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Showing posts from September, 2024

कविता - भारतीय पेटू मध्य वर्ग का राष्ट्र-गीत / कविता कृष्णपल्लवी

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  कविता -  भारतीय पेटू मध्य वर्ग का राष्ट्र-गीत  कविता कृष्णपल्लवी हम दुःख में खाते हैं, सुख में खाते हैं,  राग में खाते हैं, विराग में खाते हैं,  मिलन में खाते हैं, विरह में खाते हैं,  हर्ष में खाते हैं, विषाद में खाते हैं, गमन में खाते हैं, आगमन में खाते हैं, मित्रता में खाते हैं, शत्रुता में खाते हैं,  जागने में खाते हैं, सोने में खाते हैं,  छुपकर खाते हैं, दिखाकर खाते हैं,  जन्म में खाते हैं, मृत्यु में खाते हैं,  हम खूब खाते हैं,  उन सबके बदले खाते हैं  जो खा ही नहीं पाते, या बहुत कम खाते हैं ! . हम खाते हैं, मुटियाते हैं, पवन-मुक्तासन करते हैं,  कब्ज़-दस्त-अपच-बवासीर से संघर्ष करते हैं, आयुर्वेदिक, देसी, यूनानी, तिब्बी, होम्योपैथिक, एलोपैथिक सारी दवाएँ खाते हैं,  दफ्तर में डांट खाते हैं,  सरकार की लात खाते हैं, संतों का उपदेश खाते हैं !  इन सबके बीच हमें फुर्सत ही नहीं मिलती कि हम  न्याय-अन्याय, कविता, दर्शन, प्यार, क्रान्ति, पूँजीवाद-साम्राज्यवाद आदि-आदि के बारे में,  जीने  की सार्थकता आ...

“मौत को चुनौती - न्गुयेन वान त्राय की कहानी” पुस्‍तक की पीडीएफ फाइल

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“मौत को चुनौती - न्गुयेन वान त्राय की कहानी” पुस्‍तक की पीडीएफ फाइल ( उनकी विधवा पत्नी फानथी क्वुयेन द्वारा वर्णित और त्रान्ह चिन्ह वान द्वारा लिखित) पीडीएफ फाइल डाउनलोड  लिंक  प्राक्कथन जो लोग निर्भीक होकर मौत को चुनौती देते हैं , मौत की आंखों में बेबाकी से आंखें डाल कर उसे ललकारते हैं उनकी मौत आम आदमी की मौत नहीं होती बल्कि उन खास लोगों की मौत होती है जो मानव इतिहास में सदा-सदा के लिये अपनी अमिट छाप छोड़ जाते हैं। ऐसे लोगों का साहस जीने वालों को प्रेरणा देता है। ऐसे लोगों की मौत अच्छे जीवन के लिए संघर्ष करने वालों के लिये एक मिसाल का काम देती है। ऐसे लोगों का बलिदान दूसरे लोगों को उदात्त लक्ष्यों के लिए अपने जीवन की आहुति देने के लिए प्रोत्साहित करता है। मानव - इतिहास ऐसे कई गौरवपूर्ण नामों से परिचित है जिन्होंने अपना खून देकर जिन्दगी के खाकों में रंग भरा है। चेकोस्लोवाकिया के अमर शहीद जूलियस फ्युचिक ऐसे ही लोगों में से थे जिन्होंने स्याह रात के सीने पर भरपूर वार करके उन राहों को रोशन किया जो आदमी के उज्ज्वल भविष्य की ओर जाती हैं। और यह कहने की जरूरत नहीं कि जूलियस फ्युचिक...

कहानी - रत्तो / गुरदयाल सिंह

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कहानी - रत्तो गुरदयाल सिंह रत्तो भेड़िए की भाँति उनके घर के भीतर घुस आई। बिखरी हुई लटूरियाँ , कांतिहीन और डरावनी आँखें , पीला रंग , फटे तथा मैले कपड़े-साक्षात डायन जैसी वह दिखाई पड़ती थी। एक चुहिया जैसी काली-कलूटी बालिका उसने गोद में उठा रखी थी और तीन-चार बालकों की पंक्ति उसके पीछे-पीछे आ रही थी। यह सब देखते ही जैसे राधो की जान मुट्ठी में आ गई। “ सुन री ठेकेदारनी ,” अन्दर कदम रखते ही रत्तो गरजी , “ अगर तुम्हें तिमंजिला मकान बना कर शांति नहीं मिली तो हमारी झोंपड़ी छीन कर कलेजा ठंडा हो जाएगा क्या ?" और वह राधो के पास आकर फर्श पर ही बैठ गई। गोद में उठाई हुई बालिका के मुख में अपना स्तन देते हुए उसने राधो की ओर ऐसे देखा जैसे उसे खा जाना चाहती हो। राधो का चेहरा फक हो गया। “ सारे गाम में से ऊँची तुम्हारी अटरिया ,” गुस्से-भरी ऊँची आवाज़ में रत्तो ने कहा , “ बसने वाले तुम तीन जने हो। अगर इनमें भी तुम्हारी तोंदें नहीं समातीं तो जाकर श्मशान के चारों ओर चारदीवारी बना लो।" " कुछ सोच-विचार कर बात करो मेरी बहन!" राधो ने बड़ी नम्रता से , पर कुछ डरी हुई आवाज़ में कहा। पर रत्तो...

“हम पर्वतवासी - उन्नीस आर्मीनियायी कहानियाँ” पुस्‍तक की पीडीएफ फाइल PDF File of “Armenian short stories - We of the Mountains”

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“हम पर्वतवासी - उन्नीस आर्मीनियायी कहानियाँ” पुस्‍तक की पीडीएफ फाइल PDF File of “Armenian short stories - We of the Mountains” पीडीएफ फाइल डाउनलोड लिंक    लिंक 1          लिंक 2   For English PDF file Link 1 Link 2 डाउनलोड करने में कोई समस्‍या आये तो 9892808704 पर व्‍हाटसएप्‍प संदेश भेजें For Introduction in English please scroll down प्राक्कथन इस संग्रह में उन्नीस आर्मीनियाई लेखकों की कहानियाँ संकलित हैं। सब के सब विभिन्न पीढ़ियों, दृष्टिकोणों व लेखन शैलियों के लोग हैं। कुछेक निश्चित घटनाओं को अपना कथ्य बनाते हैं तो दूसरे जीवन के दार्शनिक मूल्यांकन का प्रयास करते हैं। यह एक संकलन है , कोई गद्यावली नहीं। आर्मीनियाई साहित्य में आर्मीनियाई कहानियों की शैली का इतिहास कई सौ साल का है और इसके लेखक विश्व संस्कृति के इतिवृत्त में अमर हैं। इसलिए आर्मीनियाई कहानियों की गद्यावली तैयार करने के लिए कई खण्डों वाले संस्करण की आवश्यकता होगी। बहरहाल , इस संकलन को प्रस्तुत करते समय कई ऐसे लेखकों को उद्धृत किया जा सकता है जो अपने समय में आर्मीनियाई कथा-लेखन ...