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कृश्न चन्दर की प्रसिद्ध कहानी ‘उल्टा दरख़्त’ की पीडीएफ फाइल

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कृश्न चन्दर की प्रसिद्ध कहानी ‘उल्टा दरख़्त’ की पीडीएफ फाइल   पीडीएफ फाइल डाउनलोड लिंक  डाउनलोड करने में कोई समस्‍या आये तो 8828320322 पर व्‍हाटसएप्‍प संदेश भेजें प्रिण्ट कॉपी पाने के लिए यहां क्लि‍क करें  उल्टा दरख़्त कृश्न चन्दर की प्रसिद्ध कहानी है। यूं तो इसे बाल साहित्य में गिना जाता है पर यह हर किसी के लिए  पठनीय पुस्तक है। एक छोटा बच्चा समाज, सत्ता और इंसानी स्वभाव के बारे में क्या सोचता है उसकी यह कहानी है। इसे खुद पढ़ें और अपने आसपास के लोगों खासकर बच्चों को पढ़ने के लिए प्रेरित करें। अगर आपको पीडीएफ से पढ़ने में समस्या आए तो प्रिंट कॉपी के लिए जनचेतना से संपर्क करें - 9721481546

महान वैज्ञानिक कॉपरनिकस

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24 मई - महान वैज्ञानिक कॉपरनिकस को याद करने का दिन! अशोक पाण्डे ( https://www.facebook.com/ashokpande29 ) ब्लैक डैथ ऐसी महामारी थी जिसने यूरोप की आधी आबादी का सफाया कर दिया था। 14 वीं शताब्दी के इस त्रासद दौर के बाद अगले तीन सौ बरस तक यूरोप ने अपना पुनर्निर्माण किया। ग्रीक और रोमन सभ्यताओं के ज्ञान को दोबारा से खोजा गया। कला और विज्ञान के प्रति लोगों में नई दिलचस्पी जागी और पढ़े-लिखे लोगों ने इस सिद्धान्त का प्रचार-प्रसार किया कि आदमी के विचारों की क्षमता असीम है और एक जीवन में वह जितना चाहे उतना ज्ञान बटोर कर सभ्यता को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान कर सकता है। तीन सौ बरस का यह सुनहरा अन्तराल रेनेसां यानी पुनर्जागरण कहलाया। रेनेसां के मॉडल के तौर पर अक्सर पोलैंड के निकोलस कॉपरनिकस का नाम लिया जाता है। गणितज्ञ और खगोलशास्त्री कॉपरनिकस चर्च के कानूनों के ज्ञाता, चिकित्सक , अनुवादक , चित्रकार , गवर्नर , कूटनीतिज्ञ और अर्थशास्त्री भी थे। उनके पास वकालत में डॉक्टरेट की डिग्री थी और वह पोलिश , जर्मन , लैटिन , ग्रीक और इटैलियन भाषाओं के विद्वान थे। 19 फरवरी 1473 को तांबे का व्यापार करने ...

वैज्ञानिक चेतना और क्रान्तिकारी चेतना

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वैज्ञानिक चेतना और क्रान्तिकारी चेतना कात्यायनी वैज्ञानिक चेतना जबतक केवल प्रकृति विज्ञान के क्षेत्र में सक्रिय रहती है , वह मानव जीवन को लगातार उन्नत करने वाली चीज़ों का आविष्कार करती रहती है। भाप इंजन , रेलवे , आटोमोबाइल , हवाई जहाज , दूरसंचार , कंप्‍यूटर आदि से लेकर जीवन रक्षक दवाओं , दर्द निवारक दवाओं , एण्टीबॉयोटिक्स और अंग प्रत्या‍रोपण तक --- ऐसी अनगिनत चीज़ें और प्रविधियॉं हैं , जिनके बिना आज मानव जीवन की कल्प्ना भी नहीं की जा सकती। वैज्ञानिक चेतना तर्कणा और कारण-कार्य-सम्बन्धों की समझ है जो पर्यवेक्षण , प्रयोग और सत्यापन की प्रक्रिया से पैदा होती है। यह वैज्ञानिक चेतना यदि समाज के कुछ उन्नत तत्वों द्वारा आत्मसात कर ली जाती है और वे उसे व्यावहारिक अहसास और समझ के रूप में जनसमुदाय के मानस में पैठाने में सफल हो जाते हैं तो वह (जन समुदाय) उसे सामाजिक जीवन के दायरे में भी लागू करता है और प्रगति में बाधक , अपने लिए अहितकारी सामाजिक-राजनीतिक ढॉंचे को योजनाबद्ध ढंग से नष्ट करके एक अधिक तर्कसंगत , न्यायसंगत सामाजिक-राजनीतिक ढॉंचे के निर्माण की सरगर्मियों में जुट जाता है। लेकिन यह ...

वियतनामी क्रान्ति के नेता हो ची मिन्ह की कुछ कविताएँ

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वियतनामी क्रान्ति के नेता हो ची मिन्ह के जन्म दिवस ( 19 मई) के अवसर पर उनकी कुछ कविताएँ परिचय - सत्‍यम वर्मा  हो ची मिन्ह की गणना बीसवीं शताब्दी के शीर्षस्थ क्रान्तिकारियों , कम्युनिस्ट नेताओं और राष्ट्रीय मुक्ति-युद्धों के रणनीति-विशारदों में की जाती है। वे एक ऐसी क्रान्ति के नायक और नेता थे , जिसने फ्रांसीसी उपनिवेशवादियों को धूल चटाने के साथ ही जापानी फ़ासिस्ट आक्रमणकारियों का भी दुर्द्धर्ष प्रतिरोध किया था और दुर्जेय समझी जाने वाली अमेरिकी साम्राज्यवादी सेना की भी नाक मिट्टी में रगड़ दी थी। लेकिन वह एक दुर्द्धर्ष मुक्ति-योद्धा होने के साथ ही , शब्दों के वास्तविक अर्थों में , जनता के आदमी थे। उनके व्यक्तित्व की सादगी , पारदर्शिता और निश्छलता के उनके दुश्मन भी कायल थे। उनके व्यक्तित्व के यही गुण इन कविताओं में भी देखने को मिलते हैं। यह सादगी और पारदर्शिता ही इन कविताओं की शक्ति है। हम अनुमान लगा सकते हैं कि अपने मूल क्लासिकी छन्द रूपों में ये कविताएँ और भी अधिक नैसर्गिक और प्रभावी होंगी। आज माओ त्‍से-तुङ के देश की ही तरह हो ची मिन्ह के देश में भी समाजवाद पराजित हो चुका है। '...

कविता - ख़ौफ़ से आज़ादी / रवीन्द्रनाथ ठाकुर Poem - Freedom from Fear / Rabindranath Thakur

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कविता - ख़ौफ़ से आज़ादी रवीन्द्रनाथ ठाकुर ( बांग्ला से अनुवाद : तनुज) ख़ौफ़ से आज़ादी ही हमारी सच्ची आज़ादी है, जिस पर मैं तुम्हारे लिए दावा ठोंकता हूँ मेरी मातृभूमि! पीढ़ियों के बोझ से आज़ादी, अपना सिर झुका कर चलते रहना, अपनी कमर की हड्डियाँ तोड़ लेना और भविष्य की पुकार पर मूंद लेना अपनी आँखों को! नींद की बेड़ियों से चाहिए हमें आज़ादी जिससे तुम रात के सन्नाटे में ख़ुद को जकड़ लेते हो, और उस सितारे पर ज़ाहिर करते हो अपना अविश्वास जो सत्य की साहसिक राहों तक हमें ले जाना चाहता है.. आज़ादी अपनी क़िस्मत की अराजकता से.. जिसकी पालें अंधी और अनिश्चित हवाओं के सामने कमजोर पड़ती जाती हैं, और पतवार हमेशा चला जाता है मौत के माफ़िक कठोर और ठंडे हाथों में.. कठपुतलियों की इस दुनिया में रहने के अपमान से आज़ादी, जहाँ हरकतें बद-दिमाग़ तंत्रिकाओं के ज़रिए शुरू होती हैं, नासमझ आदतों के द्वारा वे दोहराई जाती हैं, और आकृतियाँ धीरज और आज्ञाकारिता के साथ खेल के मालिक की प्रतीक्षा करती हैं, जिंदगी को किसी बदसूरत नकल में बदल डालने के लिए... Poem - Freedom from Fear  Rabindranath Thakur Freedom from fear is the freedom I cla...

युद्धोन्माद के माहौल में कुछ असुविधाजनक लेकिन सबसे अधिक प्रासंगिक सवाल

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युद्धोन्माद के माहौल में कुछ असुविधाजनक लेकिन सबसे अधिक प्रासंगिक सवाल जिन्हें सबसे अधिक अप्रासंगिक बना दिया गया है! कात्यायनी जब भी अंधराष्ट्रवाद , युद्धोन्माद और प्रतिशोधी सैन्यवाद की लहर पूरे समाज पर हावी हो जाती है और रक्तपिपासु मीडिया का गला "ख़ून के बदले ख़ून" की चीख-पुकार मचाते हुए फट जाता है तो सच्चे क्रान्तिकारी और जनपक्षधर लोग धारा के विरुद्ध खड़े होकर इस अंधी लहर का विरोध करते हैं और युद्ध के असली चरित्र का पर्दाफ़ाश करते हैं। इस परीक्षा में तमाम बुर्जुआ लिबरल्स और सोशल डेमोक्रेट्स हमेशा फेल होते हैं। कार्ल काउत्स्की से लेकर आजतक के सभी सोशल डेमोक्रेट्स की एक प्रमुख अभिलाक्षणिकता होती है -- अंधराष्ट्रवाद! सभी प्रतिक्रियावादी युद्धों में लिबरल्स और सोशल डेमोक्रेट्स उसीतरह अपने-अपने देशों के शासक वर्गों के साथ जा खड़े होते हैं जैसे कि देश के भीतर उठ खड़े होने वाले क्रान्तिकारी युद्धों में। सोचने की बात यह है कि शासक वर्गों की जो सत्ता अपने देश की जनता के विरुद्ध विविध रूपों में दिन-रात युद्ध छेड़े रहती है , वही दूसरे देशों से युद्ध या सीमा पर तनाव की स्थि...