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Showing posts from April, 2024

प्रेमचन्द की प्रसिद्ध कहानी - सवा सेर गेहूँ

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प्रेमचन्द की प्रसिद्ध कहानी - सवा सेर गेहूँ किसी गाॅंव में शंकर नाम का एक किसान रहता था। सीधा-सादा गरीब आदमी था, अपने काम से काम, न किसी के लेने में न देने में। छक्का -पंजा न जानता था, छल-प्रपंच की उसे छूत भी न लगी थी, ठगे जाने की चिंता न थी, ठग-विद्या न जानता था। भोजन मिला खा लिया, न मिला चबेने पर काट दी, चबेना भी न मिला तो पानी पी लिया और राम का नाम लेकर सो रहा। विशेषकर जब साधु-महात्मा पदार्पण करते थे तो उसे अनिवार्यतः सांसारिकता की शरण लेनी पड़ती थी। खुद भूखा सो सकता था पर साधु को कैसे भूखा सुलाता? भगवान के भक्त ठहरे। एक दिन संध्या समय एक महात्मा ने आकर उसके द्वार पर डेरा जमाया। तेजस्वी मूर्ति थी, पीतांबर गले में, जटा सिर पर, पीतल का कमंडल हाथ में, खड़ाउॅं पैर में, ऐनक ऑंखों पर। संपूर्ण वेश उन महात्माओं का सा था, जो रईसों के प्रासादों में तपस्या, हवागाड़ियों पर देवस्थानों की परिक्रमा और योगसिद्धि प्राप्त करने के लिए रूचिकर भोजन करते हैं। घर में जौ का आटा था, वह उन्हें कैसे खिलाता! प्राचीनकाल में जौ का चाहे जो कुछ महत्व रहा हो, पर वर्तमान युग में जौ का भोजन सिद्ध पुरूषों के लिए दुष्पाच्...

शशि प्रकाश की एक ताज़ा कविता : समंदर किनारे की एक रात

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शशि   प्रकाश   की   एक   ताज़ा   कविता  :  समंदर   किनारे   की   एक   रात   (5  अप्रैल , 2024) शशि प्रकाश की ' ताज़ा कविता ' की बेचैनी उन हज़ारों संघर्षरत नौजवानों और बुज़ुर्गों की ज़िन्दगी के उस गहन और सुंदरतम उत्स को समर्पित है , जो इस विज्ञान विरोधी और मनुष्य विरोधी दुष्काल से भी जूझते हुए अनवरत संघर्ष कर रहे हैं और एक असाधारण आशावाद से लबरेज़ होकर वे अपनी संवेदनात्मक ऊंचाई की सुरक्षा कर रहे हैं। समंदर की लहरें जो सिर पटकती हैं किनारे की अकेली चट्टान पर उनका पानी बदलता रहता है लेकिन नमक की मात्रा सबमें बराबर होती है। चट्टान अलग अलग वज़न और रफ़्तार की चोटें झेलती है। कुछ न कहती है। आसमान में तनहा है चाँद। बादल के आवारा टुकड़ों और यहाँ - वहाँ छिटके सितारों से नहीं है उसका कोई संवाद। चाँद के पास उदासी की पीली रोशनी है लेकिन आँसू का एक क़तरा भी नहीं। लहरों का नमक और पानी है ही नहीं उस अभागे के पास ...

कहानी - शहादत / न्‍गुगी वा थ्योंगो Story - The Martyr / Ngũgĩ wa Thiong'o

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कहानी - शहादत न्‍गुगी वा थ्योंगो   ( अनुवाद - आनन्‍द स्‍वरूप वर्मा ) For English version please scroll down  न्गूगी वा थ्योंगो व्यवस्था विरोधी, जनपक्षधर लेखकों की उस गौरवशाली परम्परा की कड़ी हैं, जो हर कीमत चुकाकर भी बुर्जुआ सत्ता प्रतिष्ठानों और सामाजिक ढाँचे के अन्तर्निहित अन्यायी चरित्र को उजागर करते रहे, जिन्होंने आतंक के आगे कभी घुटने नहीं टेके और जनता का पक्ष कभी नहीं छोड़ा। कला-साहित्य के क्षेत्र में आज सर्वव्याप्त अवसरवाद के माहौल में उनका जीवन और कृतित्व अनवरत प्रज्जवलित एक मशाल के समान है। उपनिवेशवाद और समकालीन साम्राज्यवाद की सांस्कृतिक नीति और भाषानीति का तथा उत्तर-औपनिवेशिक समाजों के शासक बुर्जुआ वर्ग की राजनीति, अर्थनीति और संस्कृति का उनका विश्लेषण अपनी कुशाग्रता और मौलिकता की दृष्टि से अनन्य है।   यह परिचय मुक्तिकामी छात्रों-युवाओं का आह्वान से लिया गया है। इस लेख को पूरा पढ़ने के लिए लिंक पर जायें - http://ahwanmag.com/archives/1387 कुछ अज्ञात बदमाशों द्वारा मिस्टर और मिसेज गैरस्टोन की उनके घर में ही हत्या किये जाने की खबर ने सनसनी फैला दी थी- ह...