कविता - हमें यों जीना चाहिये जैसे हम कभी मरेंगे ही नहीं / नाज़िम हिकमत Poem - On Living / Nazim Hikmet
जीने के बारे में नाज़िम हिकमत एक जीना कोई हंसी खेल नहीं आपको जीना चाहिये बड़ी संजीदगी के साथ मसलन किसी गिलहरी की तरह - मेरा मतलब है जीवन से सुदूर और ऊपर की किसी चीज़ की तलाश किये बग़ैर , मेरा मतलब है ज़िन्दा रहना आपका मुकम्मिल काम होना चाहिये. जीना कोई हंसी खेल नहीं आपको इसे गंभीरता से लेना चाहिये , ऐसी और इस हद तक कि , मिसाल के तौर पर , आपके हाथ बंधे आपकी पीठ पर , आपकी पीठ दीवाल पर , या फिर किसी प्रयोगशाला में अपने सफ़ेद कोट और हिफ़ाज़ती चश्मों में आप मर सकें लोगों के लिये - उन लोगों तक के लिये जिनके चेहरे भी आपने कभी नहीं देखे , गो कि जानते हैं आप कि जीवन सबसे ज़्यादा वास्तविक , सबसे सुन्दर चीज़ है. मेरा मतलब है , आपको इतनी संजीदगी से लेना चाहिये जीवन को कि , उदाहरण के लिये , सत्तर की उम्र में भी आप रोपें जैतून का पौधा - और यह नहीं कि अपने बच्चों के लिये , बल्कि इसलिये कि हालांकि आप मृत्यु से डरते हैं पर उस पर विश्वास नहीं करते क्योंकि जीवन , मेरा मतलब है , ज़्यादा वज़नदार चीज़ है. दो मान लीजिये हम बहुत बीमार हैं - ऑपरेशन की ज़रूरत है - जिसका मतलब है कि हो...