मोदी सरकार LIC को बर्बाद करने जा रही है!! जानें कैसे!


मोदी सरकार LIC को बर्बाद करने जा रही है!! जानें कैसे!   
धोखे के अंदर और भी धोखा!

मुकेश असीम 


बीमा का पूरा कारोबार ही पूंजीवादी व्यवस्था में रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य, आदि की सामाजिक गारंटी के अभाव और इसके कारण अलगावग्रस्त व्यक्तियों / एकल परिवारों के भयादोहन पर टिका ठगी का कारोबार है। थोड़ी बहुत बचत कर सकने वाले लोगों को बीमा के मुक़ाबले पूंजीवादी बाजार में भी उपलब्ध अन्य माध्यम - बैंक, मुचुअल फंड, आदि भी कुछ कम ही लूटते हैं। सार्वजनिक क्षेत्र की एलआईसी/जीआईसी को तो वैसे भी सारी सरकारें खास तौर पर शेअर बाजार को सहारा देने के लिए इस्तेमाल करती आईं हैं, जिसका नुकसान इनसे बीमा कराने वाले भुगतते आए हैं। 
पर पूंजीवादी आर्थिक संकट और मोदी सरकार मिलकर इस ठगी के अंदर भी एक नई ठगी का रास्ता बना रहे हैं। आईडीबीआई बैंक 27% डूबे कर्जों के कारण जिसकी पूंजी पूरी तरह डूब चुकी है, सरकार अब उसमें 51% हिस्सा एलआईसी को बेचने जा रही है। ( News link - https://economictimes.indiatimes.com/news/economy/policy/govt-mulls-selling-majority-stake-in-idbi-bank-to-lic-reports/videoshow/64694880.cms ) 
इसको ऐसे समझिये कि एलआईसी के पास अपनी पूंजी नहीं है, इसके पास की सारी पूंजी बीमा कराने वालों के प्रीमियम से इकट्ठा राशि है जिसके निवेश पर होने वाली आय से यह अपना खर्च और सरकार को देने वाला हिस्सा निकालकर फिर बीमा कराने वालों को बचा हिस्सा पॉलिसी पर दावे/लाभ/बोनस के रूप में देती है। बीमाधारकों की थोड़ी-थोड़ी रकम से एकत्र इसी पूंजी से अब एलआईसी आईडीबीआई बैंक का मालिकाना हिस्सा खरीदेगी। एयर इंडिया की तरह इसका भी कोई खरीदार नहीं है क्योंकि सब पूंजीपति तो अच्छी तरह वाकिफ हैं कि वे पहले ही इसे लूटकर पूरी तरह खोखला बना चुके हैं।
मतलब यह कि सरकार माल्या, मोदी, जैसे पूँजीपतियों की लूट से डूबे हुए आईडीबीआई बैंक को अपनी मनमानी कीमत पर एलआईसी के बीमाधारकों के मत्थे मढ़ कुछ मुनाफा कमा लेगी। इतना ही नहीं, आगे भी आईडीबीआई बैंक को घाटे से उबरने के लिए जो भी पूंजी लगेगी, वह बीमा धारकों के पैसे से ही आएगी अर्थात पूँजीपतियों द्वारा दबा लिए गए कर्ज की वसूली बीमाधारकों द्वारा जमा किए गए प्रीमियम से होती रहेगी और उनको अपनी पॉलिसी पर मिलने वाला थोड़ा बहुत लाभ और भी कम हो जाएगा।
साफ है कि आर्थिक संकट का बोझ अब इतना बढ़ चुका है कि सिर्फ मजदूर-गरीब किसान वर्गों की लूट से उसकी भरपाई संभव नहीं, अब तक खुद को सुरक्षित मानने वाले मध्यम वर्ग द्वारा बुढ़ापे के खर्च, मकान, बीमारी, बच्चों की पढ़ाई-शादी, आदि के लिए बचाई गई रकम पर डाका डालना जरूरी हो गया है।
पर यह डाका डालना मुमकिन इसलिए हो पा रहा है क्योंकि जाति-धर्म के पूर्वाग्रहों से ग्रस्त यह वर्ग अखलाक, रोहित वेमुला, जुनैद, कासिम, आदि के बेरहम कत्ल के नशे में चूर होकर खुद पर डाका डालने वालों को ही अपना रहनुमा मानकर जय-जयकार में मस्त है।

Comments

  1. Lic should not enter for the intrest of policyholders .

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  2. Ye kuta modi Des ki earth vevstha khrab kr rha h

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  3. Everyone should unite to fight against it and should save LIC as it is for the people

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  4. Lic कोidbi में निवेश नही करना चाहिए

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  5. LIC will be forced by Govt then we will be helpless, choosing this government was the mistake

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  6. We Should force the govt to render a saparate bell out package for IDBI rather than forcing LIC to acquire a sick bank.

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