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विश्‍व प्रसिद्ध कहानीकार अंतोन चेखव की कहानी - निंदक Anton Chekhov's Story - The Slanderer

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विश्‍व प्रसिद्ध कहानीकार अंतोन चेखव की कहानी - निंदक   For English version please scroll down हिन्‍दी अनुवाद - सुशांत सुप्रिय (  https://www.anhadkriti.com/  सेे साभार)   सुलेख के शिक्षक सर्गेई कैपितोनिच अख़िनेयेव की बेटी नताल्या की शादी इतिहास और भूगोल के शिक्षक इवान पेत्रोविच लोशादिनिख़ के साथ हो रही थी। शादी की दावत बेहद कामयाब थी। सारे मेहमान बैठक में नाच-गा रहे थे। इस अवसर के लिए क्लब से किराए पर बैरों की व्यवस्था की गई थी। वे काले कोट और मैली सफ़ेद टाई पहने पागलों की तरह इधर-उधर आ-जा रहे थे। हवा में मिली-जुली आवाज़ों का शोर था। बाहर खड़े लोग खिड़कियों में से भीतर झाँक रहे थे। दरअसल वे समाज के निम्न-वर्ग के लोग थे जिन्हें विवाह-समारोह में शामिल होने की इजाज़त नहीं थी। मध्य-रात्रि के समय मेज़बान अख़िनेयेव यह देखने के लिए रसोई में पहुँचा कि क्या रात के खाने का इंतज़ाम हो गया था। रसोई ऊपर से नीचे तक धुएँ से भरी थी। हंसों और बत्तखों के भुनते हुए मांस की गंध धुएँ में लिपटी हुई थी। दो मेजों पर खाने-पीने का सामान कलात्मक बेतरतीबी से बिखरा ...

भीष्‍म साहनी की कहानी - गंगो का जाया

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भीष्‍म साहनी की कहानी गंगो का जाया सामयिक हिन्‍दी साहित्‍य में (और ज्‍यादातर अन्‍य भाषाओं के साहित्‍य में भी) भारत का बहुसंख्‍यक मजदूर वर्ग गायब है, उसकी जिन्‍दगी का संघर्ष गायब है। साहित्‍य के साथ ही तीन दशक पहले ऐसी फिल्‍में भी दिखती थी जिनके नायक गरीब होते थे, मेहनतकश होते थे पर आज के साहित्‍य-सिने जगत की हालत हमें पता है। आज हम सुबह-सवेरे में पढ़ेंगे भीष्‍म साहनी की कहानी - गंगो का जाया जो वर्तमान दिल्‍ली को बसाने वाले मजदूरों की गाथा है। गंगो की जब नौकरी छूटी तो बरसात का पहला छींटा पड़ रहा था। पिछले तीन दिन से गहरे नीले बादलों के पुँज आकाश में करवटें ले रहे थे, जिनकी छाया में गरमी से अलसाई हुई पृथ्‍वी अपने पहले ठण्‍डे उच्‍छ्‌वास छोड़ रही थी, और शहर-भर के बच्‍चे-बूढ़े बरसात की पहली बारिश का नंगे बदन स्‍वागत करने के लिए उतावले हो रहे थे। यह दिन नौकरी से निकाले जाने का न था। मज़दूरी की नौकरी थी बेशक, पर बनी रहती, तो इसकी स्‍थिरता में गंगो भी बरसात के छींटे का शीतल स्‍पर्श ले लेती। पर हर शगुन के अपने चिन्‍ह होते हैं। गंगो ने बादलों की पहली गर्जन में ही जैसे अपने भाग्‍य की आव...