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Showing posts from July, 2024

लघु कथा - शेर की गुफा में न्याय / शरद जोशी

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लघु कथा -  शेर की गुफा में न्याय शरद जोशी  जंगल में शेर के उत्पात बहुत बढ़ गए थे. जीवन असुरक्षित था और बेहिसाब मौतें हो रही थीं. शेर कहीं भी, किसी पर हमला कर देता था. इससे परेशान हो जंगल के सारे पशु इकट्ठा हो वनराज शेर से मिलने गए. शेर अपनी गुफा से बाहर निकला – कहिए क्या बात है? उन सबने अपनी परेशानी बताई और शेर के अत्याचारों के विरुद्ध आवाज उठाई. शेर ने अपने भाषण में कहा – ‘प्रशासन की नजर में जो कदम उठाने हमें जरूरी हैं, वे हम उठाएंगे. आप इन लोगों के बहकावे में न आवें जो हमारे खिलाफ हैं. अफवाहों से सावधान रहें, क्योंकि जानवरों की मौत के सही आंकड़े हमारी गुफा में हैं जिन्हें कोई भी जानवर अंदर आकर देख सकता है. फिर भी अगर कोई ऐसा मामला हो तो आप मुझे बता सकते हैं या अदालत में जा सकते हैं.’ चूंकि सारे मामले शेर के खिलाफ थे और शेर से ही उसकी शिकायत करना बेमानी था इसलिए पशुओं ने निश्चय किया कि वे अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे. जानवरों के इस निर्णय की खबर गीदड़ों द्वारा शेर तक पहुंच गई थी. उस रात शेर ने अदालत का शिकार किया. न्याय के आसन को पंजों से घसीट अपनी गुफा में ले आया. शेर ने अपनी न...

कहानी - लॉटरी का टिकट / अंतोन चेखव Story - The Lottery Ticket / Anton Chekhov

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कहानी - लॉटरी का टिकट अंतोन चेखव For English version please scroll down  ईवान दिमित्रिच बारह सौ रूबल की वार्षिक आय में परिवार का भरण-पोषण करने वाला , अपने भाग्य से संतुष्ट एक मध्यवर्गीय व्यक्ति था. शाम का खाना खाने के बाद सोफ़े पर बैठा अख़बार पढ़ रहा था. ‘‘ मैं आज का अख़बार नहीं देख पायी हूं ,’ उसकी पत्नी खाने की मेज़ साफ करते हुए बोली , ‘ ज़रा देखो तो सही उसमें लाटरी जीतने वाले टिकटों के नंबर हैं या नहीं ?’ ‘ हां , हैं ,’ ईवान ने उत्तर दिया. ‘लेकिन तुम्हारे टिकट की तो तारीख़ निकल गई है ?’ ‘ नहीं , मैंने मंगलवार को टिकट बदलवा लिया था.’ ‘ क्या नंबर है ?’ ‘ सीरीज़ 9,499, नंबर 26.’ ‘ ठीक है , देख लूंगा- 9,499 और 26.’ ईवान दिमित्रिच को लाटरी में कतई विश्वास नहीं था. अपने असूल के मुताबिक वह जीतने वाले नंबरों की सूची देखने वाला नहीं था लेकिन उस समय उसके पास कोई और काम नहीं था , अख़बार भी सामने पड़ा था इसलिए उसने नंबरों की सूची पर ऊपर से नीचे की तरफ अंगुली घुमाई. तत्क्षण उसके अविश्वास का मज़ाक उड़ाती उसकी नज़र ऊपर से से नीचे की दूसरी लाइन में 9,499 नंबर पर गड़ गई. अपनी आंखों पर उसको विश्वास नही...

कविता - सारी कथाएँ तो फिर भी नहीं कही जातीं / शशि प्रकाश

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कविता - सारी कथाएँ तो फिर भी नहीं कही जातीं शशि प्रकाश इतना अधिक आशावादी क्या होना कि निराशाएँ कभी पास फटकें ही नहीं और उदास हवाएँ आसपास से होकर गुज़रने से सहम जायें। आशा की ऐसी अलौकिक आभा लेकर भी कोई क्या करेगा कि कोई दुखी उदास हृदय ख़ुद को उसके सामने खोलकर रख देने में सकुचा जाये। जैसे कि इतना उबाऊ उल्लास लेकर भी भला क्या करेंगे कि अल्कोहल सने समवेत ठहाकों के बिना शामें सूनी-सूनी सी लगने लगें। * आशावादी भाषण तब सबसे अधिक खोखले और बनावटी लगते हैं जब कुछ न कहने की ज़रूरत हो , या हिचकता हुआ पास सरक आया हाथ महज़ एक स्पर्श की माँग कर रहा हो। गिरजाघर की वेदी पर जलती मोमबत्तियाँ जितनी भी जगमग करती हों , हर अगले दिन बुझी हुई मोमबत्तियों के झुण्ड से अधिक उदास करने वाले दृश्य बहुत कम होते हैं। *   जीवन और भविष्य का आशावादी सिनेमा पुदोव्किन के ' लिंकेज मोंताज ' की तरह नहीं , बल्कि आइजेंस्ताइन के ' कोलीज़न मोंताज ' की तरह होता है। लेकिन सिर्फ़ इतना ही नहीं , उसमें ज़रूरी होते हैं बहुत सारे मौन अन्तराल और मद्धम गतियों के दृश्य एक विशाल भूदृश्य के बीच , विरुद्धों की एकता और टकराव को...

कहानी - वह मेरा दोस्त था / माइकल पिकार्डी Story - I Had a Black Man / Michael Picardie

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कहानी - वह मेरा दोस्त था माइकल पिकार्डी  ( अनुवाद - आनन्‍द स्‍वरूप वर्मा ) शहर लन्दन में वह बिल्कुल तनहा थी। सुबह तकरीबन सात बजे उसने अपने ड्राइंग-रूम की खिड़की पर टँगे फूलदार परदों को ऊपर उठाया। भोर की मटमैली रोशनी में उसने गौर किया -मुँह से निकलती साँस बाहर आकर भाप की शक्ल अख्तियार कर रही थी। एक बार फिर उसने खत को पढ़ा। वह पूरी तरह से जानती थी कि वह यानी मार्था एक मामूली किस्म की लड़की है , जिसका चेहरा माँसल नहीं है , शरीर दुबला है और जिसके पास अक्ल भी मामूली किस्म की है। खत में उसके जज्बातों को तरजीह दी गयी थी और सच्चाई का बयान नहीं किया गया था , बल्कि दिली तौर पर एक न हो पाने की मजबूरी का जिक्र था। वह उदास हो गयी। उस रात वह अकेले प्यानो सुनने गयी थी। वह प्रोग्राम में शामिल थी , पर कुछ सुन नहीं पा रही थी। प्यानो बजाने वाले की थिरकती उंगलियों के पीछे उसे वे शब्द दिखलाई दे रहे थे , जो पहली ही निगाह में होने वाले प्यार के सिलसिले में कुछ मायने रखते हैं-मसलन खूबसूरती , नजाकत , रोमानियत या सूरज की रोशनी से भी तेज कुछ शब्द। उसे इन शब्दों से नफरत हो रही थी-प्रोग्राम बोर कर रह...