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ताजिक कहानी संग्रह - “नीले पर्वतों की गोद में” की पीडीएफ फाइल PDF file of Tajik Story collection - “At the Foot of Blue Mountains”

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ताजिक कहानी संग्रह - “नीले पर्वतों की गोद में” की पीडीएफ फाइल PDF file of Tajik Story collection - “At the Foot of Blue Mountains” पीडीएफ फाइल डाउनलोड लिंक  हिन्दी PDF in English डाउनलोड करने में कोई समस्‍या आये तो 8828320322 पर व्‍हाटसएप्‍प संदेश भेजें पुस्‍तक का संक्षिप्‍त परिचय महान अक्तूबर क्रान्ति से पूर्व भौगोलिक नक्शे में ताजिकिस्तान जैसा कोई शब्द नहीं था। यों लोगों को एक अरसे से यह पता था कि पहाड़ों का एक देश है जहां पंजिम और सिरदरिया बहती हैं और जहां के निवासी परिश्रमी ताजिक जाति के लोग हैं। यह वह जाति है जिसने विश्व मानव को प्रसिद्ध कवि, विद्वान दिये हैं, जिनमें रूदाकी, फ़िरदौसी, खय्याम और इब्न सीना जैसे महान व्यक्तियों के नाम लिये जा सकते हैं। ताजिकिस्तान मध्य एशिया के गणतन्त्रों में से एक है जो उसके दक्षिण-पूर्वी भाग में विशाल पर्वत श्रेणियों के संगम पर स्थित है। ताजिकिस्तान सूर्यस्नात व हिमाच्छादित पर्वतों का देश है। इस देश में गहरे और तंग दर्रे हैं जिनमें से होकर विशाल नदियां बहती हैं। ताजिकिस्तान “सफ़ेद सोने” का – कपास का देश है। यहां का प्राकृतिक वातावरण अपने परस्पर...

प्रेमचन्‍द की कालजयी कहानी - पूस की रात Premchand's Timeless Story - A Winter's Night

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प्रेमचन्‍द की कालजयी कहानी - पूस की रात For English version please scroll down हल्कू ने आकर स्त्री से कहा- सहना आया है , लाओ , जो रुपये रखे हैं , उसे दे दूं , किसी तरह गला तो छूटे. मुन्नी झाड़ू लगा रही थी. पीछे फिरकर बोली- तीन ही तो रुपये हैं , दे दोगे तो कम्मल कहां से आवेगा ? माघ-पूस की रात हार में कैसे कटेगी ? उससे कह दो , फसल पर दे देंगे. अभी नहीं. हल्कू एक क्षण अनिश्चित दशा में खड़ा रहा. पूस सिर पर आ गया , कम्मल के बिना हार में रात को वह किसी तरह नहीं जा सकता. मगर सहना मानेगा नहीं , घुड़कियां जमावेगा , गालियां देगा. बला से जाड़ों में मरेंगे , बला तो सिर से टल जाएगी. यह सोचता हुआ वह अपना भारी- भरकम डील लिए हुए (जो उसके नाम को झूठ सिद्ध करता था) स्त्री के समीप आ गया और खुशामद करके बोला- ला दे दे , गला तो छूटे. कम्मल के लिए कोई दूसरा उपाय सोचूंगा. मुन्नी उसके पास से दूर हट गयी और आंखें तरेरती हुई बोली- कर चुके दूसरा उपाय! जरा सुनूं तो कौन-सा उपाय करोगे ? कोई खैरात दे देगा कम्मल ? न जाने कितनी बाकी है , जों किसी तरह चुकने ही नहीं आती. मैं कहती हूं , तुम क्यों नहीं ख...

कहानी - मुम्बई / एन.एस. माधवन Story - Mumbai / NS Madhavan

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कहानी -  मुम्बई एन.एस. माधवन ( अंग्रेज़ी से अनुवाद : सत्यम ) Please scroll down for  English version बचपन की यादें दुनिया को समझने में अज़ीज़ की मददगार थीं। बेशक़ , ऐसा सबके साथ होता होगा। दादा आदम को छोड़कर। धरती पर पहले इन्सान होने के नाते , उनका तो कोई बचपन भी नहीं था। (नाभि भी नहीं थी। हा , हा , हा , अज़ीज़ मन ही मन हँसा।) अज़ीज़ को बचपन की याद दिलाने वाली कोई भी चीज़ आसानी से पसन्द आ जाती थी। इसीलिए उसे मुम्बई पसन्द थी। अगर आप मट्टनचेरी को समतल कर दें , तो आपको मुम्बई मिल जाएगी। वार्डन रोड पर जिस फ्लैट में वह रहता था , उसके मालिक बुज़ुर्ग दम्पति भी उसे पसन्द थे। अगर शकूर साहब अपनी शानदार , सफ़ेद होती मूँछों और शरारती आँखों से एयर इंडिया महाराजा की याद दिलाते थे , तो अम्मीजान के गालों में पड़ने वाले बड़े-बड़े गड्ढों से उसे अपनी पसंदीदा अभिनेत्री , केपीएसी ललिता की याद आती थी। हमेशा की तरह उस दिन भी , सुबह-सुबह धुली हुई टैक्सियों को देखकर अज़ीज़ खुशी से भर गया। दूसरे शहरों की तरह मुम्बई की टैक्सियाँ भारी-भरकम एम्बेसडर नहीं थीं। वे फ़िएट थीं , बिल्कुल टैबी बिल्लियों ...