सेर्गेई मिखाल्कोव की दो छोटी कहानियां
सेर्गेई मिखाल्कोव की दो छोटी कहानियां
1. गधा और
ऊदबिलाव
एक बार की बात है, जंगल के बीचोबीच गलियारे में एक बहुत प्यारा
नन्हा पेड़ था।
एक दिन एक गधा दौड़ता हुआ उस जंगली रास्ते पर आया; लेकिन जब वह दूसरी
ओर देख रहा था, उसी समय पेड़ से टकरा गया; और उसे इतनी तेज चोट लगी कि दिन में तारे
नजर आने लगे।
गधे को बहुत गुस्सा आया। वह नदी की ओर गया और बाहर से ऊदबिलाव को, जिसे वह पहले से
जानता था, पुकारने लगा-
“मैं पूछता हूँ, ऊदबिलाव! क्या तुम जंगल की उस जगह को जानते हो, जिसके बीचोबीच एक
पेड़ लगा हुआ है।”
“हाँ–हाँ, मैं जानता हूँ!”
“तो तुम मेरा एक काम कर दो-जाओ और उस पेड़ को गिरा दो-तुम्हारे पास तो
बहुत नुकीले दाँत हैं।”
“लेकिन तुम इस धरती पर किसलिए हो?”
“मेरा सिर उससे टकरा गया, देखो यह गूमड़-कितना बड़ा–सा है?”
“तुम्हारी नजरें कहाँ थीं?”
“कहाँ? कहाँ थी मतलब? मैं दूसरी ओर देख रहा था! मेहरबानी करके जाओ और
पेड़ को काट डालो!”
“मैं ऐसा नहीं कर सकता। जंगली रास्ते में वह बहुत अच्छा लगता है।”
“लेकिन वह मेरे रास्ते में आया। मेरे लिए उसे काट डालो, ऊदबिलाव!”
“नहीं, मैं नहीं काटूँगा!”
“ये क्या बात हुई; क्या यह तुम्हारे लिए बहुत कठिन है?”
“नहीं, पर मैं ऐसा नहीं करूँगा, चाहे तुम कुछ भी कहो!”
“क्यों नहीं करोगे?”
“क्योंकि अगर मैंने ऐसा कर भी दिया, तो तुम किसी झाड़ी से टकरा जाओगे!”
“तो तुम झाड़ी को उखाड़ देना।”
“अगर मैंने ऐसा भी कर दिया तो तुम किसी गड्ढे में गिर जाओगे और अपनी
टाँगें तुड़वा लोगे।”
“मैं क्यों ऐसा करूँगा?”
“क्योंकि तुम एक गधे हो।” ऊदबिलाव ने कहा।
2. अपशकुन
एक बार की बात है, एक काली बिल्ली थी-बिल्कुल काली, जितनी वह हो सकती
थी। बिल्ली बहुत अच्छी शिकारी थी। एक दिन उसने एक चूहा पकड़ा और एक दिन मछली। एक
सुबह जब वह शिकार मारकर वापस लौट रही थी, तो रास्ते में उसकी मुलाकात एक कुत्ते के
पिल्ले से हुई।
“बिल्ली-बिल्ली! मुझे भी अपने साथ शिकार पर ले चलो!”
“ठीक है,” बिल्ली सहमत हो गयी। “एक से भले दो!”
“अच्छा!” पिल्ले ने कहा, “मुझे आगे-आगे दौड़ने देना, जिससे तुम मेरा
रास्ता नहीं काट पाओगी और मेरे साथ कुछ बुरा भी नहीं होगा। आखिरकार, तुम एक बिल्ली हो, हो कि नहीं? और वह भी एकदम काली!”
“अब मैं तुम्हें कहीं नहीं ले जाऊँगी!” बिल्ली ने कहा।
“क्यों?” पिल्ले ने पूछा।
“एक चालाक से हारना कहीं बेहतर है, बजाय इसके कि एक मूर्ख के साथ मिलकर कुछ
पा लिया जाय। तुम चरम मूर्ख हो, यह स्पष्ट है!” बिल्ली ने कहा और वहाँ से चली गयी।
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