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याङ मो लिखित तरुणाई का तराना उपन्‍यास की पीडीएफ फाइल PDF File of the Yang Mo's Novel The Song of Youth

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याङ मो लिखित तरुणाई का तराना उपन्‍यास की पीडीएफ फाइल युवा क्रान्तिकारियों के बलिदान की गाथा PDF File of t he Yang Mo's Novel The Song of Youth The Saga of the Sacrifice of Young Revolutionaries पीडीएफ फाइल डाउनलोड लिंक  हिन्दी PDF in English डाउनलोड करने में कोई समस्‍या आये तो 8828320322 पर व्‍हाटसएप्‍प संदेश भेजें पुस्‍तक का संक्षिप्‍त परिचय ‘तरुणाई का तराना’ चीन की क्रान्तिकारी लेखिका याङ मो का उपन्यास है जो अर्द्ध-सामन्ती अर्द्ध-औपनिवेशिक चीनी समाज की मुक्ति के लिए संघर्ष कर रहे नौजवान छात्र-छात्राओं की शौर्यगाथा का अत्यन्त सजीव, प्रेरणादायी और रोचक वर्णन करता है। याङ मो का जन्म पीकिङ में हुआ था। उनके पिता एक निजी विश्वविद्यालय चलाते थे लेकिन जब वह बारह वर्ष की थीं तभी वह बन्द हो गया और उनका परिवार आर्थिक परेशानियों में घिर गया। जब वह स्कूल में थीं तभी उनके पिता ने तंगी से निकलने के लिए एक धनी व्यक्ति से उनकी शादी तय कर दी लेकिन याङ मो ने घर छोड़ दिया और पीकिङ के पास एक गाँव के स्कूल में पढ़ाने लगीं। पीकिङ विश्वविद्यालय में पढ़ने के दौरान ही उन्होंने 1934 में कहानियाँ लिखना शुर...

विज्ञान, तकनोलॉजी और सामाजिक ढाँचे के रिश्‍तों पर कुछ बातें

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विज्ञान , तकनोलॉजी और सामाजिक ढाँचे के रिश्‍तों पर कुछ बातें कविता कृष्‍णपल्‍लवी जाने-अनजाने मार्क्‍सवादी भी वर्तमान समाज की बुराइयों के लिए , बढ़ते अलगाव , अवसाद , अपराधीकरण , स्‍वार्थपरता आदि के लिए , या पर्यावरण की तबाही के लिए तकनोलॉजी को(और प्रकारान्‍तर से विज्ञान को) कोसने लगते हैं। तकनोलॉजी का विकास उत्‍पादक शक्तियों के विकास की नैसर्गिक गति का हिस्‍सा है। मानव चेतना का विकास नये-नये आविष्‍कारों के रूप में सामने आता रहेगा। सवाल  यह है कि उस तकनोलॉजी का इस्‍तेमाल किस उद्देश्‍य से किया जाता है! और यह इससे तय होता है कि सामाजिक-आर्थिक संरचना कैसी है , उत्‍पादन के साधनों का स्‍वामित्‍व किन सामाजिक वर्गों के हाथों में है , उत्‍पादन और विनिमय के सम्‍बन्‍धों की नियामक-नियंत्रक राज्‍यसत्‍ता  पर कौन से सामाजिक वर्ग काबिज हैं! पूँजीवादी समाज में उत्‍पादन के साधनों के मालिक सारा उत्‍पादन मुनाफा कमाने के लक्ष्‍य से प्रेरित होकर करते हैं , न कि समाज की आवश्‍यकता और दूरगामी हितों को ध्‍यान में रखकर। उत्‍पादक वर्ग अपनी श्रमशक्ति बेचकर जिन्‍दा रहने की ज़रूरतें बाजार से खरीदते हैं...