ख़लील जिब्रान की लघुकथाएं Khalil Gibran's short stories
ख़लील जिब्रान की लघुकथाएं आजादी वह मुझसे बोले- 'किसी गुलाम को सोते देखो तो जगाओ मत, हो सकता कि वह आजादी का सपना देख रहा हो।' 'अगर किसी गुलाम को सोते देखो तो उसे जगाओ और आजादी के बारे में बताओ।' मैंने कहा। ऊँचाई अगर आप बादल पर बैठ सके तो एक देश से दूसरे देश को अलग करने वाली सीमा रेखा आपको कहीं दिखाई नहीं देगी और न ही एक खेत से दूसरे खेत को अलग करनेवाला पत्थर ही नजर आएगा। च्च...च....च... आप बादल पर बैठना ही नहीं जानते। मेजबान 'कभी हमारे घर को भी पवित्र करो।' करूणा से भीगे स्वर में भेड़िये ने भोली-भाली भेड़ से कहा 'मैं जरूर आती बशर्ते तुम्हारे घर का मतलब तुम्हारा पेट न होता।' भेड़ ने नम्रतापूर्वक जवाब दिया। दूसरी भाषा मुझे पैदा हुए अभी तीन ही दिन हुए थे और मैं रेशमी झूले में पड़ा अपने आसपास के संसार को बड़ी अचरज भरी निगाहों से देख रहा था। तभी मेरी माँ ने आया से पूछा, “कैसा है मेरा बच्चा?” आया ने उत्तर दिया, “वह ख़ूब मज़े में है। मैं उसे अब तक तीन बार दूध पिला चुकी हूँ। मैंने इतना ख़ुशदिल बच्चा आज तक नहीं...