प्रेमचंद, उनका समय और हमारा समय : निरंतरता और परिवर्तन के द्वंद्व को लेकर कुछ बातें Premchand, His Era and Our Times: Some Thoughts on the Dialectics of Continuity and Change
प्रेमचंद , उनका समय और हमारा समय : निरंतरता और परिवर्तन के द्वंद्व को लेकर कुछ बातें For English version please scroll down कविता कृष्णपल्लवी प्रेमचंद की 300 से अधिक कहानियों में से कम से कम 20 तो ऐसी हैं ही , जिनकी गणना विश्व की श्रेष्ठतम कहानियों में की जा सकती है और जिनकी बदौलत उनका स्थान मोपासां , चेखोव , ओ. हेनरी , लू शुन आदि श्रेष्ठतम कथाकारों की पाँत में सुरक्षित हो जाता है। ' कफ़न ', ' पूस की रात ', ' ईदगाह ', ' सवा सेर गेहूँ ',' ' रामलीला ',' गुल्लीडंडा ',' बड़े भाईसाहब ', ' सद्गति ', ' ठाकुर का कुआँ ', ' शतरंज के खिलाड़ी ' जैसी कहानियाँ कभी भुलाई नहीं जा सकतीं। महत्वपूर्ण बात यह है कि एक पिछड़े हुए सामंती समाज के ग्रामीण जीवन के जो यथार्थवादी चित्र प्रेमचंद की कहानियों में मिलते हैं , वे विश्व के श्रेष्ठतम कथाकारों के वहाँ भी दुर्लभ हैं। अपने सृजनात्मक जीवन के बड़े हिस्से में गाँधीवादी आदर्शोन्मुखता के प्रभाव के बावजूद प्रेमचंद ने भारतीय गाँवों के भूमि-संबंधों और वर्ग-संबंधो...