मोदी ने सुनी उद्योगपतियों के मन की बात - मुनाफे के रास्‍ते से सारी बाधाएं हटाने का दिया आश्‍वासन


मोदी ने सुनी उद्योगपतियों के मन की बात - मुनाफे के रास्‍ते से सारी बाधाएं हटाने का दिया आश्‍वासन 

देश का प्रधानमंत्री 26 जून को मुंबई में उद्योगपतियों के एक छोटे से समूह के सामने पेश होता है और सरकार के काम का लेखा-जोखा पेश करता है। ईमानदारी से बताता है कि उद्योगपतियों के लिए उसने क्‍या क्‍या किया। इसके बाद बारी आती है उद्योगपतियों के मन की बात की। उनको भरपूर मौका दिया जाता है अपनी बात कहने का। कभी ग्रुप में तो कभी अकेले-अकेले मिलकर। बैठक पर पढ़े एक कमेंट साथी मुकेश असीम का। इस बैठक से सम्‍बन्धित अंग्रेजी अख़बारों के लिंक भी देखने लायक हैं। लिंक नीचे दिये हैं। 

2019 चुनाव तैयारी की सबसे अहम बैठक आज (26 जून, मुम्‍बई) हुई जब नरेंद्र मोदी व पीयूष गोयल ने 30 बड़े पूँजीपतियों के साथ पूरे 3 घंटे बिताए, पहले 45 मिनट सामूहिक, फिर कुछ के साथ अकेले-अकेले। आम लोगों की तरह 'मन की बात' सुनाने के बजाय मोदी ने शुरू में ही कहा कि हम यहाँ सुनने आए हैं, आप लोग अपनी बात खुल कर बोलें नहीं तो हमें आपकी जरूरत कैसे पता चलेगी। वित्त मंत्री के साथ ही साथ चुनावी साल में बीजेपी के खजांची की अहम ज़िम्मेदारी संभालने वाले गोयल ने पहले सरकार की ओर से पूँजीपतियों के लिए किए गए और आगेप्रस्तावित कामों का चिट्ठा पेश किया जिसके बाद एकत्र पूंजीपति वर्ग की ओर से मुकेश अंबानी, कुमारमंगलम बिड़ला, आनंद महिंद्रा, आदि बोले। महिंद्रा ने बाहर निकलकर कहा भी कि बहुत खुलकर बातें हुईं। हाँ, छोटी-छोटी बात भी कैमरे के बगैर न करने वाले मोदी की आज की बैठक को टीवी पर भी न दिखाया गया, बस शुरुआती फोटो के बाद सब गुप्त ही रहा। 

अंग्रेजी के कारोबारी चैनल अपने खास दर्शक तबके के चलते अक्सर बाकी खबरी चैनलों के मुक़ाबले ज्यादा सच बातें बोल जाते हैं क्योंकि मालिक तबके के दर्शकों के लिए छद्म प्रचार की जरूरत कम रहती है। इसलिए ET NOW पर एंकर और 'विश्लेषक' बात कर रहे हैं कि जिस पूंजीपति वर्ग ने 2014 में मोदी को सत्ता की चाबी सौंपी थी यह उसके साथ गिले-शिकवे निपटाने की बैठक थी। इन सबको असली उत्सुकता इस बात की है कि क्या पूरा पूंजीपति वर्ग मोदी के पीछे एकमत से जुटा है या उनमें कुछ मतभेद हैं और पूंजीपति वर्ग बीजेपी को इस बार के चुनाव में कितना फ़ाईनेंस करने वाला है।
पर बातों से जाहिर हो रहा है कि यहाँ भी पूंजीवादी आर्थिक संकट की छाया से बचा नहीं जा सका। समस्या यह है कि पूंजीवादी आर्थिक व्यवस्था के वैश्विक असमाधेय संकट के चलते मोदी द्वारा पिछले वादे के तहत जीएसटी, दिवालिया कानून जैसे तमाम सरमायेदार परस्त कदमों से जितने लाभ की उम्मीद की गई थी, वह पूरी नहीं हुई है, इसलिए आका लोग पूरी तरह खुश नहीं हैं और अपने संकट से निपटने के लिए मोदी से मेहनतकश जनता की हड्डियों पर बचे-खुचे मांस को भी नोच लेने और उनकी नसों में बची-खुची रक्त की बूंदों को भी चूसने वाले कदमों का पक्का वादा करा लेना चाहते हैं। यही शैतानी सौदेबाजी शायद आज की बैठक का असली मजमून थी।

https://economictimes.indiatimes.com/news/politics-and-nation/chai-pe-charcha-with-tycoons-modi-listens-to-mann-ki-baat-of-corporate-india/articleshow/64756618.cms

https://www.livemint.com/Politics/j7xILxXcMdmmZLNvIKm82J/Narendra-Modi-meets-captains-of-Indian-industry-discusses-p.html

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