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Showing posts from September, 2018

कविता - हमें यों जीना चाहिये जैसे हम कभी मरेंगे ही नहीं / नाज़िम हिकमत Poem - On Living / Nazim Hikmet

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जीने के बारे में नाज़िम हिकमत एक जीना कोई हंसी खेल नहीं आपको जीना चाहिये बड़ी संजीदगी के साथ मसलन किसी गिलहरी की तरह - मेरा मतलब है जीवन से सुदूर और ऊपर की किसी चीज़ की तलाश किये बग़ैर , मेरा मतलब है ज़िन्दा रहना आपका मुकम्मिल काम होना चाहिये. जीना कोई हंसी खेल नहीं आपको इसे गंभीरता से लेना चाहिये , ऐसी और इस हद तक कि , मिसाल के तौर पर , आपके हाथ बंधे आपकी पीठ पर , आपकी पीठ दीवाल पर , या फिर किसी प्रयोगशाला में अपने सफ़ेद कोट और हिफ़ाज़ती चश्मों में आप मर सकें लोगों के लिये - उन लोगों तक के लिये जिनके चेहरे भी आपने कभी नहीं देखे , गो कि जानते हैं आप कि जीवन सबसे ज़्यादा वास्तविक , सबसे सुन्दर चीज़ है. मेरा मतलब है , आपको इतनी संजीदगी से लेना चाहिये जीवन को कि , उदाहरण के लिये , सत्तर की उम्र में भी आप रोपें जैतून का पौधा - और यह नहीं कि अपने बच्चों के लिये , बल्कि इसलिये कि हालांकि आप मृत्यु से डरते हैं पर उस पर विश्वास नहीं करते क्योंकि जीवन , मेरा मतलब है , ज़्यादा वज़नदार चीज़ है. दो मान लीजिये हम बहुत बीमार हैं - ऑपरेशन की ज़रूरत है - जिसका मतलब है कि हो...

भारत को लूटो और भागो - मोदी सरकार की नयी योजना

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भारत को लूटो, भारत से भागो, नई योजना आई है क्या प्रधानमंत्री जी रविश कुमार, एनडीटीवी  ऐसा लग रहा है कि भारत से भागने के लिए एयरपोर्ट पर अलग से काउंटर बना हुआ है। जहां से बैंक लूटने वालों को भागने में मदद की जा रही है। टाइम्स आफ इंडिया के नीरज चौहान की एक ख़बर गोदी मीडिया से ग़ायब है। भागने वाले नए खिलाड़ी का नाम है कि नितिन संदेसरा। इन पर 5300 करोड़ का बैंक फ्राड करने का आरोप है। इनक गुजरात के वडोदरा में एक कंपनी है जिसका नाम है स्टर्लिंग बायोटेक। अगस्त में ख़बर आई थी कि संदेसरा सऊदी भागा है और वहीं पकड़ा गया है। लेकिन अब ख़बर आ रही है कि संदेसरा ने नाईजीरिया को चुना है। नाईजीरिया के साथ भारत का प्रत्यर्पण करार नहीं है इसलिए वहां से लाने में मुश्किल भी होगी। यह ख़बर इंडियन एक्सप्रेस में भी छपी है। आप अपने हिन्दी के रद्दी हो चुके अख़बारों को पलट कर देखिए। वहां यह ख़बर छपी है या नहीं। छपी है तो किस प्रमुखता से छपी है। नितिन संदेसरा अकेले नहीं गए हैं। उनके साथ भाई चेतन संदेसरा, भाभी दीप्तिबेन संदेसरा भी नाईजीरिया में छुपे हैं। सीबीआई ने 5000 फ्राड के मामले में वडोदरा के नितिन,...

राफ़ेल घोटाला - फ्रांस के राष्‍ट्रपति ओलांदे ने खोल दी मोदी-अंबानी पार्टनरशिप की पोल

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राफ़ेल घोटाला - फ्रांस के राष्‍ट्रपति ओलांदे ने खोल दी मोदी-अंबानी पार्टनरशिप की पोल  सत्‍यम वर्मा  राफ़ेल घोटाला भारत ही नहीं दुनिया के सबसे बड़े घोटालों में से एक है। इससे कहीं कम बड़े मामलों में जापान , कोरिया सहित कई देशों में सरकारें गिर चुकी हैं और प्रधानमंत्री और राष्‍ट्रपति को जेल जाना पड़ा है। इस मामले में भ्रष्‍टाचार के इतने सारे साक्ष्‍य पहले ही आ चुके थे कि शक की कोई गुंजाइश ही नहीं थी , और मोदी सरकार द्वारा किए सौदे के समय फ्रांस के राष्‍ट्रपति रहे ओलांदे का बयान आ जाने के बाद तो मोदी सरकार के झूठ को ढंक रही लंगोट की आख़िरी चिन्‍दी भी उड़ गई है। लेकिन गोयबेल्‍स को भी मात देने वाले अंदाज़ में टीवी चैनलों से इसकी चर्चा ग़ायब है , सरकार का कोई छुटभैया कह रहा है कि मामले की ‘’जाँच’’ कराई जाएगी , सरगना चुप साधे हुए है और सारे हंगामे को ढँक देने वाला कोई नया भावनात्‍मक मुद्दा उभारने की योजना बनाने में अपने सिपहसालारों के साथ व्‍यस्‍त है। विपक्षी बुर्जुआ पार्टियाँ ट्विटर पर व्‍यंग्‍यबाण छोड़ने से आगे बढ़ने की कूवत खो चुकी हैं। न तो उनके पास जुझारू कार्यकर्...

मक्सिम गोर्की की कहानी - वह लड़का Maxim Gorky's Story - The little boy

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मक्सिम गोर्की की कहानी - वह लड़का For English version please scroll down यह छोटी-सी कहानी सुनाना काफी कठिन होगा-इतनी सीधी-सादी है यह! जब मैं अभी छोटा ही था , तो गरमियों और वसन्त के दिनों में रविवार को , अपनी गली के बच्चों को इकट्ठा कर लेता था और उन्हें खेतों के पार , जंगल में ले जाता था। इन पंछियों की तरह चहकते , छोटे बच्चों के साथ दोस्तों की तरह रहना मुझे अच्छा लगता था। बच्चों को भी नगर की धूल और भीड़ भरी गलियों से दूर जाना अच्छा लगता था। उनकी माँएँ उन्हें रोटियाँ दे देतीं , मैं कुछ मीठी गोलियाँ खरीद लेता , क्वास की एक बोतल भर लेता और फिर किसी गड़रिये की तरह भेड़ों के बेपरवाह मेमनों के पीछे-पीछे चलता जाता-शहर के बीच , खेतों के पार , हरे-भरे जंगल की ओर , जिसे वसन्त ने अपने सुन्दर वस्त्रों से सजा दिया होता। आमतौर पर हम सुबह-सुबह ही शहर से बाहर निकल आते , जब कि चर्च की घण्टियाँ बज रही होतीं और बच्चों के कोमल पाँवों के जमीन पर पड़ने से धूल उठ रही होती। दोपहर के वक्त , जब दिन की गरमी अपने शिखर पर होती , तो खेलते-खेलते थककर , मेरे मित्र जंगल के एक कोने में इकट्ठे हो जाते।...

गुमनाम औरत की डायरी में दर्ज प्यार के बारे में कुछ विचार

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गुमनाम औरत की डायरी में दर्ज प्यार के बारे में कुछ विचार कविता कृष्‍णपल्‍लवी _________________________ प्यार अमर होता है , यह दुनिया का सबसे बड़ा मिथक होता है। पर मिथक भी यथार्थ के साथ ही जन्म लेता है। यह जीवन नश्वर है और प्यार भी। नश्वर ही सुन्दर है। अनश्वरता काल्पनिक है और कुरूप है। _________________________ प्यार में मुक्ति नहीं होती।प्यार में मुक्ति के लिए संघर्ष की तड़प पैदा करने की ताक़त होती है। _________________________ प्यार के मिथ्याभास से तो प्यार की मृग-मरीचिका ही भली। मृग-मरीचिका भी मिथ्याभास है , पर उसमें हम जीते नहीं , उसके पीछे अंतिम साँस तक भागते हैं। _________________________ अगर आदर्श स्थिति की बात करें , तो प्यार कई रागों में ढलता है।वह जीवन की भैरवी है , सृजन का मल्हार है और स्वप्नों का मालकौंस है। पर हम सभी जानते हैं , यथार्थ कभी भी आदर्श नहीं होता। सजग जीवन का यथार्थ निरंतर आदर्श का पीछा करता है। _________________________ मेरी दोस्त कह रही थी कि वह तो प्रेम में डूब गयी है। मुझे तो डूबने से , डूबकर मरने से और डूब मरने से भयंकर डर लगत...

गहराता बैंकिंग संकट और आने वाले आर्थिक संकट की आहट

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गहराता बैंकिंग संकट और आने वाले आर्थिक संकट की आहट  मुकेश असीम  देश में इस समय भयंकर आर्थिक संकट चल रहा है और उसकी एक निशानी है - विभिन्न बैंकों का लगातार मर्जर। पहले एसबीआई के 5 सहायक बैंकों की हालत खराब होने पर उनको एसबीआई में मर्ज किया गया। अब तीन बैंकों का फिर मर्जर किया गया है ताकि सबसे कमजोर बैंक देना को बचाया जा सके। आगे आने वाले समय में यह संकट और गहराएगा। बैंकिंग सेक्टर के इस संकट पर हम आज साथी मुकेश असीम की कुछ पोस्ट शेयर कर रहे हैं जो इस मुद्दे के बेहद गंभीर पहलुओं पर हमारा ध्यान आकर्षित करती हैं। उनकी पांच पोस्ट को मिलाकर यह पोस्ट बनाई है। यह पूरी पोस्ट पढ़ें और जाने कि यह संकट क्यों आ रहा है। _________________________ बैंकिंग इतिहास के कुछ तथ्य 1990 के दशक में जापानी बैंक दुनिया में छाए थे , शीर्ष 10 में से 6-7; फिर जो संकट आया आज तक कहीं दिखाई न देते। फिर अमेरिकन बैंक ऊपर आए , सिटी बैंक नं 1 पर ; 2002 के संकट में ये भी डूबे , सिटी बैंक के टुकड़े करने पड़े। इसके बाद यूरोप के बैंक छाए , पर 2008 के वित्तीय संकट के बाद यूरोप की मेहनतकश जनता का पे...

परमाणु ऊर्जा और जादूगोडा का नरक

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परमाणु ऊर्जा और जादूगोडा का नरक  डॉ. नवमीत पिछले दिनों एक फ़िल्म आयी थी "परमाणु"। फ़िल्म में बड़े जोरशोर से राष्ट्रवाद का तड़का लगाते हुए दिखाया गया था कि किस तरह से भारत ने अमेरिका की नाक तले पोखरण में परमाणु विस्फोट किये थे। इसके बाद भारत एक नाभिकीय शक्ति के तौर पर स्थापित हो गया था। फिर उसी कड़ी में भारत सरकार ने आगे अमेरिका से न्यूक्लियर डील की और नाभिकीय ऊर्जा को ऊर्जा के मुख्य स्रोत के तौर अपनाने की शुरुआत की।   खैर अब आपको लेकर चलते हैं झारखण्ड में सिंहभूम जिले के जादूगोड़ा कस्बे में। इस कस्बे और इसके आसपास के आदिवासी इलाकों में आपको जन्मजात और अनुवांशिक बीमारियों और अपंगता से ग्रस्त लोग बहुतायत से मिलेंगे। किसी की रीढ़ टेढ़ी हो गई है , किसी की मांसपेशियां काम नहीं करती , किसी को असाध्य कैंसर है। लेकिन इसका नाभिकीय ऊर्जा से क्या संबंध है ? असल में यह वह इलाका है जहां नाभिकीय ऊर्जा के लिए इस्तेमाल होने वाला उच्च कोटि का यूरेनियम पाया जाता है। यूरेनियम का यह समस्थानिक यानि आइसोटोप बहुत ज्यादा रेडियोएक्टिव होता है। इसके असुरक्षित खनन के चलते यहां की जनता पर इसक...