कज़ाखी लोक-कथा - अद्भुत बाग़ Kazakh Folk-tale - The Magic Garden
कज़ाखी लोक-कथा - अद्भुत बाग़ हिन्दी अनुवाद - सुधीर कुमार माथुर (भलाई कर, बुराई से डर - कज़ाख लोक-कथाएं पुस्तक से) बहुत पहले दो ग़रीब दोस्त थे - असन और हसेन। असन ज़मीन के छोटे-से टुकड़े पर खेती करता था , हसेन अपना भेड़ों का छोटा-सा रेवड़ चराता था। वे इसी तरह रूखा-सूखा खाने लायक़ कमाकर गुजर-बसर करते थे। दोनों मित्र काफ़ी पहले विधुर हो चुके थे , लेकिन असन की एक रूपवती व स्नेहमयी बेटी थी - उसकी एकमात्र दिलासा , और हसेन का एक बलवान व आज्ञाकारी बेटा था - उसकी एकमात्र आशा। एक बार वसन्त में जब असन अपने खेत में बोवाई करने की तैयारी कर रहा था , हसेन पर विपत्ति का पहाड़ टूट पड़ा स्तेपी में महामारी फैल गयी और बेचारे की सारी भेड़ें मर गयीं। हसेन फूट-फूटकर रोता , अपने बेटे के कंधे पर हाथ रखे अपने मित्र के पास आया और बोला : “ असन , मैं तुमसे विदा लेने आया हूँ। मेरी सारी भेड़ें मर गयीं , उनके बिना मेरा भी भूखों मरना निश्चित है। ” यह सुनते ही असन ने बूढ़े गड़रिये को सीने से लगा लिया और बोला : “ मेरे दोस्त , मेरा आधा दिल तुम्हारा है , तुम मेरा आधा खेत भी ले लो , इनकार मत करना। चिन्ता मत क...