो विदूषक आ जाते हैं।
हाइनरिख हाइने (उन्नीसवीं सदी के महान जर्मन कवि)
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वीरोचित ढंग से लड़ना बड़ी बात है ... लेकिन कितने ऐसे लोग हैं जो एक दिन के लिए नहीं,एक घंटे के लिए नहीं, बल्कि वर्षों की लम्बी, थकाऊ अवधि के दौरान, हर दिन वीरोचित बने रहेंगे ?
एलीनोर मार्क्स ( यूरोपीय मज़दूर आन्दोलन की ख्यात नेत्री और कार्ल मार्क्स की पुत्री )
पेरिस कम्यून (1871) के 21 वर्षों बाद उसे याद करते हुए
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अपने दृढ विश्वासों के बावजूद, मैं हमेशा से ऐसा इंसान रहा हूँ, जो नए अनुभव और नए ज्ञान के सामने आने के साथ ही, तथ्यों का सामना करने और ज़िन्दगी की वास्तविकता को स्वीकार करने की कोशिश करता है। मेरा दिमाग़ हमेशा से खुला रहा है जो सच्चाई की बुद्धिमत्ता भरी खोज के हर रूप के साथ कदम मिलाकर चलता है।
माल्कम एक्स (अमेरिकी अश्वेत क्रांतिकारी, जिनकी आज ही के दिन, 53 वर्षों पहले हत्या कर दी गयी थी)
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वक्त आ गया है कि आप लोग जो 'मानववादी हैं और व्यावहारिक बनना चाहते हैं,' यह समझ लें कि दुनिया में दो किस्म की नफरतें चल रही हैं। एक नफरत है जो कातिलों के दिल में है, जो उनकी आपसी स्पर्धा और भविष्य के डर से पैदा होती है -- कातिलों को कयामत का सामना करना ही है। दूसरी नफरत -- मेहनतकश वर्ग की नफरत -- जिन्दगी की मौजूदा तस्वीर से है और इस अहसास ने, कि शासन करने का अधिकार उनका ही होना चाहिए इस नफरत की लौ को और भी तेज और रोशन कर दिया है। ये दोनों नफरतें गहराई के एक ऐसे बिन्दु पर पहुँच चुकी है कि कोई भी चीज़ या आदमी उनका आपस में समझौता नहीं करवा सकता, और वर्गों के बीच के अवश्यंभावी संघर्ष और मेहनतकशों की जीत के सिवा कोई चीज दुनिया को इस नफरत से मुक्ति नहीं दिला सकती।
मक्सिम गोर्की ('संस्कृति के निर्माताओं', तुम किसके साथ हो?)
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...हर प्रकार के महान प्रेम की तरह

...हर प्रकार के महान प्रेम की तरह, बच्चे के लिए आदमी का प्रेम भी तभी सृजनात्मक बनता है और बच्चे को सच्चा तथा स्थाई सुख दे पाता है जबकि प्रेम करने वाले व्यक्ति के जीवन की परिधि को वह विशाल बनाता है, उसे वह एक अधिक मूल्यवान व्यक्ति में परिवर्तित कर देता है, किन्तु अपने प्रिय व्यक्ति को किसी मूर्ति में नहीं रूपान्तरित कर देता। ऐसा प्रेम जिसकी केवल एक ही व्यक्ति पर वर्षा की जाती है और जो जीवन का सारा सुख आनन्द अकेले उसी एक व्यक्ति से प्राप्त करता है, अन्य सब चीज़ें उसके लिए एक बोझ और यन्त्रणा की वस्तुएँ बन जाती हैं दोनों ही सम्बन्धित व्यक्तियों के लिए नरक हो जा सकता है...
उसकी आत्मा की रक्षा करने और उसे समृद्ध बनाने के लिए आवश्यक है कि उसे उन सब चीज़ों को देखने और सुनने की शिक्षा दी जाये जिन्हें देखने और सुनने की क्षमता उसमें आ गयी है, जिससे कि तुम्हारे प्रति उसका प्रेम अगाध मित्रता तथा अनन्त विश्वास का स्वरूप ग्रहण कर ले।
फेलिक्स ज़र्जिन्स्की (जेल से पत्नी के नाम पत्र, 2दिसम्बर,1913)

(ज़र्जिन्स्की बोल्शेविक पार्टी के एक शीर्ष नेता और लेनिन तथा स्तालिन के अनन्य सहयोगी थे। ज़ारशाही के जेलों में लम्बे समय तक यातना झेली। क्रांति के बाद वे 'चेका' के स्थायी अध्यक्ष थे, जो क्रांति विरोधी कार्रवाईयों में लिप्त प्रतिक्रांतिकारियों को कुचलने के साथ ही क्रांति और गृहयुद्ध के दौरान यतीम हुए बच्चों की देखरेख भी करती थी)
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चीखते-चिल्लाते महत्वोन्मादियों, गुंडों, शैतानों और स्वेच्छाचारियों की यह फ़ौज जो फासीवाद के ऊपरी आवरण का निर्माण करती है, उसके पीछे वित्तीय पूंजीवाद के अगुवा बैठे हैं, जो बहुत ही शांत भाव, साफ़ सोच और बुद्धिमानी के साथ इस फ़ौज का संचालन करते हैं और इनका ख़र्चा उठाते हैं। फासीवाद के शोर-शराबे और काल्पनिक विचारधारा की जगह उसके पीछे काम करने वाली यही प्रणाली हमारी चिंता का विषय है। और इसकी विचारधारा को लेकर जो भारी-भरकम बातें कही जा रही हैं उनका महत्व पहली बात, यानी घनघोर संकट की स्थितियों में कमज़ोर होते पूंजीवाद को टिकाये रहने की असली कार्यप्रणाली के संदर्भ में ही है।
रजनी पाम दत्त


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