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Showing posts from September, 2025

दंतकथा - भेड़िया और मेमना Fable - The Wolf and the Lamb

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दंतकथा - भेड़िया और मेमना  संभव है कि ये दंतकथा बचपन में आपने पढ़ी हो। वर्तमान राजनीतिक हालात बयां करती ये दंतकथा अपनी समझ के आइने में एक बार फिर पढ़ें।   Please scroll down for  English version एक बार एक भेड़िया किसी पहाड़ी नदी में एक ऊंचे स्थान पर पानी पी रहा था। अचानक उसकी नजर एक भोले-भाले मेमने पर पड़ी , जो पानी पी रहा था। भेड़िया मेमने को देखकर अति प्रसन्न हुआ और सोचने लगा- ‘वर्षों बीत गए , मैंने किसी मेमने का मांस नहीं खाया। यह तो छोटी उम्र का है। बड़ा मुलायम मांस होगा इसका। आह! मेरे मुंह में तो पानी भी आ गया। क्या ही अच्छा होता जो मैं इसे खा पाता।’ और अचानक वह भेड़िया चिल्लाने लगा- ”ओ गंदे जानवर! क्या कर रहे हो ? मेरा पीने का पानी गंदा कर रहे हो ? यह देखो  पानी में कितना कूड़ा-करकट मिला दिया है तुमने ?“ मेमना उस विशाल भेड़िये को देखकर सहम गया। भेड़िया बार-बार अपने होंठ चाट रहा था। उसके मुंह में पानी भर आया था। मेमना डर से कांपने लगा। भेड़िया उससे कुछ गज के फासले पर ही था। फिर भी उसने हिम्मत बटोरी और कहा- ”श्रीमान! आप जहां पानी पी रहे हैं , वह...

लुगदी साहित्य : कुछ बातें

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लुगदी साहित्य : कुछ बातें कात्यायनी फिल्मकार कोस्ता गावरास ने एक बार किसी साक्षात्कार के दौरान कहा था कि हर फिल्म‍ राजनीतिक फिल्म होती है , जिस फिल्म में अजीबोग़रीब हथियार लिए लोग पृथ्वी़ को परग्रहीय प्राणियों के हमले से बचाते होते हैं , वे फिल्में भी राजनीतिक ही होती हैं। बात सही है। अक्सर हम जो घोर अराजनीतिक किस्म की रूमानी या मारधाड़ वाली मसाला फिल्म देखते हैं , वह किसी न किसी रूप में हमारे समय का , या उसके किसी पक्ष का ही रूपक रचती होती है। जाहिर है कि देशकाल के इस रूपक के पीछे सर्जक की एक विशेष वर्ग-दृष्टि होती है और उसे ध्यान में रखकर ही उस रूपक को समझा जा सकता है। चालू मसाला फिल्मोंं की तरह ही , समाज में बड़े पैमाने पर जो चलताऊ , लोकप्रिय साहित्य या लुगदी साहित्य पढ़ा जाता है , वह भी किसी न किसी रूप में सामाजिक यथार्थ को ही परावर्तित करता है। सचेतन तौर पर लेखक कत्तई ऐसा नहीं करता , लेकिन रोमानी , फैमिली ड्रामा टाइप या जासूसी लुगदी साहित्य भी किसी न किसी सामाजिक यथार्थ का ही रूपक होता है , या अपने आप सामाजिक यथार्थ ही वहाँ एक फन्तासी रूप में ढल जाता है। कई बार होता यह है कि...