विविध उद्धरण


विविध उद्धरण

मैं तुम्हें बुद्धिमत्ता की लड़ाई के लिए ललकारता लेकिन मैं देख रहा हूं कि तुम निहत्थे हो।
 विलियम शेक्सपीयर
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बिना किसी अपवाद के, और बिना किसी की भावनाओं का ख़याल किए, सभी चीज़ों का परीक्षण होना चाहिए, उनपर बहस होनी चाहिए और उनकी जाँच-पड़ताल होनी चाहिए |
 देनी दिदेरो
( प्रबोधनकालीन फ्रांसीसी दार्शनिक )
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तर्कणा हमेशा मौजूद रही है, लेकिन हमेशा तर्कसंगत रूप में नहीं।
 कार्ल मार्क्स
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किसी भी चीज़ को महज विश्वास पर स्वीकार करना, आलोचनात्मक अमल और विकास का प्रतिषेध करना एक दारुण अपराध है।
 लेनिन
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मनुष्य कठिन प्रयास करते हुए मगरमच्छ की दंतपंक्ति के बीच से मणि बाहर ला सकता है, वह उठती-गिरती लहरों से व्याप्त समुद्र को तैरकर पार कर सकता है, क्रुद्ध सर्प को फूलों की भांति सिर पर धारण कर सकता है, किंतु दुराग्रह से ग्रस्त मूर्ख व्यक्ति को अपनी बातों से संतुष्ट नहीं कर सकता है ।
(भर्तृहरि विरचित नीतिशतकम्, श्लोक 4)
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जनता में साहस का संचार करने के लिए ज़रूरी है कि वह अपनी स्थिति की वीभत्सता पर दहल उठे।
 कार्ल मार्क्स
('हेगेल के विधि-दर्शन की आलोचना का एक प्रयास')
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सच है, क़ानून बुर्जुआ वर्ग के लिए पावन-पवित्र होता है, क्योंकि यह उसी की रचना होता है और उसी की सम्मति से, और उसी के फ़ायदे तथा उसी के हिफ़ाजत के लिए, लागू होता है। वह जानता है कि, यदि कोई एक क़ानून उसे नुकसान पहुँचाये, तो भी पूरा ताना बाना उसके हितों की हिफ़ाजत करता है... समाज के एक हिस्से की सक्रिय इच्छाशक्ति, और दूसरे हिस्से की निष्क्रिय स्वीकृति द्वारा स्थापित क़ानून की अलंघ्यता और व्यवस्था की पवित्रता, उसकी सामाजिक स्थिति का सबसे मजबूत सहारा होती है।''
 फ्रेडरिक एंगेल्स ('इंगलैण्ड में मज़दूर वर्ग की दशा' अंग्रेजी में, पेंगुइन क्लासिक्, पृ-235)
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स्वाभाविक तौर पर मैं भविष्य में विश्वास करता हूँ , लेकिन मैं उसके उज्ज्वल सौंदर्य की कल्पना करने में अपना समय नहीं बर्बाद करता हूँ । ... मुझे लगता है कि हमें पहले वर्तमान के बारे में सोचना चाहिए । अगर वर्तमान अंधकारमय है, तो भी मैं इसे छोड़ना नहीं चाहता । क्या कल अंधकार से मुक्त होगा ? हम इसके बारे में कल बात करेंगे । 
 लू शुन
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लिबरल लोग संघर्ष की पैरवी कर ही नहीं सकते क्योंकि वे संघर्ष से डरते हैं. प्रतिक्रिया के तीव्र होने पर वे संविधान का रोना रोने लगते हैं, और इसप्रकार अपने तीव्र अवसरवाद से वे लोगों का दिमाग भ्रष्ट करने का काम करते हैं. 
...जब किसी लिबरल को गाली दी जाती है तो वह कहता है कि शुक्र है कि उन्होंने उसे पीटा नहीं, जब उसकी पिटाई होती है तो वह खुदा का शुक्रिया अदा करता है कि उन्होंने उसकी जान नहीं ली. अगर उसकी जान चली जाए तो वह ईश्वर को धन्यवाद देगा कि उसकी अनश्वर आत्मा को उसके नश्वर शरीर से मुक्ति मिल गयी.
 व्ला. इ. लेनिन


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