संघियों की संस्कृति - उम्र दराज शिक्षिका का किया अपमान तो शिक्षक को पोती कालिख
संघियों की संस्कृति - उम्र दराज शिक्षिका का किया अपमान तो शिक्षक को पोती कालिख
अंबानी अडानी के टुकड़ों पर पलने वाले संघी संस्कृति रक्षा की नौटंकी सबसे ज्यादा करते हैं क्योंकि इसी के माध्यम से समाज में दबे कुचले वर्गों को ना सिर्फ आपस में लड़वा सकते हैं बल्कि उनका दिमाग भी कुंद कर सकते हैं पर इनकी असली संस्कृति तब सामने आती है जब यह आम जनता के साथ संपर्क में आते हैं। अभी कुछ ही दिन पहले सुषमा स्वराज को संघियों ने लगातार गालियां दी। उसके बाद खुद सुषमा स्वराज ने अपनी व्यथा Facebook और Twitter पर सुनाई। ( खबर का लिंक - https://www.youthkiawaaz.com/2018/06/online-trolling-of-sushma-swaraj-raises-some-very-serious-questions/ ) सोचने वाली बात यह है कि जो अपनी ही पार्टी की एक उम्र दराज महिला को इस तरह ट्रोल कर सकते हैं, वह आम जनता के साथ क्या करेंगे और इसका जवाब भी जल्दी ही देशभर में संघियों ने दे भी दिया।
दशकों तक संघ में रहने के बाद उत्तराखंड के मुख्यमंत्री बने त्रिवेंद्र रावत ने कल अपने ही जनता दरबार में एक उम्रदराज शिक्षिका का जिस तरह अपमान किया उससे महिलाओं के प्रति RSS की सोच पूरी तरह सामने आ गई। उस महिला शिक्षक का कहना था कि उसे 25 साल से किसी दूरदराज इलाके में रखा गया है और उसके पति की भी मृत्यु हो चुकी है। वह किसी ऐसे इलाके में ट्रांसफर चाहती है जहां वह अपने बच्चों के साथ रह सके। गौरतलब है कि पिछले कुछ महीनों से अपने पति की मृत्यु के बाद यह शिक्षिका बिना वेतन के ही छुट्टी पर चल रही है। किसी की इतनी मजबूरी समझना उस व्यक्ति के लिए कठिन नहीं होगा जिसमें जरा भी इंसानियत हो। पर महाशय तो ठहरे RSS के कट्टर स्वयं सेवक। शिक्षिका को ट्रांसफर का आश्वासन देने के बजाय त्रिवेंद्र रावत ने बिफर कर कहा कि तुमने जॉब ज्वाइन ही क्यों की थी। राज्य के मुख्यमंत्री से ऐसा घटिया जवाब सुनकर और लगातार तकलीफों में जी रही शिक्षिका इस पर गुस्सा हो गई और उन्होंने बोला कि वनवास भोगने के लिए जॉइन नहीं की थी। इसके बाद जो हुआ उसे आप वीडियो में देखें तो ही बेहतर होगा। ( वीडियो का लिंक - https://www.youtube.com/watch?v=8TFjGk4lRLo )उसके विभाग को उसे सस्पेंड करने का आदेश दिया और पुलिस को उस शिक्षिका को गिरफ्तार करने का।
कोई इस घटना को अपवाद बता कर यह कह सकता है कि यह तो एक व्यक्ति का मामला है RSS की संस्कृति का नहीं पर दो ही दिन पहले हुई एक और घटना ने पुष्ट कर दिया कि संघ की संस्कृति क्या है।
RSS के छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के गुंडों ने गुजरात में एक वरिष्ठ शिक्षक को ना सिर्फ पीटा बल्कि कालिख पोत कर घुमाया भी। कच्छ जिले में कच्छ यूनिवर्सिटी के केमिस्ट्री डिपार्टमेंट के हेड प्रोफेसर गिरीश बख्शी इन हाफपैंटियों की बर्बरता का शिकार बने। खबर का लिंक यहां पर है https://indianexpress.com/article/cities/rajkot/rajkot-abvp-activists-assault-professor-blacken-face-5235055/
एबीवीपी का का इतिहास ही बताता है कि यह लोग शिक्षकों की कितनी इज्जत करते हैं 2006 में उज्जैन में प्रोफेसर सबरवाल की हत्या ABVP के गुंडों ने ही की थी। इसके अलावा हर साल देश भर में शिक्षकों को पीटने, कालिख पोतने जैसा महान सांस्कृतिक काम यह लोग करते आए हैं।
हिटलर से प्रेरित RSS एक फासीवादी संगठन है जिसका काम देश भर में लोगों को आपस में लड़वाना और बड़े पूंजीपतियों की सेवा करना है। यही कारण है कि एक तरफ नरेंद्र मोदी पूंजीपतियों के लिए समय निकाल कर एक एक से अलग से मिलते हैं ( इस लिंक पर ज्यादा विस्तार से पढ़ें - http://unitingworkingclass.blogspot.com/2018/06/blog-post_28.html ) वहीं दूसरी और उनका मुख्यमंत्री एक उम्रदराज महिला के साथ इस तरह पेश आता है अगर समय रहते देश के लोग नहीं चेते तो यहां का हाल भी जर्मनी जैसा ही होगा।
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