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कहानी - गाँव में कुछ बहुत बुरा होने वाला है / गाब्रिएल गार्सिया मार्केज

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गाँव में कुछ बहुत बुरा होने वाला है गाब्रिएल गार्सिया मार्केज,  अनुवाद - श्रीकांत दुबे एक बहुत छोटे से गाँव की सोचिए जहाँ एक बूढ़ी औरत रहती है , जिसके दो बच्चे हैं , पहला सत्रह साल का और दूसरी चौदह की। वह उन्हें नाश्ता परस रही है और उसके चेहरे पर किसी चिंता की लकीरें स्पष्ट हैं। बच्चे उससे पूछते हैं कि उसे क्या हुआ तो वह बोलती है - मुझे नहीं पता , लेकिन मैं इस पूर्वाभास के साथ जागी रही हूँ कि इस गाँव के साथ कुछ बुरा होने वाला है। दोनों अपनी माँ पर हँस देते हैं। कहावत है कि जो कुछ भी होता है , बुजुर्गों को उसका पूर्वाभास हो जाता है। लड़का पूल खेलने चला जाता है , और अभी वह एक बेहद आसान गोले को जीतने ही वाला होता है कि दूसरा खिलाड़ी बोल पड़ता है - मैं एक पेसो की शर्त लगाता हूँ कि तुम इसे नहीं जीत पाओगे। आसपास का हर कोई हँस देता है। लड़का भी हँसता है। वह गोला खेलता है और जीत नहीं पाता। शर्त का एक पेसो चुकाता है और सब उससे पूछते हैं कि क्या हुआ, कितना तो आसान था उसे जीतना। वह बोलता है - बेशक , पर मुझे एक बात की फिक्र थी , जो आज सुबह मेरी माँ ने यह कहते हुए बताया कि इस गाँव के साथ ...

कहानी - कोसी का घटवार / शेखर जोशी

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कोसी का घटवार शेखर जोशी   अभी खप्पर में एक-चौथाई से भी अधिक गेहूं शेष था। खप्पर में हाथ डालकर उसने व्यर्थ ही उलटा-पलटा और चक्की के पाटों के वृत्त में फैले हुए आटे को झाडक़र एक ढेर बना दिया। बाहर आते-आते उसने फिर एक बार और खप्पर में झांककर देखा , जैसे यह जानने के लिए कि इतनी देर में कितनी पिसाई हो चुकी हैं , परंतु अंदर की मिकदार में कोई विशेष अंतर नहीं आया था। खस्स-खस्स की ध्वनि के साथ अत्यंत धीमी गति से ऊपर का पाट चल रहा था। घट का प्रवेशद्वार बहुत कम ऊंचा था , खूब नीचे तक झुककर वह बाहर निकला। सर के बालों और बांहों पर आटे की एक हलकी सफेद पर्त बैठ गई थी। खंभे का सहारा लेकर वह बुदबुदाया , '' जा , स्साला! सुबह से अब तक दस पंसेरी भी नहीं हुआ। सूरज कहां का कहां चला गया है। कैसी अनहोनी बात! '' बात अनहोनी तो है ही। जेठ बीत रहा है। आकाश में कहीं बादलों का नाम-निशान ही नहीं। अन्य वर्षों अब तक लोगों की धान-रोपाई पूरी हो जाती थी, पर इस साल नदी-नाले सब सूखे पडे हैं। खेतों की सिंचाईं तो दरकिनार , बीज की क्यारियां सूखी जा रही हैं। छोटे नाले-गूलों के किनारे के घट महीनों से बंद हैं।...