मार्क ट्वेन की दो अमर कहानियों के‍ संकलन 'वह शख्‍स जिसने हैडलेबर्ग को भ्रष्‍ट कर दिया' की पीडीएफ फाइल The man that Corrupted Hadleyburg - PDF file of two timeless stories by Mark Twain

मार्क ट्वेन की दो अमर कहानियों के‍ संकलन 'वह शख्‍स जिसने हैडलेबर्ग को भ्रष्‍ट कर दिया' की पीडीएफ फाइल
पूँजीवाद सभ्यता और मूल्यों पर सबसे तीखी और मारक चोट करने वालों में से एक, महान अमेरिकी लेखक मार्क ट्वेन की दो कालजयी कहानियाँ

The man that Corrupted Hadleyburg
PDF file of two timeless stories by Mark Twain


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जीवन भर हमें ईमानदारी का सबक-दर-सबक सिखाया गया है-ऐसी ईमानदारी जिस पर कभी किसी लोभ-लालच की छाया ही नहीं पड़ने दी गयी। अरे यह ईमानदारी नक़ली है, ऊपर से लादी हुई, और लालच का पहला झोंका आते ही कपूर की तरह उड़ जाती है। ...मुझे यक़ीन है कि इस शहर की ईमानदारी भी उतनी ही सड़ी है जितनी मेरी, उतनी ही सड़ी जितनी तुम्हारी। ये एक घटिया शहर है; कूपमण्डूक, बदबूदार शहर है ये। इसके पास कोई गुण नहीं है, सिवाय इस ईमानदारी के, जिसके लिए इसके इतने चर्चे हैं और जिस पर यह इतना इतराता फिरता है। मेरी बात गाँठ बाँध लो - जिस दिन इसकी ईमानदारी पर किसी बड़े लालच की चोट पड़ी, इसकी महान प्रतिष्ठा रेत के महल की तरह भरभराकर गिर जायेगी। ...मैं कपटी हूँ; जीवनभर मैं कपट करती रही हूँ, बिना जाने। आज के बाद कोई मुझे ईमानदार न कहे-बस बहुत हो चुका।” - इसी पुस्‍तक से

प्रकाशकीय


पूँजीवाद सभ्यता और मूल्यों पर सबसे तीखी और मारक चोट करने वालों में से एक
, महान अमेरिकी लेखक मार्क ट्वेन की दो कालजयी कहानियाँ हिन्दी में पहली बार प्रस्तुत करते हुए हमें ख़ुशी हो रही है।
हिन्दी में मार्क ट्वेन के नाम से तो बहुतेरे पाठक परिचित हैं लेकिन अधिकांश लोग उन्हें मज़ाकिया कहानियों के रचयिता के रूप में ही जानते हैं। वैसे भारत ही नहीं, ट्वेन के देश अमेरिका में भी उनके वास्तविक योगदान और विचारों को छिपाया और तोड़-मरोड़कर ही पेश किया जाता रहा है। ज़्यादातर पाठक उन्हें बच्चों के लिए मज़ेदार कहानियों के लेखक; या लोगों को हँसाने में माहिर व्यंग्यकार के तौर पर जानते हैं। कई बार उन्हें अपनी विफलताओं के कारण समाज पर गुस्सा उतारने वाले कटु मानवद्वेषी के तौर पर भी प्रस्तुत किया जाता है। या फिर अमेरिकी साहित्य के पितामहों में से एक, अमेरिकी स्वप्न के शक्तिशाली प्रतीक या राष्ट्रवादी नायक के रूप में उनकी छवि गढ़ने की कोशिशें होती रही हैं।
सच तो यह है कि मार्क ट्वेन पिछली सदी की शुरुआत में अमेरिकी शासक वर्ग की विचारधारा, उसकी राजनीति और पूँजीवादी संस्कृति के प्रखरतम और कटुतम आलोचकों में से एक थे। ख़ासकर, जीवन के अन्तिम दौर में, ट्वेन की प्रकाशित और अप्रकाशित कृतियाँ और उनके भाषण ज़बर्दस्त तौर पर नस्लवाद-विरोधी, साम्राज्यवाद-विरोधी और रैडिकल हैं। उनके विपुल कृतित्व के इस पहलू से हिन्दी के पाठक प्रायः अपरिचित ही हैं। हमारा प्रयास होगा कि हम जनता के पक्ष के इस महान लेखक की महत्वपूर्ण कृतियों को हिन्दी में प्रस्तुत करें। इसकी शुरुआत पूँजीवादी लोभ-लालच और पाखण्ड पर करारी चोट करने वाली इन दो प्रसिद्ध कहानियों से की जा रही है।
द मैन दैट करप्टेड हैडलेबर्गट्वेन की सबसे शक्तिशाली कहानियों में गिनी जाती है। अमेरिकी सत्ता प्रतिष्ठान के लिए ट्वेन वास्तव में क्या हैं, इसका अनुमान इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद मैकार्थी काल में उनकी बहुतेरी रचनाओं का प्रकाशन-वितरण रोक दिया गया था। उसी दौर की घटनाओं पर आधारित प्रसिद्ध अमेरिकी लेखक हावर्ड फ़ास्ट के उपन्यास सिलास टिम्बरमनमें एक अमेरिकी प्रोफ़ेसर को इसलिए तमाम तरह की प्रताड़नाओं का सामना करना पड़ता है क्योंकि वह अपने कॉलेज के पाठ्यक्रम में द मैन दैट करप्टेड हैडलेबर्गको शामिल कर लेता है। उस पर इल्ज़ाम लगाया जाता है कि वह कम्युनिज़्म का प्रचारक है। दूसरी कहानी भी पूँजी की भयंकर भ्रष्टकारी शक्ति और व्यक्तियों पर इसके विनाशकारी परिणामों को चित्रित करती है। कहने की ज़रूरत नहीं कि ट्वेन की तीखी व्यंग्यात्मक शैली में लिखी दोनों कहानियाँ जितनी गहरी चोट करती हैं उतना ही हँसाती भी हैं।
द मैन दैट करप्टेड हैडलेबर्गकहानी का यह अनुवाद पहलेपहल सृजन परिप्रेक्ष्यपत्रिका के प्रवेशांक में प्रकाशित हुआ था। इसके साथ दिये गये रेखांकन मैक्डेनियल कॉलेज, अमेरिका की वेबसाइट से साभार लिये गये हैं।

- परिकल्पना प्रकाशन

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