कविता - तानाशाह जो करता है! / कविता कृष्णपल्लवी
तानाशाह जो करता है! कविता कृष्णपल्लवी लाखों इंसानों को हाँका लगाकर जंगल से खदेड़ने और हज़ारों का मचान बाँधकर शिकार करने के बाद तानाशाह कुछ आदिवासियों को राजधानी बुलाता है और सींगों वाली टोपी और अंगरखा पहनकर उनके साथ नाचता है और नगाड़ा बजाता है। बीस लाख लोगों को अनागरिक घोषित करके तानाशाह उनके लिए बड़े-बड़े कंसंट्रेशन कैम्प बनवाता है और फिर घोषित करता है कि जनता ही जनार्दन है। एक विशाल प्रदेश को जेलखाना बनाने के बाद तानाशाह बताता है कि मनुष्य पैदा हुआ है मुक्त और मुक्त होकर जीना ही उसके जीवन की अंतिम सार्थकता है। लाखों बच्चों को अनाथ बनाने के बाद तानाशाह कुछ बच्चों के साथ पतंग उड़ाता है। हज़ारों स्त्रियों को ज़ुल्म और वहशीपन का शिकार बनाने के बाद तानाशाह अपने महल के बारजे से कबूतर उड़ाता है , सड़कों पर खून की नदियाँ बहाने के बाद कवियों-कलावंतों को पुरस्कार और सम्मान बाँटता है। तानाशाह ऐसे चुनाव करवाता है जिसमें हमेशा वही चुना जाता है , ऐसी जाँचें करवाता है कि अपराध का शिकार ही अपराधी सिद्ध हो जाता है...