लें कुछ बेहतरीन पुस्‍तकें पढ़ने का संकल्‍प क्‍योंकि


लें कुछ बेहतरीन पुस्तकें पढ़ने का संकल्प क्योंकि

पुस्तक एक पीढ़ी की अपने बाद आने वाली पीढ़ी के लिए आत्मिक वसीयत होती है, मृत्यु के कगार पर खड़े वृद्ध की जीवन में पहले डग भर रहे नवयुवक के लिए सलाह होती है, ड्यूटी पूरी करके जा रहे सन्तरी का ड्यटी पर आ रहे सन्तरी को आदेश होती है… पुस्तक भविष्य का कार्यक्रम होती है। ”
🖌अलेक्सान्द्र हर्ज़ेन

“पुस्तक भी जीवन और मानव के समान ही है। वह भी एक सजीव तथा बोलता तथ्य है, और वह उन सब वस्तुओं की तुलना में जिसकी सृष्टि मनुष्य ने की है, या कर रहा है, सब से कम “वस्तु” है।”
🖌मक्सिम गोर्की, पेज – 37, पुस्तक “सृजन प्रक्रिया और शिल्प के बारे में” से

“जो किताबें आपको सोचने के लिए जितना ही ज़्यादा मजबूर करती हैं वे आपके लिए उतनी ही ज़्यादा मददगार साबित होती हैं । सीखने का सबसे मुश्किल तरीका होता है, आरामतलबी से पढ़ना; परन्तु किसी महान चिन्तक की एक महान किताब विचारों के एक ऐसे जहाज की तरह होती है जो सच्चाई और ख़ूबसूरती से ठसाठस लदा होता है।”
🖌पाब्लो नेरूदा

“किताबें करती हैं बातें बीते ज़माने की, दुनिया की,इंसानों की! आज की, कल की, एक-एक पल की, खुशियों की, ग़मों की, फूलों की, बमों की, जीत की, हार की, प्यार की, मार की! क्या तुम नहीं सुनोगे इन किताबों की बातें? किताबें कुछ कहना चाहती हैं, तुम्हारे पास रहना चाहती हैं! किताबों में चिडियाँ चहचहाती हैं, किताबों में खेतियाँ लहलहाती हैं! किताबों में झरने गुनगुनाते हैं, परियों के किस्से सुनाते हैं! किताबों में रॉकेट का राज है, किताबों में साइंस की आवाज़ है! किताबों का कितना बड़ा संसार है, किताबों में ज्ञान का भंडार है! क्या तुम इस संसार में नहीं जाना चाहोगे? किताबें कुछ कहना चाहती हैं, तुम्हारे पास रहना चाहती हैं!”
🖌सफ़दर हाशमी

“किताब कितनी अनोखी चीज़ है। यह पेड़ से बनी और लचीले हिस्सों वाली एक सपाट सी वस्तु है जिस पर रेंगने से बनी गहरी रेखाओं की तरह कुछ अजीबोगरीब छपा होता है। परन्तु बस एक नज़र डालने की देर है और आप एक दूसरे व्यक्ति के दिमाग में चले जाते हैं, भले ही वह व्यक्ति हज़ारों साल पहले ही चल बसा हो। सहस्त्राब्दियों के फासले के बावजूद, लेखक आपके मस्तिष्क से स्पष्ट और गुपचुप तरीके से बाते कर रहा होता है, वह सीधे आप से बातें कर रहा होता है। लेखन शायद मनुष्य का महानतम आविष्कार है जो ऐसे एक दूसरे से अनजान दो भिन्न युगों में रहने वाले नागरिकों को एक डोर से बांध देता है। किताबें समय की बेड़ियों को तोड़ देती हैं। किताब एक ज़िन्दा सबूत है कि मनुष्य जादू करने में सक्षम है।”
🖌कार्ल सैगन

“… जब तक साहित्य का काम केवल मनबहलाव का सामान जुटाना, केवल लोरियां गाकर सुलाना,केवल आंसू बहाकर जी हल्का करना था, तब तक इसके लिए कर्म की आवश्यकता न थी। वह एक दीवाना था, जिसका ग़म दूसरे खाते थे। मगर हम साहित्य को केवल मनबहलाव की वस्तु नहीं समझते, हमारी कसौटी पर वही साहित्य खरा उतरेगा जिसमें उच्च चिन्तन हो, स्वाधीनता का भाव हो, सौन्दर्य का सार हो, सृजन की आत्मा हो, जीवन की सच्चाइयों का प्रकाश हो– जो हममें गति और बेचैनी पैदा करे, सुलाये नहीं, क्योंकि अब और ज्यादा सोना मृत्यु का लक्षण है।”
🖌मुक्तिबोध (जनता का साहित्य किसे कहते हैं?)


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