कहानी - मुम्बई / एन.एस. माधवन Story - Mumbai / NS Madhavan

कहानी - मुम्बई एन.एस. माधवन ( अंग्रेज़ी से अनुवाद : सत्यम ) Please scroll down for English version बचपन की यादें दुनिया को समझने में अज़ीज़ की मददगार थीं। बेशक़ , ऐसा सबके साथ होता होगा। दादा आदम को छोड़कर। धरती पर पहले इन्सान होने के नाते , उनका तो कोई बचपन भी नहीं था। (नाभि भी नहीं थी। हा , हा , हा , अज़ीज़ मन ही मन हँसा।) अज़ीज़ को बचपन की याद दिलाने वाली कोई भी चीज़ आसानी से पसन्द आ जाती थी। इसीलिए उसे मुम्बई पसन्द थी। अगर आप मट्टनचेरी को समतल कर दें , तो आपको मुम्बई मिल जाएगी। वार्डन रोड पर जिस फ्लैट में वह रहता था , उसके मालिक बुज़ुर्ग दम्पति भी उसे पसन्द थे। अगर शकूर साहब अपनी शानदार , सफ़ेद होती मूँछों और शरारती आँखों से एयर इंडिया महाराजा की याद दिलाते थे , तो अम्मीजान के गालों में पड़ने वाले बड़े-बड़े गड्ढों से उसे अपनी पसंदीदा अभिनेत्री , केपीएसी ललिता की याद आती थी। हमेशा की तरह उस दिन भी , सुबह-सुबह धुली हुई टैक्सियों को देखकर अज़ीज़ खुशी से भर गया। दूसरे शहरों की तरह मुम्बई की टैक्सियाँ भारी-भरकम एम्बेसडर नहीं थीं। वे फ़िएट थीं , बिल्कुल टैबी बिल्लियों ...