युद्धोन्माद के विरुद्ध बर्तोल्त ब्रेख्त की कविताएं Bertolt Brecht's Poem against War Hysteria
युद्धोन्माद के विरुद्ध बर्तोल्त ब्रेख्त की कविताएं मूल जर्मन से अनुवाद – मोहन थपलियाल 1. युद्ध जो आ रहा है (1936-38) युद्ध जो आ रहा है पहला युद्ध नहीं है। इसे पहले भी युद्ध हुए थे। पिछला युद्ध जब खत्म हुआ तब कुछ विजेता बने और कुछ विजित- विजितों के बीच आम आदमी भूखों मरा विजेताओं के बीच भी मरा वह भूखा ही। _________________________ 2. दीवार पर खड़िया से लिखा था: (1936-38) दीवार पर खड़िया से लिखा था: वे युद्ध चाहते हैं जिस आदमी ने यह लिखा था पहले ही धराशायी हो चुका है। _________________________ 3. जब कूच हो रहा होता है (1936-38) जब कूच हो रहा होता है बहुतेरे लोग नहीं जानते कि दुश्मन उनकी ही खोपड़ी पर कूच कर रहा है वह आवाज जो उन्हें हुक्म देती है उन्हीं के दुश्मन की आवाज होती है और वह आदमी जो दुश्मन के बारे में बकता है खुद दुश्मन होता है। _________________________ 4. ऊपर बैठने वालों का कहना है: (1936-38) ऊपर बैठने वालों का कहना है: यह महानता का रास्ता है जो नीचे धंसे हैं, उनका कहना हैः यह रास्ता कब्र का है। _____...