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Showing posts from May, 2021

रओ शि की कहानी “विनाश” व उनकी संक्षिप्त जीवनी

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कहानी - विनाश रओ शि संक्षिप्त जीवनी कहानी के बाद दी गयी है जाड़ों की ठिठुरती ठण्डी रात थी। तीखी हवा बह रही थी। एक दीनहीन स्त्री ने अपने शिशु पर दृष्टि डाली जिसे उसने तीन रात पहले जन्म दिया था। वह चीथड़ों गुदड़ों में लिपटी बैठी थी। उसके पीले चेहरे पर दीपक की फीकी मटमैली रोशनी पड़ रही थी। मरी हुई आवाज में उसने अपने पति को , जो तीस पैंतीस वर्ष का रहा होगा , पुकारा , “ जो मैंने कहा है वही करो। वही सबसे अच्छा तरीका है।” गोद में पड़े बच्चे को उसने फटी फटी सूनी आँखों से निहारा। सिर्फ उसकी नन्हीं सी खोपड़ी पर के सुनहरे रोएँ ही दिख रहे थे। “ इसे अभी ले जाओ ,” स्त्री ने आग्रह किया। “देर होती जा रही है , मौसम ठण्डा है और रास्ता लम्बा है। जल्दी निकल जाना बेहतर है।” परन्तु उसने बच्चे को सीने से नहीं हटाया। वह थोड़ा सा आगे को झुकी और उसे और लिपटा लिया। आदमी निराश होकर आँखें नीचे किए बोला , “ क्या कल जाने से काम नहीं चलेगा। कल , बस कल तक रुको। कल तक हवा भी कम हो जाएगी।” “ आज रात!” एक बार फिर उसने बच्चे को प्यार किया। “ इस पर बात कर लें–– मैं सोचता हूँ–––” “ और कोई चारा नहीं है। हमारे पास चावल ...

पाँच लघुकथाऍं / चन्द्रधर शर्मा 'गुलेरी', सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला', ख़लील जिब्रान

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पाठशाला / चन्द्रधर शर्मा ' गुलेरी ' पाठशाला का वार्षिकोत्सव था। मैं भी वहाँ बुलाया गया था। वहाँ के प्रधान अध्यापक का एकमात्र पुत्र , जिसकी अवस्था आठ वर्ष की थी , बड़े लाड़ से नुमाइश में मिस्टर हादी के कोल्हू की तरह दिखाया जा रहा था। उसका मुँह पीला था , आँखें सफ़ेद थीं , दृष्टि भूमि से उठती नहीं थी। प्रश्न पूछे जा रहे थे। उनका वह उत्तर दे रहा था। धर्म के दस लक्षण सुना गया , नौ रसों के उदाहरण दे गया। पानी के चार डिग्री के नीचे शीतलता में फैल जाने के कारण और उससे मछलियों की प्राण–रक्षा को समझा गया , चंद्रग्रहण का वैज्ञानिक समाधान दे गया , अभाव को पदार्थ मानने , न मानने का शास्त्रार्थ कर गया और इंग्लैंड के राजा आठवें हेनरी की स्त्रियों के नाम और पेशवाओं का कुर्सीनामा सुना गया। यह पूछा गया कि तू क्या करेगा ? बालक ने सिखा–सिखाया उत्तर दिया कि मैं यावज्जन्म लोकसेवा करूँगा। सभा ‘वाह वाह’ करती सुन रही थी , पिता का हृदय उल्लास से भर रहा था। एक वृद्ध महाशय ने उसके सिर पर हाथ फेरकर आशीर्वाद दिया और कहा कि जो तू ईनाम मांगे , वही दें। बालक कुछ सोचने लगा। पिता और अध्यापक इस चिंता में लग...

"वामपंथी" पत्रकार महोदय का "शोध" और रोष भरा प्रतिवाद : यानी मूर्खता के साथ क्रोध के सम्मिश्रण से उपजा विकट-विचित्र रासायनिक यौगिक

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"वामपंथी" पत्रकार महोदय का "शोध" और रोष भरा प्रतिवाद : यानी मूर्खता के साथ क्रोध के सम्मिश्रण से उपजा विकट-विचित्र रासायनिक यौगिक कविता कृष्‍णपल्लवी मूर्खेश असीम जी नाराज़ हो गये हैं! बेचारे ने रातभर ‘मज़दूर बिगुल’ की फाइलें खंगाली हैं,कि अपनी वर्तमान मूर्खता को सही सिद्ध करने का कोई रास्ता अतीत में मिल जाए! अन्त में, उन्होंने ‘मज़दूर बिगुल’ के चार वर्ष पुराने एक सम्पादकीय को काफी पुरातात्विक खनन के बाद निकाला है और उसे उद्धृत करके दावा किया है, कि हमने भी तो यह लिखा था कि व्यापारिक पूंजी की कालाबाज़ारी, सट्टेबाज़ी आदि के कारण कीमतें बढ़ती हैं! खुदरा व्यापार व कृषि उपज के बाज़ार के दरवाज़े इस प्रकार की गतिविधियों में संलिप्त कम्पनियों के लिए खोल दिये जाने के कारण भोजन समेत सभी वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोत्तरी होती है! इसमें एक बड़े पूंजीपति घराने अदानी द्वारा किया गया घोटाला भी शामिल है! फिर मूर्खेश जी पूछते हैं कि हमने जब ये बातें लिखीं थीं तब वह सही थीं और जब वह कह रहे हैं, तो वे ग़लत हो गयीं! अब हम कारपोरेट पूंजी की आलोचना पर नाराज़ क्यों हो रहे हैं? यही तो समस्या...

महँगाई के मार्क्सवादी विश्‍लेषण के बाबत सोशल मीडिया के "वामपंथी" पत्रकार महोदय के मूर्खतापूर्ण कुतर्क

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'यूरेका! यूरेका!' -- सोशल मीडिया के "वामपंथी" पत्रकार महोदय ने फिर चमत्कृत कर दिया अपनी नयी खोज से!! कविता कृष्‍णपल्लवी सोशल मीडिया के ‘’वामपंथी’’ पत्रकार महोदय फिर से एक नयी खोज लेकर आए हैं। उन्होंने बताया है कि अप्रैल में कुल थोक महँगाई बढ़कर 10.5 प्रतिशत हो गयी है। उनका दावा है कि यह महँगाई इजारेदार पूँजी द्वारा वसूले जाने वाले ट्रिब्यूट (इजारेदार लगान) और अप्रत्यक्ष करों के बढ़ने के कारण बढ़ी है। इसके बाद उन्होंने इशारतन हम पर हमला करते हुए दावा किया है कि हम इजारेदार पूँजी के आने से खाद्यान्न के सस्ते होने का इन्तज़ार कर रहे हैं! पूरे मसले की अवसरवादी प्रस्तुति कर ऐसे “बौद्धिक” बहुरूपिये अपने मूर्खतापूर्ण कुतर्कों को सही साबित करने का प्रयास करते हैं। तो आइये जाने लेते हैं कि मूर्खेश असीम ने यहाँ क्या द्रविड़ प्राणायाम किये हैं। 1. 10.5 प्रतिशत महँगाई केवल खाद्यान्न की महँगाई नहीं है। कुछ खाद्य वस्तुओं की थोक महँगाई मार्च से अप्रैल में 3.2 प्रतिशत से बढ़कर 4.9 प्रतिशत हो गयी, लेकिन उनकी खुदरा महँगाई घटी है, जिस पर कुछ आगे आऊँगी। लेकिन यहाँ सबसे महत्वपूर्ण बात यह ...