तीन कवि तीन कविताएं और हमारे आज के राजा
तीन कवि तीन कविताएं और हमारे आज के राजा
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बोधि सत्व की कविता
कलजुग का एक राजा था
राजा क्या था बाजा था
हरदम निज गुन गाता था
भारत भाग्य विधाता था
नंगे भूखे चिरकुट जन में
सुबरन सूट दिखाता था
क्या दूँ क्या दूँ बोलो बोलो
यह मैं यह मैं गाता था
कभी डरा सा कभी रुआंसा
अपनी पीठ खुजाता था
सदा जयी सा किन्तु क्षयी सा
धन पशुओं का बाजा था
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जो 'डलहौजी' न कर पाया वो ये हुक्काम कर देंगे।
कमीशन दो तो हिन्दुस्तान को नीलाम कर देंगे।
सुरा औ' सुन्दरी के शौक़ में डूबे हुए रहबर,
ये दिल्ली को रँगीलेशाह का हम्माम कर देंगे।
ये वन्देमातरम् का गीत गाते हैं सुबह उठकर,
मगर बाज़ार में चीज़ों का दुगुना दाम कर देंगे।
सदन में घूस देकर बच गई कुर्सी तो देखोगे,
ये अगली योजना में घूसखोरी आम कर देंगे।
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राजेश जोशी की कविता - जो सच सच बोलेंगे मारे जाएंगे
जो इस पागलपन में
शामिल नहीं होंगे
मारे जाएंगे।
कठघरे मे खड़े कर दिए जायेंगे
जो विरोध में बोलेंगे
जो सच सच बोलेंगे मारे जाएंगे।
बर्दाश्त नहीं किया जाएगा कि
किसी की कमीज हो
उनकी कमीज से ज्यादा सफेद
कमीज पर जिनके दाग नहीं होंगे
मारे जाएंगे।
धकेल दिए जाएंगे कला की
दुनिया से बाहर
जो चारण नहीं होंगे
जो गुण नही गाएंगे मारे जाएंगे।
धर्म की ध्वजा उठाने जो
नहीं जाएंगे जुलूस में
गोलियां भून डालेंगीं उन्हें
काफिर करार दिए जाएंगे।
सबसे बडा् अपराध है इस समय में
निहत्थे और निरपराधी होना
जो अपराधी नही होंगे मारे जायेंगे..."
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