बर्बर योगी सरकार ने बेरोजगारों पर बरसाए डंडे, बहाया खून

बर्बर योगी सरकार ने बेरोजगारों पर बरसाए डंडे, बहाया खून


राजधानी लखनऊ में अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे 2011 बैच के बीएडी टीईटी पास अभ्यर्थियों पर पुलिस ने बर्बर तरीके से लाठी चार्ज किया. बहुत सारे छात्र बुरी तरह से जख़्मी हुए हैं.

“राष्ट्रवादी सरकार”, छात्र-युवा शक्ति का बात-बात में हवाला देने वाली भाजपा सरकार ने टीईटी के छात्रों पर बर्बर लाठीचार्ज करके अपने फासीवादी चरित्र को फिर से नंगा किया है। दुनिया के सबसे बड़े लोकतन्त्र की व संविधान की बात-बात में दुहाई देने वाली भाजपा सरकार के रामराज्य में यह पहली बार नहीं हो रही है। रोजगार, परीक्षाओं में धांधली रोकने, हक़-अधिकार आदि को लेकर छात्रों-युवाओं को आए दिन सड़कों पर इतनी बुरी तरह पीटा जा रहा है, जैसे वो कोई अपराधी हों। अभी आज के ही अखबार में करोड़ों रुपये खर्च करके योगी सरकार ने विज्ञापन ने विज्ञापन के जरिये सफ़ेद झूठ बोला है कि किस तरह शिक्षकों के खाली पद भरे गए, शिक्षकों को पदोन्नति दी गई, शिक्षकों के खाली पद भरे गये, रोज़गारपरक शिक्षा का दौर शुरू हुआ।
जिन आन्दोलनरत छात्रों पर लाठीचार्ज किया गया है। वे छात्र 2011 से ही आन्दोलनरत हैं। नवम्बर 2011 में 72,825 पदों पर भर्ती निकाली गई थी। इन पदों पर टेट के अंकों पर भर्ती होनी थी जिसे हाई कोर्ट इलाहबाद में चैलेंज करते हुए अकादमिक मेरिट के आधार पर भर्ती की मांग रखी थी। 2012 में सपा सरकार ने टेट मेरिट पर आधारित विज्ञापन को रद्द करके, 7 दिसंबर 2012 को 72825 पदों के लिए अकादमिक मेरिट के आधार पर नया विज्ञापन जारी किया। नवम्बर 2014 में इलाहबाद कोर्ट ने पुराने विज्ञापन को भी सही मानते हुए, उस पर भी भर्ती का आदेश दिया था। सरकार इस मामले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गयी। 25 जुलाई 2017 को SC ने अपने आदेश में नए विज्ञापन को सही मानते हुए अब तक हुए अंतरिम आदेशों पर हुई भरतियों को सुरक्षित करते हुए, नए विज्ञापन पर भी भर्ती की सरकार को छूट दी। इसी भर्ती की माँग को लेकर ये छात्र आन्दोलनरत हैं।
लाठीचार्ज की यह पहली घटना नहीं हुए। इसके पहले भी छात्रों-नौजवानों व कर्मचारियों-मजदूरों के हकों को लेकर होने वाले आंदोलनों को लाठियों और बूटों से कुचला जाता रहा है। इसके पहले 31 मार्च को एसएससी के अभ्यर्थियों पर दिल्ली में, 16 फरवरी को बीटीसी के छात्रों पर लखनऊ में जैसी घटनाएँ तो अभी हाल के कुछ नमूने भर हैं। पिछले दिनों शिक्षकों के एक आन्दोलन में लाठीचार्ज के बाद एक शिक्षक की मृत्यु भी हो गई थी।
हक़ीक़त यह है कि अच्छे दिन दिखाने का, हर साल दो करोड़ नौकरी देने का  जुमला फेंकने वाली सरकार सारे सरकारी नौकरियों को सीधे डकार जाना चाहती है। तमाम विभागों को निजी हाथों में बेंच रही है। जिसकी वजह से  नौकरियाँ तेज़ी से घट रही है। योगी आदित्यनाथ प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों की संख्या ज़्यादा होने और उनको कहीं और समायोजित करने का सफ़ेद झूठ बोल रहा है जबकि संसद में पेश की गई रिपोर्ट बता रही है कि देश में 100000 प्राथमिक विद्यालयों में केवल 1 अध्यापक हैं, जिसमें से 15000 विद्यालय केवल उत्तर प्रदेश में है। प्रदेश के सरकारी विद्यालयों में लगभग 2 लाख पचहत्तर हज़ार पद खाली पड़े हैं।  खाली पदों को खत्म करने, ठेके पर देने, भर्तियों को लंबे समय तक लटकाये रखने जैसे तिकड़मों का इस्तेमाल इसी लिए किया जा रहा है ताकि छात्रों-युवाओं को जो सीमित रोज़गार मिल पा रहा था उसे भी छीना जा सके। फासिस्ट सरकार को यह अच्छी तरह पता है कि इन नीतियों के खिलाफ छात्र-नौजवान सड़कों पर उतरेंगे इसीलिए इस तरह से बर्बर लाठीचार्ज किया जा रहा है। इतना ही नहीं, छात्रों की व्यापक एकजुटता को तोड़ने के लिए भगवाधारी धार्मिक-उन्माद फैलाने में कोई कोर-कसर बाकी नहीं छोड़ रहे हैं। मीडिया मुट्ठी भर पूँजीपतियों के हाथ में है और संघी फासिस्ट पूँजीपतियों के सबसे चहेते हैं, इसलिए मीडिया ऐसे आंदोलनों को महत्व देने की जगह “मोदी” ने कैसे चार सालों में देश-दुनिया में भारत का नाम रोशन कर दिया, ‘साफ नीयत सही विकास - देश का बढ़ता विश्वास’ आदि का झूठा प्रचार करके मोदी और योगी सरकार की छात्रविरोधी-जनविरोधी नीतियों को ढंकने का काम करती है।
दिशा छात्र संगठन इन बर्बर लाठीचार्ज की भर्त्सना करता है और छात्रों से अपील करता है और छात्रों से अपील करता है कि इस बर्बर लाठीचार्ज के खिलाफ टीईटी के छात्रों के हक़ में सड़कों पर उतरें।
#solidaritywithtetstudent
दिशा छात्र संगठन द्वारा जारी




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