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बाल्ज़ाक के कालजयी उपन्यास ‘सूना घर' की पीडीएफ फाइल PDF file of Balzac's Timeless Novel - Eugenie Grandet

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बाल्ज़ाक के कालजयी उपन्यास ‘सूना घर' की पीडीएफ फाइल PDF file of Balzac's Timeless Novel - Eugenie Grandet हिन्‍दी पीडीएफ फाइल डाउनलोड लिंक   Link for English - https://drive.google.com/file/d/1m2RjO6zUBg526mxS4IWMQcI5glkb2PIm/view?usp=drive_link (Translation by Marion Ayton Crawford) https://drive.google.com/file/d/1df0RGCgcj0j-zc78vug2U_FHfk6BHBAt/view?usp=drive_link (Translation by Katherine Prescott Wormeley) डाउनलोड करने में कोई समस्‍या आये तो 9892808704 पर व्‍हाटसएप्‍प संदेश भेजें इक्कीसवीं सदी में बाल्ज़ाक कात्यायनी / सत्यम बीसवीं शताब्दी के प्रारम्भ में, साहित्य के जागरूक यूरोपीय पाठकों के बीच यह मान्यता काफ़ी लोकप्रिय हुआ करती थी कि विश्व का महानतम उपन्यास “युद्ध और शान्ति” है और महानतम उपन्यासकार बाल्जाक हैं। आज, एक शताब्दी बाद भी, विश्व–साहित्य के अध्येताओं का बहुलांश उपरोक्त धारणा से सहमत मिलेगा। पिछले डेढ़ सौ वर्षों के दौरान दुनिया के पाँच सार्वकालिक महानतम उपन्यासकारों की सूची जब कभी भी बनाई जाती तो उसमें बाल्जाक का नाम शायद सबसे निर्विवाद और सुरक्षित होता। पिछले च...

लेव तोल्स्तोय के महान उपन्यास ‘आन्‍ना कारेनिना’ का संक्षिप्‍त परिचय व पीडीएफ फाइल

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लेव तोल्स्तोय के महान उपन्यास ‘आन्‍ना कारेनिना’ का संक्षिप्‍त परिचय व पीडीएफ फाइल  पीडीएफ फाइल डाउनलोड लिंक  खण्‍ड - 1  लिंक 1          लिंक 2 खण्‍ड - 2  लिंक 1          लिंक 2   डाउनलोड करने में कोई समस्‍या आये तो 9892808704 पर व्‍हाटसएप्‍प संदेश भेजें तोल्स्तोय : रूसी क्रान्ति के दर्पण परिचय लेखक - सत्यम और कात्यायनी 1873–77 के बीच के पाँच वर्षों का समय तोल्स्तोय ने दूसरे महान उपन्यास ‘आन्ना कारेनिना’ के लेखन में लगाया। 1876–77 में इसका प्रकाशन हुआ। महाकाव्यात्मक त्रासदी को नये दिक्–काल सन्दर्भों में पुनर्परिभाषित करने का दबाव बनाने वाला यह महान उपन्यास अपराध या पाप के नैतिक प्रश्न को गहरे ऐतिहासिक–सामाजिक सन्दर्भों में प्रस्तुत करते हुए, समाज और स्वयं अपने जीवन के प्रति प्रत्येक व्यक्ति के उत्तरदायित्व को चिन्तन के केन्द्र में उपस्थित करता है। इसके साथ ही , यह तत्कालीन रूसी जीवन के सभी बुनियादी और केन्द्रीय अन्तरविरोधों को भी चित्रित करता है। सामाजिक जीवन की समस्याओं तथा कला और दर्शन के प्रश्नों के साथ ही ...

क‍व‍िता - तानाशाह और साहित्य-संस्कृति के मेले / कविता कृष्णपल्लवी

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क‍व‍िता -  तानाशाह और साहित्य-संस्कृति के मेले कविता कृष्णपल्लवी हालाँकि हर चुनाव में उसका जीतना तय होता था लेकिन फिर भी तानाशाह कम से कम चुनाव तो करवाता ही था अपार धन और ताक़त ख़र्च करके जनता से अपनी ताक़तवर सत्ता के लिए सहमति हासिल करने के लिए, एकदम संवैधानिक और लोकतांत्रिक तरीके से I अपने लिए बस थोड़ा सा ही लेकर तानाशाह सभी उद्योगपतियों-व्यापारियों को दोनों हाथों से धन बटोरने की छूट देता था ताकि वे देश की तरक़्क़ी में खुलकर योगदान कर सकें I तानाशाह अपने संघर्षों की कहानियाँ युवाओं को प्रेरित करने के लिए बार-बार बताता था और इस विश्वास को पुख़्ता बनाता था कि अगर लगन हो तो कोई चोर, रंगसाज़, सड़क का गुण्डा, तड़ीपार या चाय बेचने वाला भी सत्ता के शीर्ष तक पहुँच सकता है और देश की बहुमूल्य सेवा कर सकता है बशर्ते कि इस महान लक्ष्य के लिए उसमें कुछ भी कर गुज़रने की हिम्मत हो, सड़कों पर ख़ून की नदियाँ बहाने देने का, आगज़नी, दंगों और बलात्कारों की झड़ी लगा देने का दृढ़निश्चय हो, जगत सेठों का दिल जीत लेने का हुनर हो और लाखोलाख गुण्डों, मवालियों, लंपटों को धर्मयोद्धा बना देने का जादू हो! ताना...