कविता - प्यार / कविता कृष्णपल्लवी
कविता - प्यार
कविता कृष्णपल्लवी
प्यार वही, सिर्फ़ वही
कर सकता है
जो निर्भय होI
प्यार वही कर सकता है
जिसका ह्रदय सघन संवेदनाओं से
फासिस्ट समय हमें
अकेला करता हैI
अकेलापन हमें
भयग्रस्त करता हैI
आतंक की ठंडी बारिश में
दिन-रात भीगते रहते हैं
हमारे ह्रदय,
अकड़ते और सिकुड़ते हुए
धीरे-धीरे अपनी सारी संवेदनाएँ
खो देते हैंI
सुन्दरता और कला और मनुष्यता
बस यही होती है कि
हम सुनते रहते हैं
एक प्रेतात्मा को खून सनी उँगलियों से
पियानो बजाते हुए
और उसके आदी होते रहते हैंI
इसतरह न जाने कब
हम खो देते हैं
प्यार करने की अपनी कूव्वत
और उदास पेड़ बन जाते हैं
सड़क किनारे खड़े
जिससे होकर हत्यारे रोज़ गुज़रते हैंI
Comments
Post a Comment