देश के आधे एटीएम बन्द होने का भाजपाई उद्योगपति कनेक्शन
देश के आधे एटीएम बन्द होने का भाजपाई उद्योगपति
कनेक्शन
गिरीश मालवीय
कृपया पूरा पढ़े .......कुछ दिन पहले एक खबर आई थी
कि देश भर के आधे एटीएम बन्द होने वाले है दरअसल एटीएम इंडस्ट्री से जुड़े संगठन
सीएटीएमआई के हवाले से ये बात कही गयी थी संगठन ने इसकी वजह नियमों में हुए बदलाव
को बताया, जिसके चलते एटीएम ऑपरेट करना आसान नहीं रह गया है
सीएटीएमआई के डायरेक्टर वी बालासुब्रमण्यन के अनुसार अप्रैल 2018
में आरबीआई ने एटीएम सर्विस प्रोवाइडर और उनके कॉन्ट्रैक्टर पर सख्त
नियम लागू कर दिए थे, इन नियमों के अनुसार एटीएम सर्विस प्रोवाइडर की
कुल संपत्ति कम से कम 100 करोड़ रुपए होनी जरूरी है। उसके पास 300 कैश वैन
का बेड़ा होना अनिवार्य है। हर वैन में दो संरक्षक और दो बंदूकधारी गार्ड और एक
ड्राइवर तैनात करना होगा। हर कैश वैन जीपीएस और सीसीटीवी से लैस होनी चाहिए। इसके
अलावा सभी एटीएम का सॉफ्टवेयर विंडोज एक्सपी से विंडोज 10 में
अपग्रेड होना चाहिए इसके अलावा सुरक्षा मानकों को ध्यान मे रखते हुए ओर भी नियम
बनाए गए हैं
अब इन नियमों को पढ़ कर आपको भी एक बार ऐसा लगेगा
कि इसमें क्या गलत है सारे नियम तो पैसे की सुरक्षा को ध्यान में रखकर ही बनाए गए
हैं लेकिन आपको ध्यान रखना चाहिए है कि जो दिखाया जाता है जरूरी नही है कि वही
पूरा सच हो !
दरअसल इन 15 से 20 सालो
में इस एटीएम के बिजनेस के पीछे एक बहुत बड़ी इंडस्ट्री खड़ी हो गयी है जो जिसे मोटे
तौर पर कैश लॉजिस्टिक बिजनेस से जुड़ी कम्पनियां कहा जा सकता है, इस
बिजनेस का बड़ा हिस्सा पूरी तरह से बहुत छोटी ओर मध्यम श्रेणी की कम्पनियों के पास
है जो MSME की श्रेणी में आती है
इस बिजनेस में बड़े पैमाने पर सेना से रिटायर होने
वाले पूर्व सैनिक जुड़े हुए हैं जो इससे अपना जीवन यापन कर रहे हैं 60 से अधिक
भारतीय कंपनियां इन नियमों की वजह से कारोबार से बाहर हो जाएंगी, जिससे
हजारों कर्मचारी भी बेरोजगार हो जाएंगे लगभग 5,000 देसी सुरक्षा
एजेंसियों बन्द हो जाएगी सिक्योरिटी से जुड़े क्षेत्रों से जुड़े लाखो लोग बेरोजगार
हो जाएंगे ये सुरक्षा एजेंसियां पिछले 20 साल से भी अधिक समय
से बैंकों और एटीएम को कैश सप्लाई का कार्य कर रही हैं।
अब बडी कम्पनियों द्वारा सरकार पर दबाव डाल कर जो
सबसे महत्वपूर्ण नियम लागू करवाया जा रहा है वह यह है कि एटीएम सर्विस प्रोवाइडर
की कुल संपत्ति कम से कम 100 करोड़ रुपए होना अनिवार्य है तथा सर्विस प्रोवाइडर
के पार 300 कैश वैन का बेड़ा होना जरूरी है
कैश लॉजिस्टिक व्यापार में लगी इस नियम को पूरा
करने वाली कम्पनी सिर्फ दो या तीन ही है और उसमे SIS शामिल हैं अब आपके
सामने पूरी पिक्चर साफ हो जाएगी क्योकि SIS कम्पनी के मालिक है
बीजेपी बिहार के सबसे अमीर राज्यसभा सांसद RK सिन्हा
RK सिन्हा का नाम पनामा पेपर्स में भी आ चुका है
सिक्योरिटी सर्विसेज से जुड़ी यह कम्पनी बिहार की एकमात्र मल्टीनेशनल कंपनी है अब
इस कम्पनी का प्रबंधन उनके लड़के ऋतुराज सिन्हा सम्भाल रहे है जो कैश लॉजिस्टिक्स
एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीएलएआई) के अध्यक्ष भी है और फिक्की की सिक्युरिटी सेक्टर
कमेटी के को-चेयरमैन भी हैं.
ऋतुराज सिन्हा ने आते ही 2008 में
ऑस्ट्रेलिया की चब सिक्युरिटी एजेंसी को खरीद लिया था जो निजी सुरक्षा क्षेत्र की
सबसे बड़ी कंपनी और एसआइएस से सात गुना बड़ी थी धीरे धीरे इस कम्पनी ने कैश
लॉजिस्टिक के क्षेत्र में प्रवेश किया और सरकार पर दबाव बनाना शुरू किया कि वो
न्युनतम नेटवर्थ वाले नियमो को लागू करे, 2017 में SIS अपना IPO
भी लेकर आया, साफ था कि उसे अब कोई बड़ा काम करना ही था
कैश लॉजिस्टिक मैनेजमेंट करने वाली कंपनियों के
लिए सख्ती के साथ न्यूनतम नेटवर्थ संबंधी नियम का क्लॉज मल्टीनेशनल कंपनियों ने
इसलिए डलवाया, ताकि बहुत सी छोटी छोटी कंपनियों का बिजनेस एक
झटके में बड़ी मल्टीनेशनल कंपनियों को सौप दिया जाए, आज जो लगभग 60
कम्पनिया यह व्यापार कर रही है ओने पोने दाम अपना बिजनेस इन दो तीन
बड़ी मल्टीनेशनल कंपनियों को बेच देगी और इस व्यापार पर एकाधिकार स्थापित कर लेगी
निजी सुरक्षा एजेंसियों का संगठन सेंट्रल
एसोसिएशन ऑफ प्राइवेट सिक्योरिटी इंडस्ट्री,एटीएम इंडस्ट्री से
जुड़े संगठन सीएटीएमआई, कैश वैन ओनर्स एसोसिएशन, जैसी
लाखों कामगारों का प्रतिनधित्व करने वाली संस्थाए इन नियमो का विरोध कर रही है
लेकिन कोई मीडिया हाउस इनकी आवाज उठाने में इंटरस्टेड नही है !
सीएपीएसआई अध्यक्ष ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र
में कहा है कि इन नए नियमों से केवल दो-तीन विदेशी कंपनियों को लाभ होगा। केवल यही
कंपनियां बैंकों या एटीएम तक पैसा पहुंचाने के कारोबार में रह जाएंगी। नियमों को
इस तरह बनाया गया है कि केवल इन कंपनियों को ही लाभ हो। अगर केवल विदेशी कंपनियों
के हाथ में ही बैंकों, एटीएम और अन्य जगह पैसा पहुंचाने का कार्य चला
जाता है तो यह देश की सुरक्षा को लेकर भी शंका उत्पन्न करता है।
सिंह ने कहा, ऐसी स्थिति की
कल्पना कीजिए जब ये कंपनियां यह निर्णय ले लें कि वे किसी कारणवश अगले कुछ दिन कैश
वितरण नहीं कर सकती हैं। ऐसे में नागरिकों तक पैसा कैसे पहुंचेगा?
यानी सच तो यह है कि इस देश को पूरी तरह से बड़े
पूंजीपतियों का गुलाम बनाने में मोदी सरकार तन मन धन से लगी हुई है
खतरनाक साजिश
ReplyDeleteबहुत सही विश्लेषण, ए टी एम के पीछे छिपा इस सरकार के इतने बडे शडियंत्र को समझन आदमी की समझ से बाहर है मैने अपने जीवन में इससे ज्यादा झूठ बोलने वाला व्यक्ति नहीं देखा है, प्रधानमंत्री पद की गरिमा कि बात तो भूल जाइये।
ReplyDeleteइसी तरह की अनजाने कितने ही परिवर्तन हो रहे होंगे, जो केवल बड़े उद्योगपतियों के एकाधिकार में वृद्धि करने वाले होंगे। हम लोग कैसे-कैसे अदृश्य शिकंजों में फंसते जा रहे हैं !
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