कृषि क़ानून विवाद के पहले दौर में खेतिहर पूँजीपति वर्ग की औद्योगिक-वित्तीय बड़े पूँजीपति वर्ग पर जीत: मज़दूर वर्ग के लिए इसके निहितार्थ
कृषि क़ानून विवाद के पहले दौर में खेतिहर पूँजीपति वर्ग की औद्योगिक-वित्तीय बड़े पूँजीपति वर्ग पर जीत: मज़दूर वर्ग के लिए इसके निहितार्थ अभिनव सिन्हा For English, Marathi and Punjabi version, please scroll down धनी कुलक और किसान, यानी पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के खेतिहर पूँजीपति वर्ग ने पहले दौर में भारत के औद्योगिक-वित्तीय बड़े पूँजीपति वर्ग पर तात्कालिक जीत हासिल की है। मोदी सरकार के इस क़दम के कारण क्या हैं? आइए देखते हैं: कल मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने मीडिया के ज़रिये मोदी सरकार को यह सन्देश दिया था कि उत्तर प्रदेश के आगामी विधान सभा चुनावों में भाजपा की पश्चिमी उत्तर प्रदेश में करारी हार होने वाली है। आरएसएस का ज़मीनी तंत्र भी भाजपा के नेतृत्व को ऐसी ही रिपोर्टें दे रहा था। सामान्य तौर पर उत्तर प्रदेश और ख़ासकर पूर्वी उत्तर प्रदेश में रोज़गार, खाद्य सुरक्षा और ग़रीबी के मोर्चे पर भाजपा सरकार की ख़राब हालत देखते हुए भाजपा को उत्तर प्रदेश की गद्दी छिनने का भय सता रहा है। अगर ऐसा होता है तो 2024 के लोकसभा चुनावों में भाजपा के जीतने की सम...