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Showing posts from November, 2024

उज़बेक लोक कथा - क्रूर बादशाह

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उज़बेक लोक कथा - क्रूर बादशाह हिन्‍दी अनुवाद - सुधीर कुमार माथुर ( रादुगा प्रकाशन द्वारा प्रकाशित “जहाँ चाह, वहॉं राह  - उज़बेक लोक-कथाएं ” पुस्‍तक से ) बहुत समय पहले एक देश में क्रूर बादशाह राज करता था। एक बार पता नहीं क्यों उसने एक नया हुक्म जारी किया : “ जिस आदमी के घर में कोई आदमी मरे उस घर का मालिक उसकी लाश उठाकर छत पर ले जाये और एक छत से दूसरी पर होकर ही क़ब्रिस्तान तक लेकर जाये। जो कोई इस आज्ञा का पालन नहीं करेगा , उसे मौत की सजा दी जायेगी।” उस देश में एक बहुत बूढ़ा कत्थक रहता था , जिसके सारे बाल पक चुके थे। वह बादशाह के पास गया। “ तुम यहाँ किस लिए आये हो ?” कत्थक बोला : “ क्या प्रजा भूख , ग़रीबी और तुम्हारे अत्याचारों से कम परेशान है , जो तुमने एक नया बेतुका हुक्म जारी किया है ? मरे हुए को दफ़नाने के लिए उसके रिश्तेदार पांच और कई बार तो दस-दस दिन तक परेशान होते हैं। तुम्हें इस में क्या आनंद आता है ?” बादशाह आग-बबूला हो उठा। “ लोग कहते हैं कि बूढ़े बुद्धिमान होते हैं ,” वह बोला। “ पर वास्तव में यह झूठ है कोई सिरफिरा बूढ़ा आकर मुझे सीख दे रहा है। इ...

कला के साथ विचारधारा और राजनीति के अन्‍तर्सम्‍बन्‍ध और ‘प्रतिबद्ध’ सम्‍पादक का भोंड़ा भौतिकवाद

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कला के साथ विचारधारा और राजनीति के अन्‍तर्सम्‍बन्‍ध और ‘ प्रतिबद्ध ’ सम्‍पादक का भोंड़ा भौतिकवाद   कात्यायनी   पंजाब में अभी पंजाबी कवि सुरजीत पातर के कवित्‍व के चरित्र-निर्धारण को लेकर एक बहस जारी है। इस बहस में ‘ प्रतिबद्ध ’ पत्रिका ने अपना पक्ष रखा और सुरजीत पातर की कविता को क्रान्तिकारी मानने से इंकार किया , हालाँकि अतीत में उनकी अवस्थिति कुछ और थी , जिसे लेकर उन्‍होंने अपनी “ आत्‍मालोचना ” पेश की! उनकी दलील एक ओर पातर के कवि-कर्म के एक विश्‍लेषण पर आधारित है , जिसे ‘ सुर्ख लीह ’ के साथियों ने ग़लत क़रार दिया है , तो वहीं दूसरी ओर इस बात पर आधारित है कि पातर ने सरकार से पुरस्‍कार लिए , सरकारी संस्‍थाओं में पद ग्रहण किया , इत्‍यादि।     इसका जवाब देते हुए ‘ सुर्ख लीह ’ ( सुर्ख रेखा) पत्रिका ने ‘ प्रतिबद्ध ’ की अवस्थिति की विस्‍तृत आलोचना पेश करते हुए तमाम दूसरी चीज़ों के साथ यह दिखलाया कि ‘ प्रतिबद्ध ’ के सम्‍पादक महोदय को सुरजीत पातर की कविताओं का न तो ‘ टेक्‍स्‍ट ’ समझ आया है और न ही ‘ कण्‍टेक्‍स्‍ट ’ । इसके बाद ‘ प्रतिबद्ध ’ ने एक सोशल मीडिया पोस्‍ट में...

जैक लण्‍डन के उपन्‍यास 'आयरन हील' की पीडीएफ PDF file of Jack London's Novel 'The Iron Heel'

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जैक लण्‍डन के उपन्‍यास 'आयरन हील' की पीडीएफ PDF file of Jack London's Novel 'The Iron Heel' हिन्‍दी पीडीएफ फाइल डाउनलोड लिंक   Link for English PDF file डाउनलोड करने में कोई समस्‍या आये तो 9892808704 पर व्‍हाटसएप्‍प संदेश भेजें जैक लण्‍डन , उसका समय और उसका कृतित्‍व (सत्‍यम और कात्‍यायनी द्वारा लिखित विस्‍तृत लेख के कुछ हिस्‍से) वेगवान उद्दीप्त उल्का-सा वह जीवन! ' धूल की जगह राख होना चाहूँगा मैं! मैं चाहूँगा कि एक दैदीप्यमान ज्वाला बन जाये भड़ककर मेरी चिनगारी बजाय इसके कि सड़े काठ में उसका दम घुट जाये। एक ऊँघते हुए स्थायी ग्रह के बजाय मैं होना चाहूँगा एक शानदार उल्का मेरा प्रत्येक अणु उद्दीप्त हो भव्यता के साथ। मनुष्य का सही काम है जीना , न कि सिर्फ जीवित रहना। अपने दिन मैं बर्बाद नहीं करूँगा उन्हें लम्बा बनाने की कोशिश में। मैं अपने समय का इस्तेमाल करूँगा। ' जैक लण्‍डन की की ये ओजपूर्ण पंक्तियां उसके जीवन और जीवन-दृष्टि का घोषणा-पत्र हैं। विश्व-साहित्य में यथार्थवादी परम्परा पर कोई भी चर्चा जैक लण्डन के विशेषकर दो उपन्यासों - मार्टिन ...