मेरी देशभक्ति का मेनिफेस्टो

मेरी देशभक्ति का मेनिफेस्टो कविता कृष्णपल्लवी ( एक "शरीफ़" गुबरैला इनबॉक्स पधारा! अन्य गुबरैलों की तरह उसने गालियों की झड़ी नहीं लगाई। उसने मुझे "भटकी हुई और बहका दी गयी" बताया और प्यार से धमकाया कि मैं देशद्रोह का रास्ता छोड़कर देशभक्तों के खेमे में आ जाऊँ , नहीं तो अंजाम बुरा होगा। उसे तो मैंने "आदर-सत्कार" करके विदा कर दिया , पर उसीसमय यह आईडिया आया कि मुझे अपनी देशभक्ति के बारे में चंद शब्द लिखने चाहिए!) * मेरी देशभक्ति का मेनिफेस्टो . मैं एक भारतीय हूँ। मैं इस देश से प्यार करती हूँ! मैं इस देश से प्यार करती हूँ , यानी इस देश के लोगों से प्यार करती हूँ। मैं इस देश के सभी लोगों से प्यार नहीं करती। मैं इस देश में अपनी मेहनत से फसल पैदा करने वाले , कारखानों में काम करने वाले , खदानों में काम करने वाले , बाँध , सड़क और बिल्डिंगें बनाने वाले , स्कूलों-कालेजों में पढ़ने-पढ़ाने वाले और ऐसे तमाम आम लोगों से और उनके बच्चों से प्यार करती हूँ! मैं उन थोड़े से लुटेरों से प्यार नहीं करती जो कारखानों , फार्मों , व्यावसायिक प्रतिष्ठानों , बैंकों आदि के मालिक...