क‍व‍िता - अच्छा आदमी / हरे प्रकाश उपाध्याय

 क‍व‍िता - अच्छा आदमी

हरे प्रकाश उपाध्याय

किसी बात के लिए मना नहीं करता

अच्छा आदमी है

हाँ जी हाँ जी कहता है- कितना अच्छा आदमी है

काम जो भी कहो तो झट से करता है

जो भी दे दो वह चुपचाप बस धरता है

न भी दो तो चुप ही रहता है

कितना अच्छा आदमी है

न रोटी माँगता है न रोज़गार माँगता है

न काम के बदले पगार माँगता है

न हक़ माँगता है न हिस्सा माँगता है

कितना अच्छा आदमी है

डाँट-फटकार, गुस्सा और मार

सहता है समझकर प्यार

किसी बात का बुरा नहीं मानता यार

कितना अच्छा आदमी है

उन्होंने समझाते हुए कहा

जो सुन सह के रहा

कभी ऊंच-नीच नहीं कहा

वही तो अच्छा आदमी है।



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