कविता - ज़िन्दगी, ज़िन्दगी / अर्सेनी तारकोव्स्की Poem - Life, Life / Arseny Tarkovsky
कविता - ज़िन्दगी, ज़िन्दगी
अर्सेनी तारकोव्स्की (1907 - 1989)
(हिंदी अनुवाद : असद ज़ैदी। किटी हंटर-ब्लेअर और वर्जीनिया राउंडिंग के अंग्रेज़ी अनुवादों पर आधारित। रूसी मूल की मदद से रश्मि दोरैस्वामी द्वारा संपादित।)
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1.
अपशकुनों को मैं नहीं मानता, न मुझे है
अमंगल की आशंका। बदनामी हो या ज़हर, कोई शै
मुझे डरा नहीं सकती। मौत नाम की कोई चीज़ है ही नहीं।
हर कोई अमर है। हर चीज़ अमर है।
मौत सत्रह की उम्र में हो या सत्तर की
इसमें घबराना क्या। जो कुछ है यहीं है आज और अभी, रौशनी यहीं पर है;
न मृत्यु कहीं है न अंधकार।
हम सब मौजूद हैं समुद्रतट पर;
जब अमरत्व का झुंड मछलियों की तरह तैरता
इधर से गुज़रेगा मैं ही फेंकूँगा जाल ।
2.
तुम हो अगर मकीन किसी मकान के — तो वह गिरेगा नहीं।
मैं किसी भी शताब्दी को पुकारकर पास बुला लूँगा।
फिर उसमें दाख़िल होकर एक घर बना लूँगा।
अकारण नहीं कि तुम्हारे बच्चे और बीवियाँ
मेरे साथ एक ही मेज़ पर बैठे हैं,
और वहीं बैठे हैं तुम्हारे पुरखे और पौत्र प्रपौत्र भी :
भविष्य यहीं इसी वक़्त निर्मित हो रहा है,
अगर मैं अपना हाथ ज़रा भी ऊपर उठाऊँ,
रौशनी की पाँचों शुआएँ तुम्हारे साथ बनी रहेंगी।
हर रोज़ मैंने अपनी हँसली पर लकड़ी के कुंदे की तरह
अतीत को उठाए रखा,
मैंने समय को ज़मीन की पैमाइश करने वाली ज़ंजीर से नापा
और ऐसे उसे पार किया किया जैसे पार कर रहा होऊँ उराल पर्वतमाला।
3.
मैंने युग को अपने मुताबिक़ बना लिया।
हम दक्षिण की ओर चल पड़े, स्तेपी पर धूल उड़ाते हुए;
लम्बी घास क्रोधित थी; टिड्डा नाचता था,
पहले उसने घोड़े की नाल को छुआ – फिर भविष्यवाणी की,
एक संत की तरह, कि मेरा नाश होने वाला है।
मैंने अपनी तक़दीर को ज़ीन के साथ कस दिया;
और आज भी, इस आने वाले वक़्त में,
एक बच्चे की तरह रकाब में पैर डालकर खड़ा हूँ।
मुझे अमरत्व मिला है तो बस,
मेरा रक्त एक युग से दूसरे युग तक प्रवाहमान रहेगा।
मैं तब भी गर्माई भरे एक सुरक्षित कोने के लिए
अपना जीवन क़ुरबान करने को तैयार होता,
लेकिन जीवन की उड़ती हुई सुई है कि
मुझे धागे की तरह पिरोती चली जाती है इस संसार में।
(1965)
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नोट : महान फिल्मकार आन्द्रेइ तारकोवस्की के पिता अर्सेनी तारकोव्स्की ख़ुद एक सम्मानित रूसी कवि और अनुवादक थे। वह मन्देल्श्ताम, त्स्वेतायेवा, अख़्मातोवा और पस्तेरनाक के समकालीन और घनिष्ठ मित्र थे। फ़ोटो : पिता-पुत्र साथ में।
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