संघी एक साथ हिटलर और इज़रायल दोनों के प्रशंसक कैसे हो सकते हैं!
संघी एक साथ हिटलर और इज़रायल दोनों के प्रशंसक कैसे हो सकते हैं! सत्यम कुछ लोग आश्चर्य कर रहे हैं कि संघी गुबरैले एक साथ हिटलर और इज़रायल दोनों के प्रशंसक कैसे हो सकते हैं! मगर इसमें हैरानी की क्या बात है? ये तो हमेशा ही हर आततायी, अत्याचारी के भक्त रहे हैं। ब्रिटिश हुक़ूमत के दिनों में ये अंग्रेज़ों का पिछवाड़ा चाटते थे, क्रान्तिकारियों के साथ ग़द्दारी और मुखबिरी करते थे और फ़िरंगी राज के ख़िलाफ़ जनता की लड़ाई को कमज़ोर करने के लिए हिन्दू-मुस्लिम के झगड़े पैदा करने में लगे रहते थे। जब हिटलर उभार पर था और उसके बाद भी कई सालों तक ये अपनी शाखाओं में उसका गुणगान किया करते थे और उसकी जीवनी कार्यकर्ताओं को पढ़वाया करते थे। जब पूरी दुनिया में फ़ासिस्टों की थू-थू हो गयी और इन्हें लगा कि अब उसके नाम पर यहाँ राजनीति नहीं चलेगी, तो इन कायर पाखण्डियों ने हिटलर की जीवनियाँ छिपा दीं। मगर इनके दिलों में हिटलर, मुसोलिनी, तोजो, फ्रांको सब अब भी राज करते हैं और बन्द कमरों में ये उनकी प्रशस्तियाँ गाया करते हैं। आज ये इज़रायल द्वारा फ़िलिस्तीनी जनता के बर्बर जनसंहार पर ख़ुश हो रहे ह...